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भारत में एकल अभिभावक के लिए चाइल्ड एडॉप्शन : अकेली हैं और बच्चा गोद लेना का सोच रही हैं तो पढ़िए आपको क्या जानना अनिवार्य है?
भारत में एकल अभिभावक के लिए चाइल्ड एडॉप्शन : अकेली हैं और बच्चा गोद लेने का सोच रही हैं तो पढ़िए आपको क्या जानना अनिवार्य है?
अनुवाद : कनुप्रिया कुमार
द इंडियन एसोसिएशन फॉर प्रमोशन ऑफ एडॉप्शन एंड चाइल्ड वेलफेयर की रिपोर्ट बताती है कि गोद लेने वाली एकल महिलाओं की संख्या भारत में लगातार बढ़ रही है। सवाल यह है कि क्यों? इसका उत्तर है एक परिवार के लिए सार्वभौमिक इच्छा होना। इसलिए हम लाये हैं एकल अभिभावक और चाइल्ड एडॉप्शन से जुड़ी कुछ जानकारी।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जो २००६ में संशोधित हुआ )के तहत, गोद लेने का अर्थ है, “जिस प्रक्रिया के माध्यम से गोद लिया गया बच्चा स्थायी रूप से अपने जैविक माता-पिता से अलग हो जाता है और सभी अधिकारों, विशेषाधिकारों और जिम्मेदारियों के साथ अपने दत्तक माता-पिता का वैध बच्चा बन जाता है।”
-भारत में सभी गोद लेने के मुद्दों को सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा शासित एक स्वायत्त निकाय है।
-सिंगल मदर और गोद लिए गए बच्चे के बीच न्यूनतम आयु का अंतर 21 साल आवश्यक है, यदि वे विपरीत लिंग के हैं तो।
-एक एकल माता-पिता की आयु 30 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए, यदि वह 0-3 वर्ष की आयु का बच्चा गोद लेना चाहता है। 3 वर्ष से बड़े बच्चे के लिए ऊपरी सीमा 50 है।
-एकल माता-पिता के पास अतिरिक्त परिवार का समर्थन होना चाहिए।
-नियमों के अनुसार दत्तक माता-पिता को चिकित्सकीय रूप से फिट और वित्तीय रूप से व्यवस्थित होना चाहिए।
१९५६ के हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस ऐक्ट के अनुसार भारतीय नागरिक जो हिंदू, जैन, सिख या बौद्ध हैं, उन्हें किसी विशेष लिंग के एक से अधिक बच्चे को गोद लेने की अनुमति नहीं है।
१८९० के गार्डियन एंड वार्डस ऐक्ट के अनुसार विदेशियों, अनिवासी भारतीयों और उन भारतीय नागरिकों के लिए जो मुस्लिम, पारसी, ईसाई या यहूदी हैं, माता-पिता केवल 18 वर्ष की आयु तक बच्चे के अभिभावक हो सकते हैं। किसी भी मान्यता प्राप्त निजी प्लेसमेंट एजेंसियों, शिशु-गृह या राज्य दत्तक ग्रहण प्रकोष्ठों से एक बच्चे को गोद लिया जा सकता है ।
गोद लेने वाली एजेंसियां:
मैंने अपनी शादीशुदा आंटी, जिनकी गोद ली हुई बेटी है, उनसे पूछा, कि गोद लेने वाली एजेंसियों के बारे में उनके क्या विचार थे। “यह मेरे लिए अच्छा साबित हुआ है,” उन्होंने कहा। जब मैंने उनसे अगला सवाल पूछा, “और, एक अकेली माँ के लिए?” तो यह उनका जवाब था, “मुझे पुणे में किसी के बारे में पता है जो अभी बच्चा गोद लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन ये उसके लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है। वे किसी न किसी बहाने उसकी प्रक्रिया में देरी करते रहते हैं।”
पर अब वह अकेली नहीं है। भारत में एकल महिलाओं को बच्चे अपनाने की अनुमति है। कानून होने के बावजूद देश भर में कई एजेंसियां हैं जो एकल महिलाओं के लिए इसे कठिन बनाती हैं।
परिवार
कलकत्ता की एक बाल-मनोचिकित्सक, जिनका ख़ुद का भी एक गोद लिया हुआ बच्चा है, उन्होंने हमें बताया कि वे कुछ तलाकशुदा एकल माताओं के बारे में जानती हैं, जिन्होंने, अपने ही माता-पिता से सबसे बड़ी बाधा का सामना किया। उनके माता-पिता ने कहा कि वे गोद लिए गए बच्चे को पिता नहीं दे कर स्वार्थी हो रहीं थीं और उन्हें जल्द ही दोबारा शादी करनी चाहिए।
एक बच्चे को पालने के लिए माता-पिता दोनों ही ज़रूरी है, यह बात हमारे दिमाग में इतनी अंतर्ग्रस्त हो गयी है कि समाज में किसी के लिए भी अकेले मातृत्व को आसानी से स्वीकार करना कठिन है।
समाज
कुछ साल पहले मैं एक महिला के घर किराएदार थी। वे एक एनजीओ में काम करती थीं। मैंने उनसे एकल मातृत्व की बाधाओं पर उनके विचार पूछे। उन्होंने कहा, “एकल माताओं के बारे में अभी भी विचार बहुत संकीर्ण हैं। हर कोई पिता के बारे में जानना चाहता है।“ दुर्भाग्यपूर्ण, लेकिन यही सच है। इस प्रकार भारत में अधिकांश एकल माताओं द्वारा सम्मान की लड़ाई शुरू होती है।
स्कूल
कुछ संस्थानों ने दाखिले के दौरान मां के मध्य या प्रथम नाम के उपयोग को अनिवार्य रूप से लागू किया है। लेकिन अभी भी कई ऐसी संस्था हैं जो बच्चे के जन्म प्रमाण-पत्र पर पिता का नाम नहीं होने पर दाखिले से इनकार कर देती हैं।
वर्क-लाइफ
एक अकेली महिला के लिए, बच्चे के साथ रहने की प्रक्रिया आसान नहीं होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि, अब तक वह बच्चे की ज़िम्मेदारी से मुक्त एक स्वतंत्र इंसान थी, और अब उसके जीवन में एक बच्चा है। ये एक बहुत ही बड़ा बदलाव है। यह परिवर्तन एक एकल महिला के लिए आसान प्रक्रिया नहीं है। मातृत्व की बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं।
यहां तक कि जब घर के काम को साझा करने के लिए एक और साथी उपलब्ध होता है, तो भी एक माँ की भूमिका थकाने वाली होती है। सह-पालन की अपनी चुनौतियां हैं, पर सिंगल पेरेंटिंग भी सिंगल मदर को बहुत तनाव दे सकती है। थका देने वाले लम्बे दिन के काम के बाद एकल माताओं को भी एकांत का क्षण चाहिए। ऐसे में यदि वे बच्चे को पर्याप्त समय नहीं दे पा रही हैं, तो वे ख़ुद को अपराधबोध महसूस कर सकती हैं।
बच्चे के सामने खुलासा करना
मेरे कॉलेज के प्रोफेसर की एक दोस्त भाग्यशाली थीं कि उसे माता-पिता का अपेक्षित सहयोग मिला। हालाँकि, उसकी सबसे बड़ी बाधा तब आई, “जब मेरे कुछ दोस्तों ने मेरे बच्चे को यह बताने का फैसला किया कि उसे गोद लिया गया था और वो भी इससे पहले कि मुझे अपने बच्चे को समझाने का मौका मिले।” बच्चे को कब, क्या बताना है, इसका फैसला सिर्फ और सिर्फ उसकी माँ का होना चाहिए।
गैर सरकारी संगठन
सुदत्त जैसे कई गैर-सरकारी संगठन भारत में एकल महिलाओं को जीवन के इस बदलाव जूझने में मदद करते हैं। एक एनजीओ के साथ जुड़ने से आपको अन्य समान विचारधारा वाली महिलाओं की एक सप्पोर्ट ग्रुप द्वारा मदद मिल सकती है जो अपने अनुभव और सलाह को आपसे साझा कर सकती हैं।
इंटरनेट
वेब पर विश्व स्तर पर विभिन्न समूहों पर चैट और सूचना साझा करने की निरंतर उपलब्धता बहुत मदद करती है। उदाहरण के लिए, पीपुल्स ग्रुप फॉर चाइल्ड एडॉप्शन इन इंडिया में 700 से अधिक ऑनलाइन सदस्य हैं जो बच्चा गोद लेने वालों को सलाह देते हैं।
पढ़ना
गोद लेने की किताबें अच्छे मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकती हैं। इनमें से कुछ हैं: टॉडलर एडॉप्शन : द वीवर्स क्राफ्ट-मेरी हॉपकिन्स एडॉप्शन इन इंडिया : पॉलिसीस एंड एक्सपेरिएन्सेस-विनीता भार्गव ट्वेंटी थिंग्स एडोप्टेड किड्स विश देयर अडोप्टिव पेरेंट्स न्यू-शेर्री एल्ड्रिज
अच्छी तरह से तैयारी करें
दत्तक एजेंसियों के संदेह के साथ-साथ दूसरों द्वारा उठाए गए सवाल तब कम हो जाएंगे जब वे देखेंगे कि आप एक बच्चे को अपनाने में कितने तैयार, प्रतिबद्ध और आश्वस्त हैं। अपनी वित्तीय स्थिति की सूक्ष्मता से मूल्यांकन करें ताकि आप एजेंसी को यह दिखा सकें कि आप भविष्य में अपने बच्चे के पोषण की योजना कैसे बनाती हैं। अपने जीवन में एक नए व्यक्ति का स्वागत करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करें।
उन सभी महिलाओं को सलाम जिन्होंने गोद लेने के माध्यम से मातृत्व को अपनाया है। आपका फ़ैसला वास्तव में दिल से लिया गया है। एकल अभिभावक और चाइल्ड एडॉप्शन से जुड़ी ये जानकारी आपके लिए है।
‘क्या तुम जानती हो’ के इस वीडियो में पूजा से जानिए एकल अभिभावक और चाइल्ड एडॉप्शन के बारे में
मूल चित्र : Still from the short film, Dost – Safi Mother – Daughter, YouTube
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