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अब सब ये समझ जाएँ कि ज़बरदस्ती से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा, अगर मैं 'ना' करूँ तो वो सिर्फ 'ना' है और 'मैं नहीं हूँ तेरी किरण!'
अब सब ये समझ जाएँ कि ज़बरदस्ती से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा, अगर मैं ‘ना’ करूँ तो वो सिर्फ ‘ना’ है और ‘मैं नहीं हूँ तेरी किरण!’
हमारे समाज मैं इस बात का बहुत प्रचलन है कि ‘लड़की की ना में ही हाँ होती है।’ हमारी मूवीज़ से लेकर हमारा समाज हमें यही सिखाता है कि अगर लड़की ना माने तो उसका पीछा करो, उसे छेड़ो तो वो मान जाएगी। अभी जानी मानी भोजपुरी एक्ट्रेस ऋतु सिंह की एक सिरफिरे आशिक़ को शादी के लिए मना करने के बाद उसके द्वारा एक्ट्रेस को किडनैप कर लेना इसी ‘लड़की की ना में हाँ होती हैं’ मानसिकता का प्रमाण है।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में एक सिरफिरे आशिक ने, अभी कुछ दिन पहले ही, भोजपुरी फिल्मों की अभिनेत्री को दो घंटे के लिए बंधक बना लिया। हालांकि पुलिस ने कुछ समय बाद उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधीक्षक, सलमान ताज पाटिल ने बताया कि राबर्टस गंज कोतवाली के अंतर्गत, नगर के एक होटल में सुबह उस समय अफ़रा-तफ़री मच गई जब भोजपुरी फ़िल्म की शूटिंग के लिए यहां आई अभिनेत्री ऋतू सिंह के कमरे में सिरफिरा आशिक पंकज यादव बुरी नीयत से घुस गया और अभिनेत्री को बंधक बना लिया।
आशिक ने फ़िल्म की हीरोइन ऋतु से शादी की मांग को लेकर उसको गन प्वाइंट पर बंधक बना लिया था। ऋतु सिंह भोजपुरी की सबसे बिज़ी सितारों में से है और उनकी इस साल कई फिल्में भी रिलीज़ होने जा रही हैं।
खबरों के मुताबिक इस दौरान उसने कमरे के अंदर से फायरिंग भी की। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार पुलिस उसे गिरफ्तार करने में सफल रही। युवक से पिस्तौल बरामद हुई। पाटिल ने बताया कि उस शक़्स की चलाई गोली से एक युवक घायल हो गया, जिसका इलाज ज़िला अस्पताल में चल रहा था। होटल में फ़िल्म प्रोडक्शन यूनिट के सत्तर से अस्सी लोग रुके हुए थे। अभिनेत्री ऋतू सिंह ने बताया कि आरोपी दो-तीन साल से उसका पीछा कर रहा था और उस पर शादी करने का दबाव भी बना रहा था।
घटनास्थल पर पुलिस बल के साथ पहुंचे पुलिस अधीक्षक घंटों की मशक़्क़त के बाद किसी तरह से पंकज को समझा-बुझाकर कमरे में तो दाख़िल हो गए लेकिन उसने पुलिस अधीक्षक पर भी गोली चला दी, जो उन्हें नहीं लगी। उसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अभिनेत्री ने बताया कि उसने मुंबई पुलिस में भी आरोपी की शिकायत कर रखी थी।
लड़की की ‘ना’ में ‘ना’ ही होती हैं
हमारे समाज में क्या यही सिखाया जाता है कि अगर किसी लड़के को कोई लड़की पसंद है तो वह उसका पीछा करे, छेड़े और उसकी ना-हाँ में बदल जाएगी? क्यूंकि इंकार करना तो लड़की का स्टाइल होता है? आखिर ‘होंठों पे ना दिल में हाँ होएंगा’ ही तो हमे हमारी फिल्मों ने सिखाया है।
आज के समय में जब कंसेंट का महत्त्व बहुत बढ़ चूका है और औरत की इच्छा का मान रखने की सबको सिख दी जा रही है, फिर भी भोजपुरी एक्ट्रेस ऋतू के, उनके आशिक़ को, ना कह देने पर, उसके द्वारा ज़बरदस्ती से हाँ करवाने का प्रयतन हमें इस सोच में डालता है के मर्द और समाज आखिर कब एक औरत की ‘ना’ को ‘ना’ समझकर उसका सम्मान करना शुरू करेंगे?
बहरहाल, अब बस हमें ये समझने की ज़रुरत है कि जबरदस्ती से किसी को कुछ हासिल नहीं होता, क्यूंकि, अब मैं अगर ‘ना’ करूँ तो वो सिर्फ ‘ना’ है और ‘मैं नहीं हूँ तेरी किरण!’
मूलचित्र : Unsplash
I read, I write, I dream and search for the silver lining in my life. Being a student of mass communication with literature and political science I love writing about things that bother me. Follow read more...
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