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हमने भी तो अपने पति से ये सब चाहा है, फिर हम अपनी बहू के प्रति उसके अधिकार को इस घर पर कब्ज़ा करना क्यों समझें?
कविता आज बहुत थका हुआ महसूस कर रही थी। पूरा दिन शॉपिंग में ही निकल गया, फिर भी वो बहुत चिंता में थी। बेटे की शादी को बस एक ही हफ्ता रह गया था और अभी बहु के गहने भी तैयार नहीं हुए थे। उसने ज्वेलर को फ़ोन लगाया और बोली, “शर्मा जी कल तक सारे जेवर घर पहुँचवा देना।”
इसके बाद उसने अपनी सभी सहेलियों को फ़ोन किया। दो दिन बाद बेटे का लेडीज़ संगीत था वो अपनी सभी जान-पहचान की औरतों को बुलाना चाहती थी, आखिर रजत उसका इकलौता बेटा था। शादी की इच्छा कब से उसके मन में थी। वो भी चाहती थी कि बहु के साथ वो अपनी सारी इच्छाएँ पूरी करे जो एक बेटी के साथ होती हैं, आखिर बहु भी तो बेटी ही होती है। उसकी यही सोच रजत को भी अपनी माँ के ऊपर गर्व महसूस करवाती थी, इसलिए रजत ने अपनी कंपनी में साथ काम करने वाली नीलू को अपना जीवन साथी बनाने का फैसला बिना किसी संकोच के माँ के सामने सुना दिया। कविता भी बेटे की पसंद से खुश थी आखिर कविता ने बेटे को बड़े प्यार से पाला था। रजत के पिता उसकी छोटी उम्र में ही, एक एक्सीडेंट में मौत होने के कारण, इस दुनिया से चले गए थे।
लेडीज़ संगीत का दिन भी आ गया था। कविता ने पूरे घर को दुल्हन की तरह सजाया था। उसकी सभी सहेलियां संगीत का खूब मज़ा ले रही थीं। संगीत खत्म होने पर कविता ने सभी को हाल में बुलाया। वहां उसने बहु को दिया जाने वाला सारा सामान, कपड़े, ज़ेवर, आदि सज़ा कर रखे थे। किसी चीज़ की कमी ना थी, लहेगा, सूट, जीन्स, साड़ी, सब एक से एक बढ़कर थे। सारा सामान देखकर कविता की सहेलियां दंग रह गयीं।
तभी पड़ोस में रहने वाली कोमल भाभी बोलीं, “अरे कविता तूने तो होने वाली बहु के लिए ऐसे शॉपिंग की है जैसे तेरी खुद की बेटी की शादी हो। अरे याद रख तेरे घर बहु आ रही है। अब तेरा तेरा नहीं रहेगा, वो तो बहु का हो जाएगा। और तू जो इस घर की मालकिन है, अब तेरी बहु ही इस घर पर कब्ज़ा करेगी। तेरी विरासत तो गयी हाथ से अपनी कुर्सी संभाल …”
कोमल की ये बात सुनकर आस-पास की औरतें भी उसकी हाँ में हाँ मिलाने लगीं। तभी कविता ने ज़ोरदार आवाज़ में कहा, “चुप रहो तुम सब। आखिर तुम्हारी सोच इतनी गंदी कैसे हो सकती है?क्या तुम किसी के घर में बहु बन के नहीं आयीं? क्या तुम लोगों ने भी किसी के बेटे को उसकी माँ से अलग नहीं किया? क्या तुमने भी…”
“कान खोलकर सुन लो, इस सोच के कारण ही आज समाज में बहु और सास के रिश्ते में दरार आ जाती है। आखिर मेरे बेटे की पत्नी, जो इस परिवार का हिस्सा बनने आ रही है, मेरे बेटे को मुझसे दूर कैसे कर सकती है? मेरे बेटे का फर्ज़ है कि वो अपनी पत्नी को ज़्यादा समय दे, उसे प्यार दे। आखिर हमने भी तो अपने पति से ये सब चाहा है, फिर हम अपनी बहू के प्रति उसके अधिकार को इस घर पर कब्ज़ा करना क्यों समझें?”
“अगर कोई मेरी बात से सहमत ना हो, तो उसे रजत की शादी में आने की कोई ज़रुरत नहीं। मैं अपने घर एक बेटी को ला रही हूँ, जो मेरे रजत की ज़िंदगी की डोर है।”
कविता की बात सुनकर सभी का सिर शर्म से झुक गया। पीछे खड़ा रजत ये सब बातें सुनकर अपनी माँ के गले लग गया।
मूलचित्र : YouTube
13 वर्ष की उम्र से लेखन में सक्रिय , समाचार पत्रों में कविताएं कहानियां लेख लिखती हूँ। एक टॉप ब्लागर मोमस्प्रेसो , प्रतिलिपी, शीरोज, स्ट्रीमिरर और पेड ब्लॉगर, कैसियो, बेबी डव, मदर स्पर्श, और न्यूट्रा लाइट जैसे ब्रांड्स के साथ स्पांसर ब्लॉग लिखती हूँ मेरी कहानियां समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए होती है रिश्तों के उतार चढ़ाव मेरे ब्लॉग की मुख्य विशेषता है read more...
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