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कमला भसीन के नारीवाद का मक़सद है सब की बराबरी, सब की आज़ादी, इसीलिए इस नारीवाद में हैं ट्रांसजेंडर और मर्द, हम महसूस करते हैं सब जेंडर्स और सेक्सेस के दर्द।
कमला भसीन के अपने शब्दों में :
मैं दो कारणों से नारीवाद को बहुवचन में लिख रही हूँ
एक तो इसलिए कि मुझे स्त्रीलिंग पुल्लिंग का न करना पड़े इस्तेमाल।
दूसरा इसलिए क्योंकि मेरी नज़र में एक नहीं, अनेक हैं नारीवाद
और मेरे नारीवाद में भी है कई नारिवादों का स्वाद।
मेरे नारीवाद जीवन जैसे सरल हैं पानी जैसे तरल हैं
जहां जैसी ज़रूरत होती है वहाँ वैसे हो जाते हैं
और, कहीं भी पितृसत्ता के आगे सर नहीं नवाते हैं।
बचपन में मैं नारीवाद शब्द को तो नहीं जानती थी
पर इनकी हक़ीक़त को पहचानती थी।
इसीलिए पितृसत्ता मुझे कभी रास न आई
उसकी सोच और करतूतें मुझे न भाईं।
जेंडर शब्द भी मुझे कहाँ आता था
मगर लड़की लड़के में फ़र्क किया जाना नहीं भाता था।
माँ बाप अच्छे थे, सो पहना वो जो मन को भाया
खेला वो जो जी में आया।
धीरे धीरे दुनिया देखी, करी पढ़ाई
फिर हौले हौले अपनी नारीवादी समझ बनाई।
मेरे नारीवाद वैचारिक हैं, नहीं हैं जिस्मानी
इसलिए औरत मर्द दोनों हो सकते हैं नारीवादी, गर है ठानी।
नारीवाद नहीं है औरत मर्द के बीच लड़ाई की कहानी
ऐसी अफ़वाहें तो हैं पितृसत्तात्मक शैतानी।
मेरे नारीवाद का मक़सद है सब की बराबरी सब की आज़ादी
जेंडर न कर पाए किसी की भी बरबादी।
इसीलिए मेरे नारीवाद में हैं ट्रांसजेंडर और मर्द
हम महसूस करते हैं सब जेंडर्स और सेक्सेस के दर्द।
मेरे नारीवाद के निशाने पर हैं सब तब्कियाती निज़ाम
पिदरशाही, जात, क्लास, रेस, सब का ही करना होगा काम तमाम।
चूंकि पितृसत्ता ग्लोबल भी है लोकल भी
मेरे नारीवाद भी लोकल भी हैं ग्लोबल भी।
मेरे लिए नारीवाद सफ़र भी है मंज़िल भी
यह आसान भी है मुश्किल भी।
नारीवाद विचारधारा भी है कार्य भी
यह जद्दोजहद हमारे अन्दर भी है बाहर भी।
नारीवाद चाहें वही जो कहता है हमारा संविधान
हो सब के लिए समानता, आज़ादी, अधिकार और सम्मान।
हम तोड़तीं नहीं परिवार, अमन चैन हर घर में हम तो चाहती हैं
तभी तो ज़ुल्मों ज़लालत को घर घर से हम हटवाती हैं।
कुछ सत्ता के दीवाने, समानता से घबराने वाले लोग
यूँ हीं बताते रहे हैं नारीवाद को एक रोग।
नारीवादी अर्बन, नारीवादी वेस्टर्न ऐसी अफ़वाहें लोग फैलाते रहे
हम मर्दों की दुश्मन, हम धर्मों की दुश्मन, हमें मर्दाना औरत बताते रहे
अब न तानों से डरें, अब न घुट घुट के मरें, एकता लाने के लिए, धूम मचाने के लिए।
मुलाक़ात न की, हम से बात न की, बिना समझे ही हम से हैं शिक़वे किये
हमें बुर्जवा कहा, एंटी-लेफ़्ट कहा, ऐसे कितने ही हम को हैं फ़तवे दिए
अगली पीढ़ी के लिए, कड़वे ये घूँट पिए, एकता लाने के लिए धूम मचाने के लिए।
आओ देखें ज़रा, नारीवाद है क्या, इतना हल्ला और इतना फ़साद है क्या
हमारी मांग है एक, बड़ी सीधी और नेक, ज़ुल्मों बंदिशों से होना चाहें रिहा
सोच के देखो ज़रा, इसमें क्या कुछ है बुरा, एकता लाने के लिए, धूम मचाने के लिए।
नारीवादी चाहें, औरतें मुक्ति पायें, हक़ बराबर के हों पूरा सम्मान हो
औरत आज़ाद हो, न वो बरबाद हो, नारी होने का उसको भी अभिमान हो
आओ ये नारा लगे, नारीवाद प्यारा लगे, एकता लाने के लिए, धूम मचाने के लिए।
औरों पर ऊँगली उठाने से पहले, करते हैं मेरे नारीवाद मुझ से सवाल
मेरे पितृसत्तात्मक विचारों, व्यवहारों, श्रृंगारों, रिश्तों पर मचाते हैं बबाल।
मैं नवाती हूँ सर नारीवाद को
क्योंकि समानता की बात और अधिकार दिए हैं हमें नारीवाद ने
आज़ादी से सोचना और बोलना सिखाया हमें नारीवादी संवाद ने
यह नारीवाद की देन है कि हम औरतें भी अब इन्सान मानी जाती हैं, सर उठा चल पाती हैं
मर्दों जैसे हम भी देश की बराबर की नागरिक मानी जाती हैं।
तो आओ दोस्तो, एक बार फिर से ये नारा लगे
हम सब इंसाफ़ पसंदों को नारीवाद प्यारा लगे।
कमला भसीन : एक संक्षिप्त परिचय
कमला भसीन महिला आन्दोलन से जुड़ी एक नारीवादी और विकास कर्मी हैं। १९७० से आज तक वे नारीवादी समूहों व संजालों और संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से नारी-पुरुष समानता, मानव अधिकार, शान्ति और सतत विकास पर काम कर रही हैं। कमला का कार्यक्षेत्र एशिया रहा है। जिन सँस्थाओं और संजालों से उनका जुड़ाव रहा है, वे हैं सेवा मंदिर उदयपुर, FAO/UN, जागोरी दिल्ली, जागोरी हिमाचल, Sangat A Feminist Network, Peace Women across the Globe, One Billion Rising, People’s SAARC, South Asians for Human Rights, आदि।
कमला भसीन ने अपने काम से जुड़े तमाम मुद्दों पर हिन्दी व इंग्लिश में किताबें, लेख, गाने, कविताएँ लिखी हैं व पोस्टर और बैनर बनाये हैं। बच्चों के लिये भी इन्होंने किताबें, गाने व कवितायें लिखी हैं।
कमला अपने पुत्र जीतकमल के साथ दिल्ली, जयपुर व हिमाचल में रहती हैं।
मूलचित्र : YouTube
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