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टूट कर भी नहीं बिखरने का नाम एकता भ्यान

एकता भ्यान - पैरालंपिक की एक गोल्ड मैडलिस्ट एथलीट और इनकी विशेषता, जीजिविषा और हौंसले अपरिमित।

एकता भ्यान-पैरालंपिक की एक गोल्ड मैडलिस्ट एथलीट और इनकी विशेषता, जीजिविषा और हौंसले अपरिमित।

एकता भ्यान की कामयाबी ऐसी है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ में भी इसका ज़िक्र कर उनका हौंसला बढ़ाया। सफलता की इस कहानी पर कोई भी मुग्ध हो जाए। दुनिया को यह कहानी जितनी अच्छी लगती है, उतना एकता के लिए यह सब आसान नहीं था।

शहर-ए-फ़िरोज़ा यानि हिसार की धरती पर जन्मी एकता की दर्द भरी कहानी की शुरूआत होती है साल 2003 से। उनकी आंखों में भी हर बारहवीं के विद्यार्थी की तरह डॉक्टर बनने का सपना था। वे और उनके छः दोस्तों ने मेडिकल परीक्षा की तैयारी करने के लिए दिल्ली में दाख़िला लिया था।

एकता आज भी उस दर्दनाक दिन को नहीं भूलीं। बक़ौल एकता, उस दिन वे अपने सभी मित्रों के साथ कार से कोचिंग जा रहीं थीं कि एक ट्रक उनकी कार पर आ गिरा। हादसे में मौके पर ही उनकी चार साथियों की मौत हो गई। इस दौरान एकता के रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई। तत्काल उन्हें इंडियन स्पाइनल इंजरी हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया। यहीं से भ्यान की संघर्षों से मंजिल तक पहुंचने की गाथा की शुरूआत होती है।

एकता को जानने वाले बताते हैं कि उनके लिए चोट से उबर पाना आसान नहीं था। उन्होंने अपने अदम्य साहस और चिकित्सक व परिवार के लोगों की मदद से पैरालिसिस को पैरालाइज कर दिया। एकता बताती हैं, अस्पताल में ही उन्होंने सोचना शुरु किया कि ‘मैं अभी भी चमत्कार करने में सक्षम हूँ’ और ‘घर पर नहीं बैठना है।’

इस दौरान डॉक्टरों और माता-पिता द्वारा दिए गए कुछ प्रेरक उदाहरणों ने उनके जीवन का दृष्टिकोण ही बदल दिया। एकता बताती हैं, अस्पताल के अध्यक्ष मेजर एचपी अहलुवालिया भी 1971 की लड़ाई में रीढ़ की हड्डी में चोट की समस्या से ग्रसित हो गए थे। मेजर अहलुवालिया ने एकता के हौंसले को गिरने नहीं दिया। उन्होंने उनके सपनों में जीत का मंत्र भरा। इसमें स्पाइनल इंजरी हॉस्पीटल के चिकित्सकों, काउंसलर्स और व्हीलचेयर पर बैठे मरीजों ने भी भरपूर साथ दिया। एकता कहती हैं, एक हंसती-खेलती दुनिया जब व्हील चेयर पर होती है तो, उसके दर्द को सिर्फ साझा ही किया जा सकता है। ऐसे में उनके माता-पिता हमेशा उन्हें आशा की किरण देते रहे। जिस पर आज वे काफी गर्व करती हैं।

एकता कहती हैं कि कुछ ऐसे मंत्र हैं जिनके सहारे उनकी कामयाबी का द्वार खुला। जैसे कि –

दिल्ली में डॉक्टरों द्वारा कहना, ‘घर पर नहीं बैठना है’, पिता द्वारा, ‘चलो कर के देखते हैं’ और ‘पढ़ती हुई अच्छी लगती है’, स्वयं द्वारा, ‘स्वावलंबी होना चाहती हूं।’ ख़ुद से उनका कहना, ‘जो बीत गई सो बीत गई, आगे जो होना है उसे देखते हैं’ और ‘मैं अभी भी चमत्कार करने में सक्षम हूं।’

एकता बताती हैं, उन्हें ख़ासतौर पर सर्वाधिक गर्व महसूस होता है जब लोग कहते हैं, ‘देखो एकता के मां-बाप जा रहे हैं।’

एकता इन व्यक्तियों को ख़ासतौर पर अपने जीवन के बदलाव का वाहक मानती हैं – उनके चिकित्सक, माता-पिता, कोच, और उनके अध्यापक।

एकता शिक्षा को सभी क्षेत्रों में सफलता की कुंजी मानती हैं। वे कहती हैं कि शिक्षा के कारण ही वे खेल के चयन के बारे में सोच पाईं। उन्होंने अंग्रेजी विषय में एम.ए किया है और स्नातक मनोविज्ञान में अपने बैच की टॉपर रहीं हैं। उनका मानना है कि कोई भी दर्द, चोट, बीमारी और हालात आपकी शिक्षा और लक्ष्य के बीच में बाधा नहीं बनने चाहिए। शिक्षा सभी क्षेत्रों के लिए सफलता की राह खोलती है। फिलहाल वे रोज़गार अधिकारी हैं। 2015 में उन्होंने खेल के माध्यम से क्लब र सीखना शुरू किया। वे कविताएं लिखती हैं और पेंटिंग भी करती हैं। उनका मानना हैं कि व्यक्ति को अपनी रुचि को जिंदा रखना चाहिए। ये आपके तनाव को कम करती हैं।

एकता की शैक्षणिक उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं – 2011 में खाद्य और आपूर्ति विभाग में लेखा परीक्षक के रूप में चयनित, हरियाणा सरकार में अंग्रेजी व्याख्याता के रूप में चयनित और 2013 में हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा के ज़रिये सहायक रोज़गार अधिकारी के रूप में चयनित।

एकता की खेल में कामयाबी – 2015 से खेल जगत में शुरूआत।

2016 की उपलब्धियाँ – जर्मनी के ग्रैंड प्रिक्स में क्लब थ्रो में रजत पदक, राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप, पंचकूला में क्लब थ्रो में गोल्ड, राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप, पंचकूला में डिस्कस थ्रो में गोल्ड।

2017 की उपलब्ध्यिं – राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप, जयपुर में क्लब थ्रो में गोल्ड, राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप, जयपुर में डिस्कस थ्रो में गोल्ड, दुबई में क्लब थ्रो में चौथा स्थान और एशिया स्तर पर नया रिकॉर्ड कायम किया, लंदन में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एशिया स्तर पर प्रथम और विश्व में छठा स्थान।

2018 की उपलब्ध्यिं – राष्ट्रीय चैंपियनशिप में क्लब थ्रो और डिस्कस थ्रो में दो स्वर्ण पदक, वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स ट्यूनीशिया में एक स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक, अक्टूबर एशियन पैरा खेलों में स्वर्ण पदक।

अगला लक्ष्य : 2020 में टोकियो ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना।

एकता बताती हैं कि इनकी जीत के मंत्र हैं :

-नियम तोड़ने वाले नहीं बनें।

-आपदा कितनी भी बड़ी हो जिंदगी चलती रहनी चाहिए।

-असहायों की सदैव मदद करें, नकारात्मक सुझावों से बचें।

-मरीजों और बेसहाराओ के लिए *उम्मीद की किरण बनें।

-गुस्से से दूर रहें।

-माता-पिता शक्ति हैं आपके उन पर भरोसा रखें।

-दूसरे ग्रह के प्राणी नहीं हैं दिव्यांग, हमारे समाज का हिस्सा हैं वे।

-सार्वजनिक स्थानों को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाएं। वे भी सिनेमा, रेस्तरां, खरीदारी और पार्टियों का लुत्फ उठाना चाहते हैं लेकिन बुनियादी ढांचे की सीमाएं उनके जीवन को सुखमय बनाने में बाधा उत्पन्न करतीं हैं। वे अद्वितीय ताकत वाले सामान्य लोग हैं। सभी शहर में स्पाइनल इंजरी हॉस्पीटल होना चाहिए ताकि लोगों को इलाज में परेशानी नहीं हो।

एकता को कई बार सम्मानित किया जा चुका है –

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मान

-खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौर द्वारा सम्मान।

-सामाजिक न्याय मंत्री थवार चंद गहलोत द्वारा सम्मान।

-निवासी कल्याण संघ (अर्बन इस्टेट) द्वारा सम्मान।

-वनप्रस्थ संगठन द्वारा सम्मान।

-ग्राम पंचायत जेवरा द्वारा सम्मानित।

-पिंकीश फाउंडेशन द्वारा सम्मान।

-मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हाथों सम्मानित।

-26 जनवरी मंत्री श्रम एवं रोजगार मंत्री सैनी के हाथों सम्मानित।

एकता का चयन राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भी किया जा चुका है। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा रहा है।

बहुगुणी एकता भ्यान वास्तव में हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

मूलचित्र : YouTube https://youtu.be/t7KAYGm6bss

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Dr .Pragya kaushik

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