कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
क्या आप भी बच्चा गोद लेने की ख़्वाइश रखती हैं? आइये, जानें कि भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया क्या है और किन नियमों का पालन करना होगा|
क्या आप भी बच्चा गोद लेने की ख़्वाइश रखती हैं? आइये, जानें कि भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया क्या है और किन नियमों का पालन करना होगा।
अनुवाद : श्रद्धान्विता तिवारी
एक बच्चे को अपनाने की ख़्वाइश दिल से होती है। फिर भी, गोद लेने से जुड़े अन्य पहलु, जैसे वित्तीय, कानूनी और प्रक्रियात्मक, समझने बहुत ज़रूरी हैं।
गोद लिए जाने वाले बच्चों के हित की रक्षा के बारे में, गोद लेने के कानून और प्रक्रिया के अलावा, सोचने वाला कोई नहीं है। प्रक्रिया से जुड़े लंबे इंतजार के बावजूद, भारत में बच्चे गोद लेने की कानूनी कार्यवाही, अंततः आपके दिल और दिमाग को शांत कर देती है।
आईये, भारत में गोद लेने की प्रक्रिया क्या है, इस पर एक नज़र डालें| (यहाँ पर हम अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया पर प्रकाश नहीं डाल रहे हैं|)
वैसे तो गोद लेने की प्रक्रिया पूरे भारत में एक ही है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में इस प्रक्रिया के दिशा-निर्देश अलग-अलग हो सकते हैं। गोद लेने की मुख्य प्रक्रिया सभी एजेंसियां एक ही तरीके से निभाती हैं, पर मुमकिन है कि कहीं कुछ ज़्यादा पेपरवर्क/कागजी कार्रवाई हो।
आप देश के किसी भी राज्य से बच्चा गोद ले सकते हैं लेकिन आपके परिवार के बारे में पड़ताल उसी राज्य की एजेंसी करेगी जहाँ आप अभी रहते हैं। उसके बाद पड़ताल को स्थानांतरित/ट्रांसफर किया जा सकता है।
दत्तक माता-पिता और गोद लिए जानेवाले बच्चे के बीच काम से काम २१ साल का अंतर होना चाहिए। ऐसे जोड़े जिनकी संयुक्त उम्र ९० साल से कम हो, वे बच्चा गोद ले सकते हैं। बड़ी उम्र या विशेष ज़रूरतों/ स्पेशल नीड्स वाले बच्चों को गोद लेने के लिए, उम्र सीमा ५५ साल तक निर्धारित की गयी है।
अधिकतर एजेंसी ऐसे ही जोड़ों को बच्चा देना पसंद करती हैं, जिनकी शादी को कम से कम ५ साल हो गए हो। लेकिन ये पूरी तरह से एजेंसी का निर्णय है। एक कुंवारा व्यक्ति, जिसकी उम्र ३० से ४५ के बीच हो, भी बच्चा गोद ले सकता है।
हाँ। लेकिन यहाँ बच्चे का लिंग महत्त्व रखता है। हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, १९५६ (जिसके तहत हिन्दू, जैन, सिख, और आर्य समाज आता है) केवल विपरीत लिंग का बच्चा ही गोद लेने की आज्ञा देता है।
गौरडिअन् एंड वार्ड्स एक्ट, १८९० और जूवेनिल जस्टिस एक्ट, २००० (२००६ में संशोधित) में इस तरह की कोई दिक्कत नहीं है और इनके चलते, एक ही लिंग के कई बच्चे गोद लिए गए हैं। यदि, आपका अपना बच्चा बड़ा है, तो उसे लिखित रूप में, दूसरा बच्चा गोद लेने पर, अपने विचार लिखने के लिए कहा जाएगा।
CARA के हिसाब से बच्चे को गोद लेते समय आपकी आय, हर महीने, कम से कम ३००० होनी चाहिए। यदि आपकी मासिक आय इससे कम है, तो आपकी बाकी संपत्ति, जैसे घर इत्यादि को भी देखा जायेगा।
HAMA के अंतर्गत, गोद लिए गए बच्चे को भी उतने ही अधिकार मिलते हैं जितने कि आपके अपने बच्चे को। कोई भी दत्तक माता-पिता या फिर उनका अपना बच्चा, गोद लिए बच्चे के अधिकार को नहीं छीन सकता।
GAWA के अंतर्गत गोद लेने पर पति-पत्नी केवल बच्चे के अभिभावक के तौर पर उसका ध्यान रख सकते हैं और बच्चे को उनका नाम, धर्म या संपत्ति उपयोग करने का पूरा अधिकार नहीं मिलता। इसमें केवल बच्चे के मूलभूत अधिकार पूरे होने पर ज़ोर दिया जाता है।
बिल्कुल! HAMA के अंतर्गत कोई भी महिला जिसने शादी न की हो, तलाकशुदा हो या फिर विधवा हो, बेटा या बेटी गोद ले सकती है। लेकिन उसे भी अपनी पारिवारिक सहायता प्रणाली का सबूत देना होगा और उसकी अनिश्चित मृत्यु हो जाने पर बच्चे के लिए कोई अभिभावक नियुक्त करना होगा।
HAMA यह निश्चित करता है कि बच्चे को जन्म देनेवाले माता-पिता या फिर किसी एजेंसी को कोई पैसे न दिया जाएँ। इससे मानव तस्करी जैसी समस्याएं उत्त्पन होती हैं और जेल भी हो सकती है। CARA ने गोद लेने के लिए एक निश्चित कीमत निर्धारित की है। इसके अतिरिक्त कोई भी रकम गैरकानूनी है।
आपने, जिस एजेंसी में आवेदन दर्ज़ कराया है, लगातार उसके संपर्क में रहें। CARA के अनुसार, किसी भी एजेंसी को, अपनी जांच ३ महीनों के भीतर करनी होती है। आपको एजेंसी से विकास या देरी के कारणों के बारे में जानने का अधिकार है।
अभी तक ऐसी कोई केंद्रीकृत व्यवस्था नहीं है, जो आपको सीधा आवेदन की स्तिथि के बारे में बता सके।
बच्चा गोद लेने वाले अभिभावक को अनुमति है कि वो, उन्हें दिखाए गए बच्चे को बच्चों के किसी भी डॉक्टर के पास जांच के लिए ले जा सकते हैं। CARA से प्रमाणित सारी एजेंसियां बच्चों का, नियमित रूप से, HIV और हेपेटाइटस बी का निरिक्षण करती हैं।
परन्तु, बहुत सी एजेंसियां, किसी गंभीर बीमारी की शंका ना होने पर, बच्चे की किसी भी प्रकार की जाँच मना कर देती हैं।
यदि, बच्चे के माता पिता के बारे में कोई जानकारी होती है, तो एजेंसी उनके स्वास्थ्य सबंधी जानकारी भी हासिल करती है। इन सभी जाँच के कागज़ात और बिल भावी माता-पिता को सौंप दिए जाते हैं।
गोद लेने की प्रक्रिया बहुत सीधी, निजी और कानूनी है, जिससे भरपूर खुश परिवार बनते हैं। भारत में गोद लेते समय, किसी तरह की लाल-फीता-शाही नहीं होती। थोड़े-बहुत कागज़ जमा करने होते हैं, एजेंसी और कोर्ट से बातचीत होती है, और इसी बीच जो बच्चा अब तक सिर्फ आपके दिल और दिमाग में था, वो आपकी गोद में होगा। बच्चा गोद लेने के लिए किया गया इंतज़ार व्यर्थ नहीं है!
‘क्या तुम जानती हो’ के इस वीडियो में पूजा से जानिए भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया यानि चाइल्ड एडॉप्शन के बारे में…
नोट: यहाँ दी गयी जानकारी को एक बार अच्छी तरह से जाँच लें या फिर किसी ऐसे व्यक्ति से बात करें जिन्होंने हाल ही में बच्चा गोद लिया हो।
मूल चित्र : Still from the Hindi Short Film, Adopt/JP Star Pictures Movies, YouTube
I'm currently a communications specialist in the corporate world, and mom to a teen and a tween. My previous career avatars had me freelancing as a content writer, teaching biotechnology in Bangalore colleges, being read more...
Please enter your email address