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भगवान् ने सबको एक जैसा बनाया है। ये जात-पात और छुआ-छूत नासमझ लोगों के मन की सोच है। अगर भगवान पर विश्वाश है, तो इस दायरे से बाहर निकलिए।
‘कामिनी जी, बेटी की उम्र तीस के पार हो गयी है, कोई लड़का मिला कि नहीं?’
‘नहीं सुषमा, लड़के तो बहुत मिलते हैं, पर प्रिया को कोई भाता ही नहीं ज़्यादा दिमाग चढ़ गया है। लड़की किसी को कुछ समझती नहीं है, CA जो बन गयी है। मैंने बेकार ही उसके पापा से ज़िद करके उसे कोचिंग करवाई। बेकार है लड़कियों की अच्छी जॉब लगाना, उनके दिमाग खराब हो जाते हैं।
‘अरे कामिनी, ज्यादा टेंशन मत ले। मेरी बात मान तो इस बार बेटी प्रिया को सावन के सोलह सोमवार का व्रत करा। देखना बहुत अच्छा पति मिलेगा।’
‘पर मेरी बेटी नहीं मानेगी, वो व्रत नहीं रखती।’
‘अरे! तू कोई भी नाटक कर के उसे बहला लेना, मान जाएगी।’
अगले दिन प्रिया आफिस से आई, ‘मम्मी क्या हुआ तबियत खराब है क्या?’
‘हाँ बेटा, शुगर फिर बढ़ गयी है और कल से सावन के सोमवार हैं। तुझे तो पता है ना कि मैं हमेशा ये व्रत करती हूँ, पर डॉक्टर ने मना किया है। अब क्या होगा? यही टेंशन है। भोलेनाथ नाराज़ हो जायेगें।’
‘अरे मम्मी, चिंता मत करो। आपकी जगह मैं व्रत कर लूँगी। लो हो गयी टेंशन खत्म?’
‘तू और व्रत? मुझे तो विश्वाश ही नहीं हो रहा।’ कामिनी ने बेटी का माथा चूम लिया।
अब प्रिया ने सोमवार के व्रत करना शुरू कर दिया। अब कामिनी भी बहुत खुश थी कि बेटी का रिश्ता भोलेनाथ की कृपा से हो जाएगा।
आज आखिरी सोमवार था। प्रिया मंदिर आयी थी तो सुषमा ने उसे रोक लिया, ‘अरे प्रिया बेटे! तुम!’
‘तुमने व्रत रखें है इस बार? बहुत अच्छा! अब तो जल्दी भोलेनाथ तुम्हारे लिए कोई अच्छा लड़का ज़रूर भेज देंगे।’
‘आंटी आप भी ना!’
‘प्रिया तुम हर लड़के को मना क्यों कर देती हो? तुम्हारी मम्मी भी बहुत परेशान है। कोई बात है तो मुझे बताओ बेटा।’
‘आंटी ऐसा नहीं है कि लड़कों में कोई कमी होती है। बस मुझे उनसे शादी नहीं करनी हैं, इसलिए कोई ना कोई नुस्ख निकाल देती हूं। दरसल, मैं आफिस में ही अपने साथ काम करने वाले एक लड़के से प्यार करती हूं, पर वो हमारी जाति का नहीं है और आप तो मम्मी को जानती हो, वो कास्ट को लेकर कितना छुआ-छूत मानती हैं, इसलिए बस मैं शादी के लिए मना कर देती हूँ।’
‘अच्छा बेटा तो ये बात है! मुझे नहीं पता था कामिनी की सोच इतनी छोटी है। तू चिंता मत कर, बस जैसा मैं कहूँ वैसा करना।’
शाम को सुषमा कामिनी के घर आई, ‘अरे कामिनी, तेरी बेटी प्रिया तो बड़ी लगन से मंदिर में सावन के सोमवार कर रही थी। देख भोलेनाथ का चमत्कार! एक अच्छा लड़का है, मेरे जाननेवाला। वो भी प्रिया के आफिस में CA है। मैंने उससे बात चलाई है। कल आखरी सोमवार है, वो लोग घर आएँगे। तो तू हाँ कर देना। प्रिया को मैं समझा दूँगी। तू इसे भोलेनाथ की कृपा समझ।’
‘पर सुषमा लड़के की कास्ट क्या है?’
‘अरे कामिनी! तू एक तरफ तो भगवान की भक्ति करती है और आज के ज़माने में पढ़ी-लिखी होकर भी जात-पात में यकीन करती है? अब तेरी बेटी ने भी व्रत किये हैं। भोलेनाथ ने उसके लिए अच्छा रिश्ता भी भेजा है। ऐसे मौके बार-बार नहीं आते। अगर अब तू ज़िद पर अड़ गयी और जात-पात लेकर बैठी रही, तो फ़िर मत रोना।’
सुषमा की बातें सुनकर कामिनी कुछ ना कह सकी। कुछ कहती तो उसे डर था कि सावन के सोमवार फिर तो उसकी बेटी नहीं रखेगी। शायद ये भोलेनाथ की ही मर्ज़ी हो।
सुषमा ने प्रिया को फोन करके कहा कि उसने कामिनी से बात कर ली है, ‘तुम अपने दोस्त को परिवार सहित घर भेज दो। और हाँ, प्रिया एकदम से मत मान जाना। पहले तुम भी मना करना, नहीं तो तुम्हारी माँ को शक हो जाएगा कि ये हम दोनों का प्लान है। तुम्हारी माँ इसे सावन के सोमवार के व्रत का आशीर्वाद समझ रही है।’
प्रिया ने वैसा ही किया। जब उसका दोस्त घर आया तो उसने ऐसे व्यहवाहर किया कि जैसे उसे लड़का पसंद नहीं। फिर, मां के मनाने के बाद वो मान गयी और दोनों का रिश्ता ख़ुशी-ख़ुशी पक्का हो गया।
आज सावन के सोमवार प्रिया की माँ के लिए खुशियाँ लेकर आये थे और प्रिया की आंटी की समझदारी से प्रिया को भी मनपसन्द जीवन-साथी मिल गया था।
दोस्तों, भगवान ने सबको एक जैसा बनाया है। ये जात-पात और छुआ-छूत नासमझ लोगों के मन की सोच है। अगर भगवान पर विश्वाश है, तो इस दायरे से बाहर निकलिए। सभी प्यार के काबिल हैं।
दोस्तों, आपको कैसा लगा मेरा ब्लॉग, ज़रूर बताएं। आपके प्यार के लिए आभार ।
मूलचित्र : Pixabay
13 वर्ष की उम्र से लेखन में सक्रिय , समाचार पत्रों में कविताएं कहानियां लेख लिखती हूँ। एक टॉप ब्लागर मोमस्प्रेसो , प्रतिलिपी, शीरोज, स्ट्रीमिरर और पेड ब्लॉगर, कैसियो, बेबी डव, मदर स्पर्श, और न्यूट्रा लाइट जैसे ब्रांड्स के साथ स्पांसर ब्लॉग लिखती हूँ मेरी कहानियां समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए होती है रिश्तों के उतार चढ़ाव मेरे ब्लॉग की मुख्य विशेषता है read more...
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