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डमी क्या चीज़ होती है जी

"भाभी को सरपंच पद पर चुनाव में खड़ा कर दीजिये भैया। इससे चित और पट दोनों आप ही के रहेंगे। है कि नहीं?"

“भाभी को सरपंच पद पर चुनाव में खड़ा कर दीजिये भैया। इससे चित और पट दोनों आप ही के रहेंगे। है कि नहीं?”

“वैसे ही इस बार माहौल खराब है, ऊपर से पार्टी को मेरी ही सीट मिली महिला आरक्षण में सड़ाने के लिए?” पार्टी के जिला उपाध्यक्ष से तिलमिलाकर बोल रह थे जयराज सिंह, उर्फ मोहनपुर क्षेत्र के बाहुबली सरपंच। 

आने वाले पंचायत चुनाव में मोहनपुर पंचायत का पद महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया था, तो फिर जिला उपाध्यक्ष भी क्या करते? ऐसे में उनको हाई कमांड से वर्तमान सरपंच को समझा-बुझा कर लाइन में लाने का भारी दायित्व मिला था।

देर से उपाध्यक्ष अपना शांत गर्दन हिला-हिला कर जयराज के शब्दों के साथ अपना सम्मति जता रहे थे, “अरे भाई गुस्सा न कीजिये, अब सरकारी आदेश तो मानना पड़ेगा कि नहीं, बोलिये? पर, अभी भी आप एक काम कर सकते है।”

बातचीत के बीच कमरे में शरबत वगैरा परोसने पहुंचे जयराज की धर्मपत्नी सुमती को देख कर उपाध्यक्ष रुक गए, “भाभी जी नमस्ते!”

उत्तर में भाभी जी अपनी घूंघट की आड़ से नमस्ते दिखा कर चली गईं।

तभी उपाध्यक्ष जयराज के आंखों में देख कर धीमे से बोले, “भाभी को सरपंच पद पर चुनाव में खड़ा कर दीजिये भैया। इससे चित और पट दोनों आप ही के रहेंगे। है कि नहीं?”

बात पते की थी और जयराज को पसंद भी आयी। रात को बिस्तर पर, सुबह के प्रस्ताव के बारे में उन्होंने पत्नी से कहा, “पार्टी और मैं दोनों चाहते हैं, कि तुम मेरा डमी कैंडिडेट बन कर इस बारी चुनाव लड़ो। तुम एक बड़े नेता की धर्मपत्नी हो।”

एक लम्बी चौड़ी भाषण का शुरुआत हो ही रही थी कि सुमती नींद में खोने लगी। खोते-खोते उसने पति से पूछा, “डमी क्या चीज़ होती है जी?”

‘पुतला’ शब्द बोलना वर्तमान स्थिति में जयराज को मुनासिब न लगा और वह बोले, “डमी मतलब प्रतिनिधि होता है मेरी गुड़िया। तुम मेरी सबसे महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हो।”

पति का प्यार और डमी शब्द अधसोई सुमती के तन-मन में चकराने लगा।

जयराज अब पूरे जोश के साथ पत्नी को जितवाने में जुट गए। घुँघटवती के सैंकड़ो फ्लैग, पोस्टर और फ्लेक्स गांव-गांव में लगाये गये। कभी पति, तो कभी पार्टी-कर्मियों के साथ सुमती जनता से मिलने जाने लगी और अपने अंदाज़ में पति के समर्थन में वोट भी मांगने लगी।

विपक्ष की उम्मीदवार, रीता कुमारी ने इस मुद्दे को इतनी दूर उछाला कि शहर से एक पत्रकार गांव में सुमती का इंटरव्यू लेने पहुँच गया।

पत्रकार ने उससे पूछा, “आप खुद उम्मीदवार हैं, तो पति के लिए वोट क्यों मांग रही हैं?”

दर्जनों से ज़्यादा सभा कर चुकी सुमती में अब एक अभूतपूर्व आत्मविश्वास देखने को मिल रहा था, तो वो डट कर बोली, “ मैं उनका डमी हूँ। सबसे बड़ी डमी। मैं उनके लिए वोट न मांगू तो और कौन मांगेगा?”

बात सुनते ही पत्रकार हा हा हा कर के हँस पड़ा। हँसी की गूंज तेज़ी से हर चैनल, अखबार और राजनीत के गलियारों में बड़ी ज़ोर से सुनाई देने लगी। जयराज को पार्टी से गम्भीर फटकार मिली। नतीजतन उसने अपना बाहुबल पत्नी और चुनाव दोनों पर खूब दिखाया।

तीन महीने बाद सुमती सरपंच बन चुकी थी। डमी शब्द का अर्थ उसे अब पूरा पता चल चुका था।

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Suchetana Mukhopadhyay

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