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माना के हम नारी हैं पर हिम्मत कभी न हारी है!

हमसे जन्म लेने वाले, हमको कमज़ोर समझते हैं, हाय कितने नादाँ हैं ये, क्या ख़ाक नारी को समझते हैं। माना के हम नारी हैं पर हिम्मत कभी न हारी है!

हमसे जन्म लेने वाले, हमको कमज़ोर समझते हैं, हाय कितने नादाँ हैं ये, क्या ख़ाक नारी को समझते हैं। माना के हम नारी हैं पर हिम्मत कभी न हारी है!

माना के हम नारी हैं
पर हिम्मत कभी न हारी है

कुछ टूटे कुछ बिखरे से
अपनों में आ सिमटे हैं
इन बिखरे सिमटे पन्नों को
रोज़ाना जब मैं पढ़ती हूँ
इन पन्नों की यादों से
कुछ पल जी मर लेती हूँ

माना के हम बिखरे हैं
सच है ये कि निखरे हैं
हमसे जन्म लेने वाले
हमको कमज़ोर समझते हैं
हाय कितने नादाँ हैं ये
क्या ख़ाक नारी को समझते हैं

मूलचित्र : Pexels 

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Swati Kanojia

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