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भाइयों के रिश्ते टूटने का कारण क्या हमेशा बहु होती है?

बाहर से आई लड़की क्या लड़के को सिखा सकती है? क्या लड़के में अपनी बुद्धि नहीं होती है? वो क्या एक छोटा बच्चा है जो उसे सिखाया जा सके?

बाहर से आई लड़की क्या लड़के को सिखा सकती है? क्या लड़के में अपनी बुद्धि नहीं होती है? वो क्या एक छोटा बच्चा है जो उसे सिखाया जा सके?

अभी कुछ दिनों पहले मुझे अपनी बेटी को हॉस्टल छोड़ने जाना था। पतिदेव को ऑफिस का कुछ ज़्यादा ही काम था इसलिए वो ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकते थे तो बोले, ‘सुनो, मैं टैक्सी बुक कर देता हूँ, तुम बिटिया के साथ चली जाना। डरने की जरुरत नहीं है।’

मैं भी क्या बोलती परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं मना नहीं कर सकती थी। मैंने भी बोल दिया, ‘ठीक है कर दो टैक्सी, मैं ही चली जाऊँगी।’ मन ही मन थोड़ी घबराहट हो रही थी क्योंकि कभी ऐसे पति के बिना कहीं गयी नहीं थी। ख़ैर, मैंने सोचा जानने वाले की टैक्सी है तो डरने की क्या जरुरत, ऐसे ही तो कुछ सीखूंगी।

अगले दिन टैक्सी सही समय पर आ गयी। मैं और बिटिया समय से निकल गए क्योंकि मुझे उसी दिन वापिस लौटना था। ड्राईवर भी ठीक ही था। इधर से जाने में तो ज़्यादा बात नहीं हुई क्योंकि बिटिया पहली बार जा रही थी तो मन थोडा उदास था। लौटते वक़्त ड्राईवर को पता नहीं क्या सूझा बोला, ‘मैडमजी एक बात पूछूँ?’

मैं सोचने लगी अचानक इसे क्या हुआ? मुझे लगा पता नहीं क्या बोलेगा। क्या पूछना चाहता है? मैंने उससे कहा, ‘पूछो भैया क्या पूछना चाहते हो?’

‘वो मैडम जी मैं ये पूछना चाहता था कि शादी से पहले भाई-भाई सब मिलकर रहते हैं, कोई परेशानी नहीं होती हैं। शादी होने के बाद ऐसा क्या हो जाता है जो भाइयों के बीच मे झगड़ा हो जाता है? घर तोड़ने में ये बहुएँ ही ज़िम्मेदार होती हैं, इसलिए शादी ही नहीं करनी चाहिए।’

उसकी बात सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा फिर मैंने अपने आप को सम्भालते हुए उससे कहा, ‘भैया मैं ऐसा नहीं मानती। ये समाज कुछ इस तरह से गड़ा गया है कि इसमें हर बुरी चीज के लिए बहुओं को ही ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। क्योंकि बहु दूसरे घर से आती है इसलिए ससुराल के लिए वो हमेशा पराई रहती है। बहु ससुराल के लिए कितना भी कुछ कर ले, प्यार के दो बोल के लिए हमेशा तरसती है।’

‘आप एक बात बताओ भैया, शादी के समय लड़के की उम्र अच्छी खासी होती है, फिर बाहर से आई लड़की क्या लड़के को सिखा पढ़ा सकती है? क्या लड़के में अपनी बुद्धि नहीं होती है? वो क्या एक छोटा बच्चा होता है जो उसे सिखाया पढ़ाया जा सकता है?’

मेरी बातें सुनकर वो तो चुप हो गया, लेकिन मैं सोचने पर मजबूर हो गयी कि हमारे समाज मे बहुओं को लेकर कितनी नकारात्मक बातें फैली हुई हैं। हर बिगड़े हुए काम के लिए कहीं न कहीं बहुओं को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है।

‘दरअसल अगर भाई चाह लें तो उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता। भाइयों मे आपस मे प्यार की डोर मजबूत होनी चाहिये। बड़ा भाई छोटे भाई को हमेशा अपनापन और प्यार दे और छोटा भाई अपने बड़े भाई को हमेशा वो इज़्ज़त दे जिसका वो हक़दार होता है तो रिश्ते मे शायद ही कड़वाहट आने की गुंजाइश बचे क्योंकि कोई भी रिश्ता हो, टूटता वही है जहाँ प्यार और विश्वास की कमी होती है।’

‘अक्सर भाभी ही अपने पति को हमेशा रिश्तों की याद दिलाती है। ससुराल के सदस्यों के लिए गिफ्ट लाती है। ज़्यादातर पति तो सब बातों से बेखबर होते हैं। फिर भी अक्सर घर की बहू को ही दोष दिया जाता है, जबकि दोष तो परवरिश का होता है। आज भी ऐसे कितने परिवार हैं जहाँ दोनों भाई बड़े प्यार से अपने रिश्ते को निभा रहे हैं। दरअसल शादी के बाद ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं और जो इन ज़िम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा पाते हैं वही घर तोड़ने या भाइयों में लड़ाई कराने का ठीकरा बहुओं पर फोड़ देते हैं।’

मेरी बातें सुनकर वो तो चुप हो गया, लेकिन मैं सोचने पर मजबूर हो गयी कि हमारे समाज मे बहुओं को लेकर कितनी नकारात्मक बातें फैली हुई हैं। हर बिगड़े हुए काम के लिए कहीं न कहीं बहुओं को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। भाइयों के बीच लड़ाई का कारण बहु, ससुराल मे झगड़े का कारण बहु, ननद से लड़ाई का कारण बहु, सास से नहीं बने तो बहु कारण, शादी के बाद लड़का कम घर आता है तो भी बहु ज़िम्मेदार। आखिर क्यों हर बात के लिए बहु को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है? क्या सिर्फ इसलिए की वो उस घर की नहीं होती, पराई होती है? या फिर उससे ससुराल वालों का कोई खून का रिश्ता नहीं होता इसलिए हमेशा वही बलि का बकरा बना दी जाती है।

पुरुष प्रधान समाज मे कब तक बहुएँ अपने अस्तित्व को खोजती रहेंगी। बहु कितनी भी पढ़ी लिखी क्यों न हो ससुराल मे कदम रखते ही उसे पल-पल अपने आपको ससुराल वालों की कसौटी पर खरा उतरना पड़ता है। उसकी सारी ताक़त इसी में खत्म हो जाती है कि कैसे ससुराल मे अपने आप को साबित करे।

क्या बहुओं की छवि हमेशा जोड़ने-तोड़ने वाली बनी रहेगी या इसमें कभी कोई सकारात्मक बदलाव भी आएगा।आप इस बारे मे क्या सोचती हैं। अपने विचार जरूर शेयर करे। आपके विचारो का तहे दिल से स्वागत है। ब्लॉग पढ़ने के लिए मुझे फॉलो करना न भूले।

मूलचित्र : Google

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About the Author

Anita Singh

Msc,B.Ed,बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक है कॉलेज के जमाने से ही लेख कविता और कहानियां लिख रही हूं मुझे सामाजिक मुद्दों पर लिखना पसंद है अपनी कहानियों के माध्यम से समाज में पॉजिटिव बदलाव लाना चाहती हूं। read more...

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