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ये ज़िद्द है हमारी घर-संसार अपना बचाने की, तभी तो इतना गिड़गिड़ाते हैं, रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं, नहीं तो खुद्दार हम भी बहुत हैं।
थोड़ी ही सही मन में अपने जगह दो। थोड़ी ही सही मन में अपने जगह दो, क्षणभर को ही सही, लम्हों में अपने पनाह दो।
ये चाहत है हमारी, जो तुमको तवज्जो देती है। ये चाहत है हमारी, जो तुमको तवज्जो देती है, नहीं तो वक़्त मेरा भी कीमती बहुत है।
हम व्यापार करते नहीं जज़्बातों का। हम व्यापार करते नहीं जज़्बातों का, नहीं तो खरीदार बहुत हैं।
साथ हैं एक छत के नीचे, सिर्फ अपनेपन की चाहत को। साथ हैं एक छत के नीचे, सिर्फ अपनेपन की चाहत को, नहीं तो रात गुज़ारने को मिलते आशियाने बहुत हैं।
रिश्तों को सींचा जाता है, प्यार और विश्वस की बरसात से। रिश्तों को सींचा जाता है, प्यार और विश्वस की बरसात से, सिर्फ पैसों के दम पर, घर बसते नहीं।
ये ज़िद्द है हमारी घर-संसार अपना बचाने की। तभी तो इतना गिड़गिड़ाते हैं। लातमार कर ठुकराने में वरना, कौन सी ताकत है।
रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं। रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं, नहीं तो खुद्दार हम भी बहुत हैं।
My name is Indu. I am a computer engineer by profession and qualification. I am also a very analytical person and have interests in analyzing the things from a different perspective which convince me to read more...
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