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नारी तू उठ-चल उठ, अपनी पहचान बना, डर मत, कुछ कर, तू पढ़, आगे बढ़, मत पीछे हट, तू बोलेगी, मुँह खोलेगी, तभी ज़माना बदलेगी।
नारी तू उठ, डर मत, कुछ कर, तू पढ़, आगे बढ़, मत पीछे हट।
तू बोलेगी, मुँह खोलेगी, तभी ज़माना बदलेगी।
लज्जा है तेरा गहना, पढ़ाई को अब अस्त्र बना।
तू ही अबला, तू ही सबला, अब तू बन कल्पना चावला।
तू ही दुर्गा, तू ही लक्ष्मी, तू ही सीता, दुष्टों के संहार का है, तेरे में हौंसला।
तोड़ कर ज़ंजीरों की बेड़ी, तू बन किरन बेदी।
तू देश की आन-बान-शान है, तू ही ऊषा, इंदिरा और प्रतिभा है।
मत हार हौसला, मत घबरा, तू बन मदर टरेसा।
तू ही सावित्री, आशा, नीता, लता, सब कुछ है तुझको पता।
तू ही सानिया, मैरी, नेहा, दीपिका, चल उठ, अपनी पहचान बना।
देश का नाम रोशन कर, तू ही ऐश, लारा, सुष्मिता।
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