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सिर्फ कन्या पूजन ही न करें वरन अपने लड़कों को सही संस्कार दें जिससे वो महिलाओं पर शासन नहीं अपितु उनकी भावनाओं का आदर करें।
नवरात्रों मे कन्या पूजन आजकल बहुत प्रचलित हो रहा है। इन दिनों कन्याओं को अच्छे से अच्छा खिलाने व गिफ्ट्स देने की होड़ सी रहती है। गरीब से गरीब भी, कन्या का सत्कार एवं पूजन करके फेसबुक पे स्टेटस डाले, फोटोज़ डालीं, और इतिश्री। शेष दिनों मे फिर वही बर्ताव, छोटी से छोटी लड़कियां भी सुरक्षित नहीं हैं।
इस समाज में कितनी ही कुरीतियां हैं जिनसे सिर्फ लड़कियों को जूझना पड़ता है, फिर चाहे वो शिक्षा हो, पहनावा हो, या फिर शादी। कई परिवारों में पहले मेल चाइल्ड को शिक्षा में वरीयता दी जाती है, फिर फिमेल चाइल्ड को। पुरुषों में तो हैवानियत की हद है, एक वर्ष की लड़की हो या फिर ज़्यादा की, वो उनके बीच सुरक्षित नहीं है।
हद तो तब होती है जब किसी तरह लड़की को पढ़ा-लिखा के और घर के व बाहर के सभी कामों मे निपुण कर के, शादी में जीवन भर की कमाई भी लगाने के बाद, लड़के वाले और कभी-कभी लड़का भी लड़की और उसके परिवार वालों में हजारों कमियां निकालता है, और लड़कियों को, सब सहना पड़ता है। सब, सिर्फ समाज के डर से, क्योंकि लड़की चाहे लाख पढ़ी-लिखी हो, कमाई भी कर रही हो, लेकिन उसे सुरक्षित रहने के लिए पति के टैग की ज़रूरत है। हमारा समाज कितना विकृत हो गया है कि अकेली महिला को वो अच्छी नज़र से देखता ही नहीं। समाज या पुरुषों को किसने ये हक दिया कि वो महिला को जज करें। उसे अपने बनाए नियमों मे बाँधे।
आज कुछ परिवर्तन हो रहा है, लेकिन गति बहुत धीमी है। इसमें महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। सिर्फ कन्या पूजन ही न करें वरन अपने लड़कों को सही संस्कार दें जिससे वो महिलाओं पर शासन नही अपितु उनकी भावनाओं का आदर करें। बिना दहेज अपनी सामर्थ के अनुसार ही अपने बेटे का विवाह करें। बहू को बेटी नही अपितु एक इन्सान समक्ष उससे इन्सानियत बरतें।
बन्द करें ये कन्या पूजन। कन्या को पूजन नहीं सुरक्षा व सम्मान चाहिए। चाहे वो मां के गर्भ में हो या समाज में।
मूल चित्र : Pexels
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