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कभी-कभी कुछ इत्तेफ़ाक़ रूखी सी चल रही ज़िन्दगी में मीठी सी इक हलचल मचा कर जीने के मायने ही बदल देते हैं। और इस ज़िन्दगी का क्या-इन्हीं छोटे-छोटे लम्हों से इसे संवार लेना चाहिए। कौन जाने, कल हो ना हो!
और…. तुम्हारा यूं अचानक, सामने आ जाना…. इस क़ायनात में, इक हरक़त कर गया; पूरा वज़ूद रौशन हो, ग़ुलाब सा महकने लगा! महज़ इक तस्वीर से, इतनी मीठी बे-तरतीबी? अब बस इश्तियाक़ है, रुबरू होने का….
मूल चित्र: Pexels
Editor at Women’s Web, Designer, Counselor & Art Therapy Practitioner. read more...
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