कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
ये समाज जहां एक ओर औरत को देवी मान कर पूजता है, वहीं दूसरी ओर, यही समाज उसी औरत की दुर्दशा का ज़िम्मेदार भी है। ऊपर से, दुर्भाग्य यह है कि इन मसलों को सिर्फ एक राजनैतिक मुद्दा बना कर शोर मचाया जा रहा है।
मुझे नहीं चाहिए- तुम्हारी सहानुभूति, तुम्हारा तरस, तुम्हारे वादे, तुम्हारे भाषण।
मुझे नहीं चाहिए- तुम्हारी बेटी बनना, तुम्हारे देश का एक आंकड़ा बनना, तुम्हारे बनाये हुए रिश्तों में, अपनी इज़्ज़त ढूढ़ना।
मुझे नहीं चाहिए- तुम्हारी राजनीति, तुम्हारे खोखले शब्द, तुम्हारी आँखों के पीछे छुपे पिशाच, तुम्हारी झूठी सोच।
मुझे चाहिए- मेरे इंसान होने के हक़, मेरी आज़ादी, चलने की, दौड़ने की, सोचने की आज़ादी, जिस वक़्त, जिस तरह, जहाँ चले जाने की आज़ादी, जीने की आज़ादी।
नहीं हूँ तुम्हारे देश की बेटी, माँ, बहन- हूँ उस सब से कुछ ज़्यादा, खुद अपने आप में पूरी हूँ मैं, पहचान लो मुझे, इंसान हूँ पहले।
Against the politicisation of rape in our country.
मूल चित्र: Unsplash
Saumya Baijal, is a writer in both English and Hindi. Her stories, poems and articles have been published on Jankipul.com, India Cultural Forum, The Silhouette Magazine, Feminism in India, Drunk Monkeys, Writer’s Asylum, read more...
Please enter your email address