कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
नकारात्मक लोगों की प्रजाति हमें हमारे ही बीच मिलती है, पड़ोस में, ऑफिस में, रिश्तेदारों में, दोस्तों में, मुश्किल ये है कि इन्हें पहचाना कैसे जाए?
“खुश रहें और खुश रखें”- खुशियों की चाबी सा लगता ये शब्द-पुंज असल मायनों में बेमानी सा लगता है। हम सब लोग, खासकर माँ, हमेशा ये कोशिश करती हैं कि हमारे घर का वातावरण हमेशा हल्का-फुल्का और सौहार्द बना रहे क्यूंकि हम जानते हैं उसका सीधा असर हमारे बच्चों और परिवार पर पड़ता है। पर इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता कि हम सब लोगों के आसपास हमेशा ऐसे शख्स मंडराते रहते हैं जो नकारात्मकता की पोटली अपने साथ लेकर चलते हैं। जब भी इनसे बात करो, अच्छा-ख़ासा स्वस्थ आदमी बेचारा मरीज़ बन जाता है। प्रसन्न चित्त मन अचानक उजड़ा-उजड़ा लगता है। ऐसा लगने लगता है जैसे हवा में किसी ने ‘उदासी’ नाम का वायरस छोड़ दिया हो।
दुर्भाग्यवश ये प्रजाति हमें हमारे ही बीच मिलती है। किसी के पड़ोस में, किसी के ऑफिस में, किसी के रिश्तेदारों में, किसी के दोस्तों में और न जाने कहाँ-कहाँ। लेकिन मुश्किल ये है कि इन्हें पहचाना कैसे जाए? पहचान भी लिया, तो इनसे दूर कैसे रहा जाए। मैंने अपने कुछ अनुभवों का विश्लेषण करके ऐसे लोगों का चित्रण किया है। आइये, देखते हैं आप इनसे कितना सहमत हो पाते हैं।
हर बात में कमी निकाल लेना इनके बहुत सारे हुनर में से एक होता है। चाँद की खूबसूरती को छोड़ उसके दागों पर केन्द्रीकरण करना इनकी फितरत होती है। ये लोग अक्सर किसी ना किसी बात की शिकायत करते मिलते हैं। “मुझे ज़िन्दगी में ये नहीं मिला, वो नहीं मिला।” “मैं तो हमेशा अच्छा ही करता/करती हूँ फिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है”, आदि।
किसी के प्रयासों को सराहना ऐसे लोगों की नीयत में अक्सर नहीं होता। उन्हें लगता है, जितना दूसरे ने किया उतना करना कोई बड़ी बात नहीं। या किसी और के प्रयासों को छोटा बताना, तुच्छ दिखाना इनकी प्रवृत्ति होती है।
किसके घर में क्या चल रहा है, किसकी तनख्वाह कितनी है, किसका किससे झगड़ा चल रहा है, चारों तरफ की खैर-खबर रखने वाले ये जीव अक्सर बी.बी.सी के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्हें खुद से ज़्यादा दूसरों के नकारात्मक विश्लेषण में दिलचस्पी रहती है, जैसे, “मैं होती तो ऐसा कभी नहीं करती”, आदि।
कभी भी आपको अपने आसपास ऐसा कोई व्यक्तितव मिले जो आपको ठीक से जानता भी ना हो फिर भी आपको बिन माँगे सुझाव देकर अपना ज्ञान प्रदर्शित करने की कोशिश करे, तो समझ जाइये उससे दूर हटने का समय आ गया है, क्यूंकि ये नकारात्मक लोगों की पहली निशानी होती है। किस बुज़ुर्ग या अनुभवी को छोड़ दिया जाए, तो अक्सर हम सुझाव देने से पहले सामने वाले की परिस्थिति का अच्छे से विश्लेषण किये बिना राय देने से कतराते हैं, लेकिन नकारात्मक व्यक्ति उसको अपना दायित्व समझताहै।
जी हाँ! अगर ऐसे लोगों को परखना है तो इनके सामने इनकी तारीफों के पुल बाँध दीजिये और देखिये कैसे ये हवा में गुब्बारे कि तरह उड़ने लगेंगे। जी, ऐसे लोगों को ‘आपखूबी’ बड़ी भाती है, इन्हें खुद से बड़ा कोई नहीं लगता। बिना किसी के दिए ही ये लोग अपने आप को “परफेक्ट” का लेबल दे चुके होते हैं।
“देखा! उसने कैसी साड़ी पहनी थी।” “देखा कैसे चलती है, कैसे बैठती है।” झुमके, चप्पल, बोलने के हावभाव, सब कुछ नोटिस करते हैं ऐसे लोग। खासकर महिलाओं के सापेक्ष्य में। साथ ही साथ ये प्रश्नों का बैंक भी साथ लिए घूमते हैं। जहां गुंजाइश मिली, वहाँ एक प्रश्न छोड़ कर आ जाते हैं।
साथ मिलकर रहना, संयुक्त रहकर काम करना इनके बस की बात नहीं। ये एक को नीचे दिखाकर दूसरे को चढ़ाने का काम करते हैं। गिरगिट जैसी प्रवृत्ति वाले ये लोग किसी के लिए भी विश्वासपात्र साबित नहीं होते। सबसे अपना काम निकलवाने में और काम पूरा हो जाने पर छोड़ देने की एक अजीब सी बीमारी के शिकार होते हैं ये लोग।
उम्मीद है लेख पढ़कर आपको भी बहुत से लोगों की विशेषताएं मेल खाती हुई दिखी होंगी। बस उनसे दूरी बनाये रखें। ऐसे लोगों के जाल में फंसने से बचें। और अगर आपके भी पास हो ऐसे और लोगों की लिस्ट तो मुझे भी बताइयेगा।
“खुश रहें और खुश रखें”….. !
मूल चित्र : anitha devi from Getty Images via Canva
Now a days ..Vihaan's Mum...Wanderer at heart,extremely unstable in thoughts,readholic; which has cure only in blogs and books...my pen have words about parenting,women empowerment and wellness..love to delve read more...
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