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हे नारी ज़िंदगी की हर प्रताड़ना को अंदर से निकाल, तू बाहर निकल स्वच्छंद बना अपनी पहचान, एक मिसाल कायम कर बन परिवार व देश की ढाल।
हे नारी ज़िंदगी की हर प्रताड़ना को अंदर से निकाल, तू बाहर निकल, स्वच्छंद बना अपनी पहचान, एक मिसाल कायम कर, बन परिवार व देश की ढाल।
हे आज की नारी, है सब पर भारी, तू बाहर निकलने की कोशिश तो कर, जिंदगी की दास्तां भरी प्रताड़ना को तोड़कर, होम मेकर कहते तुझे, उसी परिभाषा को करना है सच।
हे नारी तुझे बनना है, अब मजबूत, बेटी के लिए करना होगा, अनूठा स्थापित आदर्श, बेटे को देना होगा, तुझे सही ज्ञान, तभी तो वह देगा, अपनी जीवन संगिनी को सम्मान।
मानव सभ्यता के लिए, उपहार से कम नहीं तुम, प्रकृति के हर मनमोहक, रंग-रूप में समायी हो तुम, नव सृजन की क्षमता तुझमें, पालनहार हो तुम, आर्थिक कल्याण की हो लक्ष्मी, सर्वोच्च भूमिका हो तुम, हाथों में नैसर्गिक जादू है तेरे, स्वाद की अन्नपूर्णा हो तुम।
दूसरे के लिए दुआ मांगने में, आगे रहती सदा, हर स्थिति से निपटते, जीवित रहने की अदा, नारी के मायने बताती सबको, आए कोई विपदा रिश्तों को देती सही दिशा, खाली मकान को बनाती घर, तभी तो प्रेम मूर्ति बन, सबके दिलों में रहे सदैव जिंदा।
जीवन की तू ही तो है, बेहतर सलाहकार बना रही अलग पहचान, छायी है फूलों की बहार सही प्रबंधन, धैर्य का सागर, पढ़ लेती चेहरे का भाव, अंदरूनी कमजोरियों को कर दूर, हर क्षेत्र में तेरा कर्मशील रख-रखाव।
हे नारी, फिर तुम, क्यों होती हो प्रताड़ित, कर अपने को सशक्त, बना अपनी अलग पहचान, कर धारण हृदय में, सशक्त ज्ञान रूपी अस्त्र, बढ़ा आत्मबल, संवार भीतरी दीवार, अपने हृदय के, ब्रम्हांड की लौ को जला, अब न बन तू अबला, जब निहित है तुझमें ज्वाला।
प्रेम रूपी दीपक से अपने, अलौकिक शक्ति को कर सर्वत्र उजागर, क्योंकि तू ही तो है, जीवन की हर साधना, पिछले इतिहास को छोड़, कर उज्जवल भविष्य की कामना, तभी तो तेरे जीने का, मकसद होगा पूरा, होगी पूजा रूपी, तेरी सफल आराधना।
मूलचित्र : Pixabay
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