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प्यार और प्रायश्चित – आंखों में आँसू और लब खामोश! हाँ, अब यही मेरी सज़ा है

अगले दिन मैं शहर आ गया और बस से उतरते ही मेरा ऐक्सिडेंट हो गया। एक हफ्ता बेहोश था मैं और उस एक हफ्ते में मेरी ज़िंदगी बदल गई।

अगले दिन मैं शहर आ गया और बस से उतरते ही मेरा ऐक्सिडेंट हो गया। एक हफ्ता बेहोश था मैं और उस एक हफ्ते में मेरी ज़िंदगी बदल गई।

समीर बड़े गौर से बारिश को निहार रहा था और कुछ सोच रहा था कि इतने में उसकी माँ गरमागर्म चाय और पकोड़े ले के आई और समीर से बोली, “आ बारिश का मज़ा लेते हैं इन चाय और पकौड़ों के साथ के साथ।”

समीर फीकी सी हँसी हँस दिया, माँ का दिल रखने के लिए।

इतने में माँ फिर से बोल पड़ी, “मुझे आज तुझसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। शर्मा जी ने फिर तेरे लिए एक रिश्ता बताया है। अब की बार मैं तेरा कोई बहाना नहीं सुनूंगी। मुझे मेरी बहू चाहिए और अब तो तू पैंतीस का हो गया है, अगर अब शादी नहीं करेगा तो कब करेगा। पता नहीं तेरे मन में क्या है, लेकिन अब मेरे मन की चलेगी।”

समीर खाली-खाली नज़रों से माँ को देखते हुए बोला, नहीं माँ, मैं शादी नहीं करूँगा। ना आज और ना कभी। लेकिन आज मैं आपको अपने शादी ना करने का कारण ज़रूर बताऊँगा ताकि आगे से आप मेरे लिए रिश्ते लाना बंद कर दें।”

“हर बारिश का मौसम मेरे लिए उदासी और दुःख भरा होता है, हर बार की बारिश अतीत का दरवाज़ा खोल देती है और मेरा ज़मीर मुझे लताड़ता है। मेरा प्रायश्चित कभी पूरा नहीं होगा”, समीर बारिश को देखते हुए अपनी माँ से बोला।

“याद है माँ, जब मैं बीस बरस का था और काफी बीमार रहने लगा था, तब डॉक्टर ने मुझे हवा-पानी बदलने को बोला था और तब तुम मुझे मामा के घर गाँव में ले गई थीं जहाँ मैं छः महीने तक रुका था।” समीर ने अपनी माँ को याद दिलाया।

समीर की मां बोली, “हाँ याद है। लेकिन उस बात का तुम्हारे शादी ना करने से क्या ताल्लुक?”

समीर बोला, ” वहां मामा के घर रहते हुए मुझे कुछ दिन ही हुए थे, तभी मुझे एक लड़की से प्यार हो गया था। याद है ना मामा के घर से दो घर छोड़ कर रहती थी, सीमा।”

माँ ने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला तो समीर ने हाथ के इशारे से रोक दिया और बोला, “नहीं माँ, आज मुझे बीच में मत रोको, सब कह लेने दो। नहीं तो मैं शायद आपको पूरी बात नहीं बता पाऊंगा।”

माँ चुप हो गई और समीर ने फिर से बोलना शुरू किया, ” बहुत प्यारी लड़की थी सीमा, बहुत सुलझी और शाँत स्वभाव की। उसके स्वभाव और मृदुल हँसी ने मुझे उसका बना दिया। मैंने सोच किया था कि शादी करूँगा तो सिर्फ सीमा से और ये भी यकीन था मुझे कि तुम भी मान जाओगी क्योंकि वो थी ही इतनी अच्छी।”

“एक दिन मैंने सीमा से अपने प्यार का इज़हार कर दिया। उसने मना कर दिया क्योंकि उसे अपने माँ-बाप से बड़ा डर लगता था और उसने मुझे भी समझाया इन सब बातों में से ध्यान हटाने को। उसके माँ-बाप बड़े सख्त थे, उसे डर था कि ऐसा कुछ पता चलने पर वो उसका खून ही कर देंगे।”

“लेकिन माँ, मैं नहीं माना। धीरे-धीरे मैंने उसे अपने प्यार का विश्वास दिला ही दिया। फिर वो भी मुझसे प्यार करने लगी और मैंने भी उसको विश्वास दिला दिया था कि अगर मैं शादी करूँगा तो सिर्फ उससे।”

“एक दिन जब हम लोग मिले तब बड़ी ज़ोर से बारिश हो रही थी और उस दिन, माँ, मुझसे और सीमा से गलती हो गई। हम वो सीमा लाँघ गए जो हमें नहीं लाँघनी चाहिए थी।”

“थोड़े दिनों बाद सीमा बहुत रो रही थी। वो माँ बनने वाली थी। तब मैंने उसे फिर से विश्वास दिलाया कि मैं उसके साथ हूँ। ये गलती हम दोनों ने की है और ठीक भी हम ही करेंगे। मैं कल ही शहर जाकर माँ से बात करता हूँ और जल्दी ही हम शादी कर लेंगे। तब सीमा को थोड़ी तसल्ली हुई।”

“अगले दिन मैं आपके पास शहर आ गया और वहाँ बस से उतरते ही मेरा ऐक्सिडेंट हो गया। ये तो आपको याद ही होगा। एक हफ्ता बेहोश रहा था मैं और उस एक हफ्ते में मेरी ज़िंदगी बदल गई।”

काश मैंने सीमा की बात मानी होती और उस से प्यार ना किया होता तो वो आज ज़िंदा होती। अगर मैंने अपनी सीमा का उल्लघंन नहीं किया होता तो मेरी सीमा आज ज़िंदा होती।

“जैसे ही होश आया तब मैंने मामा के बेटे विजेंद्र से सीमा का हाल-चाल पूछा तो उसने बताया कि सीमा की अचानक से तालाब में डूब कर मौत हो गई। वो अँधेरे-मुँह उठ कर शायद नहाने गई थी और पैर फिसलने से तालाब में सिर के बल गिर गई और डूब कर मर गई।”

“मेरी दुनिया लुट गई थी माँ उस दिन। मुझे पता था कि सीमा को तालाब पर नहाना नहीं पसंद, फिर वो ऐसा भला क्यों करती। शायद उसके घरवालों को हमारे बारे में पता चल गया था और उन्होंने मेरी सीमा को मार दिया।” ये कहकर समीर फूट-फूट कर रो पड़ा।

“काश मैंने सीमा की बात मानी होती और उस से प्यार ना किया होता तो वो आज ज़िंदा होती। अगर मैंने अपनी सीमा का उल्लघंन नहीं किया होता तो मेरी सीमा आज ज़िंदा होती। गलती हम दोनों से हुई थी और उसने अपने किए की सज़ा भुगत ली और मार डाली गई।”

“अब मेरी सज़ा यही है कि मैं उसकी याद में सारी उम्र शादी ना करूँ। शायद यही मेरा प्रायश्चित है माँ। ये बारिश मुझे हर वक़्त बस सीमा की और मेरी गलती की याद दिलाती है और हर बार मेरे ज़ख्म छेड़ कर चली जाती है”, समीर बोला।

समीर की माँ की आंखों में आँसू थे और लब खामोश। दो प्यार करने वालों का ये अंजाम उनसे भी शायद सहन नहीं हुआ, इसलिए वो भी चुपचाप रो रही थी।

मूलचित्र : Unsplash

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