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इतना सुनते ही मैंने अपने बेटे को गोद में उठाया और निकल पड़ी हॉस्पिटल की तरफ। पूरे रास्ते भगवान् से दुआ माँगती रही, हे भगवान् सब सही करना।
इतना सुनते ही मैंने अपने बेटे को गोद में उठाया और निकल पड़ी हॉस्पिटल की तरफ। पूरे रास्ते भगवान से दुआ माँगती रही, हे भगवान् सब सही करना।
परिवार के साथ हम गांव से शहर आए हैं। शहर की भाग दौड़ वाली जिंदगी सबको रास नहीं आती है। शहर में लोग आपस में बात करने में डरते हैं। जल्दी से किसी के साथ कनेक्ट नहीं होते। कोई रिश्ता नहीं, कोई मेल-मिलाप नहीं, सब अपने में ही मग्न रहते हैं। हमें भी धीरे-धीरे शहर से लगाव होने लगा लेकिन कुछ समय से मेरे पति विकास के व्यव्हार में बदलाव आ रहा है।
शायद नई जगह, नई नौकरी है इस कारण से। अब तो हमारी बात भी नहीं हो पाती, छुट्टी वाले दिन भी किसी बहाने से घर से चले जाते हैं। पीछे बेटा रोता है तो रोने दो। पता नहीं क्या हो गया इन्हें, कुछ बताएँ तो पता चले ना। धीरे-धीरे हमसे दूर जाने लगे हैं। भगवान् मदद कर दो, पहले जैसा कर दो इन्हें।
एक दिन अचानक से इनके मोबाइल पर कॉल आया। ये अभी टॉयलेट में थे। किसी अनजान नंबर को देखते हुए मैंने सकपकाते हुए कॉल रिसीव कर लिया। दूसरी तरफ से एक आदमी बोल रहा था कि जल्दी से आ जाओ तुम्हें सामान देकर आना है। जब मैंने बोला की वो अभी बाथरूम में हैं तो उसने कहा कि आप उन्हें बता देना और फोन पटक दिया।
फिर थोड़ी देर बाद ये आ गए। मैंने इन्हें जैसे ही कॉल के बारे में बताया, ये तो बुरी तरह डर गए और बिना कुछ खाए चले गए। अपने पति को इतना बेचैन देख कर मैं भी सोच रही हूं कि क्या हुआ है, ऑफिस में क्या चल रहा है, कौन सा सामान देकर आना है, क्या होगा इसी उधेड़-बुन में हूँ।
तभी मेरा बेटा आया और बोला मम्मी भूख लगी है। कुछ खाने को दो। मैंने उसे खाना परोस दिया और वहीं बैठ कर फिर से सोचने लगी। मन में बुरे-बुरे ख्याल आने लगे। पति को परेशान जाते देखकर मैं भी परेशान हो गई।
इसी बीच मेरा 4 साल का बेटा खाना खा रहा है और बोले जा रहा है, “मम्मी खाना खा लो! पापा आते ही होंगे।” लेकिन कैसे खाया जाए, निवाला गले से उतर ही नहीं रहा। तभी फोन बज उठा कि आपके पति का एक्सिडेंट हो गया आप सिटी हॉस्पिटल आ जाओ। इतना सुनते ही मैंने अपने बेटे को गोद में उठाया और निकल पड़ी हॉस्पिटल की तरफ।
रोते-रोते हॉस्पिटल पहुंच गई। देखा तो ये बिल्कुल ठीक हैं। इनके साथ वाले आदमी को काफी चोट लगी है। इनके गले लगकर रोने लगी। फिर इन्होंने बताया कि मैं बहुत दिनों से परेशान हूँ, हमारे ऑफिस का एक पैकेट जो मुझसे कहीं खो गया था और जिसके कारण मालिक रोज खरी-खोटी सुना रहा था। जॉब से निकालने की धमकी भी दे रहा था। वो पैकेट आज मिल गया। जिसे मालिक को देने के लिए हम दोनों आए थे। लेकिन वापिस आते हुए हमारा एक्सीडेंट हो गया। वहां मौजूद लोगों ने तुम्हे कॉल कर दिया। भगवान की कृपा से अब सब ठीक हो गया।मेरी परेशानी भी खत्म हो गई और तुम जो चिंता कर रही थीं उसका भी अंत हुआ। ये मेरा दोस्त भी जल्दी ठीक हो जायेगा। चलो अब घर चलें।
दोस्तों, ये कहानी नहीं एक सच्ची घटना है। जो मेरे परिवार में ही घटित हुई थी। कई बार हम महिलाएं बहुत जल्दी हिम्मत हार देती हैं। मुझे लगता है कि हमें अपने भगवान् पर और खुद पर सदैव विश्वास रखना चाहिए।
आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी जरुर बताएं। कॉमेंट के साथ, लाइक भी करें।
मूलचित्र : Unsplash
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