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यादों का पिटारा

यादें मरा नहीं करतीं, ये हमेशा दिलों में ज़िंदा रहती हैं, ये हमेशा दिलों में ज़िंदा रहती हैं...

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यादें मरा नहीं करतीं, ये हमेशा दिलों में ज़िंदा रहती हैं, ये हमेशा दिलों में ज़िंदा रहती हैं…

आज फ़ुर्सत से

दिल की संदूकों को जब खोलकर देखा

यादों से लिपटी कई तस्वीरों को देखा

कुछ किस्से पड़े थे कोने में

कुछ रिश्ते झाँक रहे थे छुप-छुप के

पापा की फ़िक्र

माँ का दुलार

भाई-बहन का प्यार

रिश्ते-नातों का भंडार

कुछ खट्टी कुछ मीठी बातें आयी उमड़ के सामने

जो सदियों से दबी थीं मुलाक़ातों की पुस्तक तले

हैरान नज़रों से ताक रहे थे कुछ अधूरे वादे

पूछ रहे थे सौ सवाल वो नेक इरादे

चहक उठा वो सोता हुआ बचपन भी

मुस्कुरा उठे गुड्डे-गुड़िया

हँस दिए सारे खिलौने

धूल में लिपटी हुई वो साइकिल भी बोली

चल, चलेगा क्या दोस्तों की गली

इतनी हलचल सुन

जाग उठे मन के सारे अरमान

जैसे खुल गया हो यादों का पिटारा सा

लग गया हो जज़्बातों का मेला सा

मानो लौट आया बचपन वो प्यारा सा

खिलखिलाया आज फिर आँगन मेरा

लेकर यादों की बारात

आज भी

जब जी चाहे चल पड़ता हूँ उन गलियों में

जहाँ शाम बड़ी सुहानी लगती है

मौजों की रवानी सी लगती है

कितना भी दूर जायें हम

कितना भी भूल जायें हम

यादें आज भी दस्तक देती हैं

तन्हाई में साथ ना छोड़तीं

ग़म में भी मुँह ना मोड़तीं

क्योंकि

यादें मरा नहीं करतीं

ये हमेशा दिलों में ज़िंदा रहती हैं

ये हमेशा दिलों में ज़िंदा रहती हैं

मूलचित्र : Pixabay 

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Rashmi Jain

Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...

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