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' माँ ,माँ ही होती है' - एक माँ की ममता का वर्णन करती कविता
‘माँ, माँ ही होती हैं’ – एक माँ की ममता का वर्णन करती कविता
चिरैया मेरी, तेरे चहरे की मासूमियत हमेशा लोगों को लुभाती रहे। चिरैया मेरी, तेरी आँखों की झिलमिलाहट, तुझे हमेशा ख्वाब दिखती रहे। चिरैया मेरी, तेरी हँसी से हँसे इस जहान की सारी वादियां।
जो कभी तू एक पल को भी रोए तो पूरी दुनिया तुझे बहलाती-फुसलाती रहे। चिरैया मेरी, जिंदगी में मुश्किलों से मुलाकात तो तेरी भी होगी,
मगर तेरी हर एक मुश्किल तुझे बेहतर इंसान बनाती रहे। चिरैया मेरी, उड़ना ऐसे की ये सारा आसमाँ तेरा ही तो है
बहना ऐसे की समंदर कि हर एक लहर तुझको देख- देख इतराती रहे। लेकिन चिरैया इन सबके बीच जो कभी भी तू खुद को अकेला पाये,
तो याद रखना घर पे तेरी माँ बैठी है तेरे लिए रैन बिछाये,
कि तू कब घर वापिस आये और आके माँ को गले लागए।
दुनिया में हर एक महिला की अपनी हजारों ख्वाइशें हैं, और हर एक ख्वाइश अपने में अलग और अनोखी।लेकिन जब वही महिला एक माँ के रूप में अपना सफर की शुरुआत करती है तो न जाने कैसे सबकी ख्वाइशें एक ही दिशा में जाती हैं।सच ही कहते हैं माँ, माँ ही होती हैं चाहे किसी भी देश से हो,चाहे कौनसी भी भाषा बोलती हो।चाहे कैसी भी दिखती हो।चाहे कैसे भी रहती हो।लेकिन माँ, माँ ही होती हैं।
मूल चित्र : pexels
Sunidhi Dixit is a Certified Phonics Trainer,Freelance Writer,Storyteller & Voice Over Artist. read more...
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