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क्या मैटरनिटी लीव वाकई मुफ्त की तनख्वाह है? क्या ये एक साधारण सा अवकाश है?

मैं काॅरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के खिलाफ नहीं हूँ, लेकिन यदि आप अपनी सहकर्मी महिला के बच्चे की बेहतर देखभाल के बारे में अच्छा नहीं सोचते तो यह ढकोसला मात्र है।

मैं काॅरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के खिलाफ नहीं हूँ, लेकिन यदि आप अपनी सहकर्मी महिला के बच्चे की बेहतर देखभाल के बारे में अच्छा नहीं सोचते तो यह दिखावा है।

कुछ दिन पहले की ही बात है, मेरी एक सहेली ने मातृत्व अवकाश के बाद वापिस ऑफिस ज्वाइन किया। मैंने भी उत्सुकता वश उससे पूछने के लिये फोन किया कि सब कैसे मैनेज हो रहा है। तब उसने बताया कि मैनेज तो मैं कर ले रही हूँ, बच्चा भी ढल रहा है मेरी ऑफिस की रुटीन के साथ, पर ये लोगों के ताने मुझे ज्यादा परेशान करते हैं। तब पता चला कि उसके ज्वाइन करने पर किसी सहकर्मी पुरुष ने उससे पूछा, “कैसा लगा अब तक मुफ्त की तनख्वाह पाकर?”

कितनी संवेदनाहीन टिप्पणी। बहुत ही तरस आया उनकी मानसिकता पर और उससे भी ज़्यादा तरस उनकी माँ के लिये आया। ऐसा बोलकर उस बेटे ने अपनी ही माँ का अपमान किया। उनकी पत्नी के बारे में सोचकर भी मन उदास हुआ। ऐसा आदमी क्या किसी भी स्त्री का सम्मान करता होगा?

खैर, हम कामकाजी महिलाओं को ऐसे लोगों से भी दो चार होना पड़ता है। क्या करें समाज है और सारी अँगुलियाँ एक बराबर नहीं होतीं। सभी पुरुष ऐसे नहीं होते लेकिन ज़्यादातर की मानसिकता ऐसी ही है। और तो और मैंने तो अपनी पहली प्रेगनेन्सी में यह भी झेला कि जान-बूझ कर ऐसी परिस्थितियाँ बना दी जाती थीं कि मैं समय से ऑफिस में नाश्ता ही ना कर पाऊँ। एकाध बार तो मुझे लंच करने से भी वंचित रखा गया। समय बीत जाता है, पर वो टीस आज भी है मन में। लेकिन मैं कभी भी किसी स्त्री को यह सब नहीं झेलने दूँगी।

बच्चा पैदा करना एक स्वाभाविक व प्राकृतिक कार्य है जिसे सिर्फ महिलायें ही कर सकती हैं, यह एक सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है, जिसका खामियाज़ा सिर्फ महिला के हिस्से में न आकर पूरे परिवार, समाज व सरकार के हिस्से में आना चाहिये।

अब आप ही बताइये क्या मातृत्व अवकाश मुफ्तखोरी है?

  • शिशु के जन्म के बाद उसका पालन पोषण निरंतर परिश्रम एवं संयम का कार्य है। शिशु को अपनी माँ की देखभाल से वंचित रखना अगर शिशु के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है तो मातृत्व अवकाश मुफ्तखोरी है।
  • एक स्त्री जब एक बच्चे का लालन पालन करती है तो वह देश की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही होती है। यदि देश के भविष्य के लिये यह उचित नहीं है तो मातृत्व अवकाश मुफ्तखोरी है।
  • नौ माह बच्चे को कोख में रखना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसके बाद हर स्त्री को आराम की ज़रुरत होती है, यदि इससे वंचित रखना एक स्त्री के मानवाधिकारों का हनन नहीं तो मातृत्व अवकाश मुफ्तखोरी है।
  • बच्चा पैदा करना एक स्वाभाविक व प्राकृतिक कार्य है जिसे सिर्फ महिलायें ही कर सकती हैं, यह एक सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है, जिसका खामियाज़ा सिर्फ महिला के हिस्से में न आकर पूरे परिवार, समाज व सरकार के हिस्से में आना चाहिये। यदि आपको यह गलत लगता है तो मातृत्व अवकाश मुफ्तखोरी है।
  • आज हम काॅरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी की बात करते हैं, मैं भी इसके खिलाफ नहीं हूँ लेकिन यदि आप अपनी सहकर्मी महिला के बच्चे की बेहतर देखभाल के बारे में अच्छा नहीं सोच पाते हैं तो यह सब ढकोसला मात्र है और मातृत्व अवकाश मुफ्तखोरी है।

आपका क्या विचार है इस बारे में? क्या आपने या आपके किसी अपने ने भी ऐसा बर्ताव झेला है? कृपया कमेंट्स में बतायें। मैं निवेदन करती हूँ उन लोगों से जो ऐसे ओछे विचारों के हिमायती हैं कि थोड़ी उदारता बरतें कामकाजी महिला के लिये भी। उनकी समस्यायें समझें और उन्हें कम नहीं कर सकते तो कम से कम बढ़ाने का कार्य न करें।

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मूलचित्र : Pexels 

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