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ऊपर भगवान और नीचे आपका कोई मोल नहीं है। कौन पिरो सकता है माँ की ममता को शब्दों में, मेरे लिए तो ये सबसे पवित्र और अनमोल है।
ऊपर भगवान और नीचे आपका कोई मोल नहीं है, कौन पिरो सकता है माँ की ममता को शब्दों में, मेरे लिए तो ये सबसे पवित्र और अनमोल है।
शब्दों का जादू उसे खूब चलाना आता है, वो माँ है, उसे सब पता चल जाता है।
मेरी आवाज से भाँप जाती है वो मेरे दर्द की गहराई को, क्यूँ माँ? सच है ना, आप जान जाती हो, मेरी हर अनकही सच्चाई को।
शब्द कम पड़ जाते है, जब भी लिखने बैठती हूँ आप के बारे में, अब समझ पाती हूँ माँ, आपकी हर डांट के पीछे छिपी हुई भलाई को।
कहना चाहती हूँ बहुत कुछ, दिल में छुपा हुआ है। आप का हाथ सिर पर हमेशा बना रहे बस, रब से इतनी सी दुआ है।
आपकी हर सीख अब याद आती है माँ, हैरान हूँ तब इसे क्यों झुठलाती थी मैं माँ। अजीब विडम्बना है, समय लगता है समझने में, बाद में तो सबसे अच्छी दोस्त बन जाती है माँ।
मूलचित्र : Unsplash
I am a mom of two lovely kids, Content creator and Poetry lover. read more...
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