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एक वक्त ऐसा आया कि मुझे लगा कि ख़ुद से बात छेड़ के बहुत बड़ी गलती कर दी है मैंने। दुनियादारी में मैं व्यस्त था वही अच्छा था।
आज कल ख़ुद से बहुत बातें हो रही हैं। ऐसा लगता है कि बहुत अकेला महसूस कर रहा है वो। कितनी ही बातें मन में समेट कर, दबा कर रखी हुई हैं उसने।
कल जब बहुत वक्त था मेरे पास, तो सोचा ख़ुद के साथ थोड़ा वक्त बिताऊँ। बात की बस शुरुआत ही करी थी कि बस उसके बाद मुझे मौका ही नहीं मिला। फिर क्या था, वो ऐसे बोलने पे आया कि फिर मैं कुछ बोल ही नहीं पाया।
सुनते-सुनते सुबह से रात हो गई, पर उसने बोलना बंद नहीं किया। एक वक्त ऐसा आया कि मुझे लगा कि ख़ुद से बात छेड़ के बहुत बड़ी गलती कर दी है मैंने। दुनियादारी में मैं व्यस्त था वही अच्छा था। कम से कम ख़ुद की इस व्यथा से तो दूर रहता। पर फिर ख्याल आया कि अगर मैं ही ख़ुद से बात नहीं करूँगा तो आखिर कौन करेगा।
दिन भर उसकी बातें सुन के ऐसा लगा कि काश मैंने ख़ुद की बातों पे पहले ध्यान दिया होता। रोज़ थोड़ी देर ख़ुद के साथ वक्त बिताया होता तो आज दर्द का इतना तूफ़ान नहीं आता।
बहुत हीन भावना आई अपने पेे कि मुझे हर क्षण ख़ुद की जरूरत रहती है, हर क्षण वह मेरे साथ रहता है और मैंने कभी भी ख़ुद से यह नहीं पूछा कि वह कैसा है! मैंने कभी खुद का साथ देने का विचार भी नहीं किया। कितना स्वार्थी रहा हूँ मैं ख़ुद के साथ। अगर मेरा ख़ुद के साथ ही एक तरफा बंधन बनेगा तो और रिश्तों को मैं कैसे निभा पाऊँगा?
इस मित्रता दिवस पर अच्छा हुआ कि मैंने ख़ुद से बात करी क्योंकि आज समझ में आया है कि चाहे मैं कितने भी दोस्त बना लूँ, जो साथ ख़ुद मुझे देता है, वैसा साथ कोई नहीं दे सकता। और मेरा भी यह कर्तव्य बनता है कि मैं भी ख़ुद को ऐसी दोस्ती, ऐसा प्यार दूँ जो और कोई नहीं दे सकता। यह मेरे और ख़ुद के मानसिक और शारीरिक सेहत की तरफ पहला कदम होगा।
मैं ख़ुद का सबसे प्यारा दोस्त बनूँगा।
मूलचित्र : Pexel
Ruchi is a new person who has dared to break all walls of monotony in life, a dreamer, a learner and likes to derive inspiration in all situations she is into. Recently plunged into a read more...
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