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अभी चीकू जो देखना चाहता है वही देख रहा है। अब हमें बच्चों को ऐसा माहौल देना होगा कि बाहरी कोई उसके दिमाग में गंदगी न डाल सके।
जान्हवी, राघव के ऑफिस में ही काम करती थी। धीरे-धीरे राघव जान्हवी को पसंद करने लगा था। लगभग एक महीने से जान्हवी यहाँ काम कर रही थी, पर राघव उसके अतीत के बारे में कुछ नहीं जानता था।
एक दिन ऑफिस में लेट हो जाने के कारण राघव जान्हवी को घर तक छोड़ता है। राघव सर, आप अंदर नहीं आएँगे?
‘आज लेट हो रहा है, कभी और।’ लेकिन जान्हवी के बेहद आग्रह करने पर राघव पहली बार घर के अंदर जाता है।
‘सर ये मेरी माँ हैं।’
तभी चीकू आ गया, ‘मम्मा, आपका मैं कब से वेट कर रहा हूँ, इतना लेट क्यों? मेरी चाकलेट लाई हो?’
‘बाप रे! एक साथ कितने सवाल? ये लो अपनी चॉकलेट।’
‘थैन्कयू मम्मा।’
‘राघव सर, ये मेरा बेटा है चीकू। अंकल को नमस्ते कहो।’
‘नमस्ते अंकल।’
‘नमस्ते बेटा।’
‘तुम लोग बातें करो, तब तक मैं चाय लाती हूँ।’
‘नहीं आंटी। चाय कभी और पी लूँगा, अभी मैं चलता हूँ। लेट हो रहा है।’ कहकर राघव निकल गया।
रास्ते भर यही सोच रहा था कि जान्हवी ने कभी क्यों बताया नहीं कि उसका एक बेटा भी है।
अगले दिन राघव ने पूछ लिया, ‘जान्हवी तुमने कभी बताया नहीं कि तुम्हारा बेटा है! और तुम्हारे पति?’
‘सर, दो साल पहले रजत एक कार दुर्घटना में हम सब का साथ छोड़ कर हमेशा के लिये चले गए। तब चीकू तीन साल का था।’
ना जाने राघव के मन मे क्यों जान्हवी के लिये प्यार उमड़ रहा था। और उसने आज बोल दिया, ‘जब से तुम इस ऑफिस मे आई हो, तब से मैं तुम्हें पसंद करता हूँ। तब मुझे तुम्हारे अतीत के बारे में नहीं पता था और आज तुम्हारे अतीत के बारे में जानकर भी प्यार कम नहीं हुआ। क्या तुम मुझसे शादी करोगी? मैं चीकू को पिता का पूरा प्यार दूंगा।’
‘सॉरी सर मैं शादी नहीं कर सकती, मैं अपनी जिंदगी में खुश हूँ।’
कुछ ही दिन मे जान्हवी ने वो जॉब छोड़ दी, पर राघव ने हार नहीं मानी। उसने जान्हवी के माँ से उसका हाथ माँगा और विश्वास दिलाया कि मैं जान्हवी और चीकू का पूरा ख्याल रखूँगा।
माँ के बार-बार आग्रह करने पर एक दिन जान्हवी ने शादी के लिये हाँ कह दी।
जल्द ही दोनों की शादी हो गयी। नया घर, नया माहौल पर सब कुछ अच्छा था। चीकू भी राघव से घुल-मिल गया था और वो अपने बेटे की तरह प्यार करता था। चीज़ें तब बदलने लगीं, जब राघव की ज़िंदगी में अपना बेटा वंश आ गया। राघव के व्यवहार में जाने-अनजाने में सौतेलापन चीकू को नज़र आने लगा था।
वंश पांच साल का हो गया और चीकू आठ साल का। जब भी चीकू कहीं जाने की बात करता, तो राघव मना कर देता, वहीं वंश के कहने पर मान जाता। तो चीकू के दिमाग में यही रहता कि पापा मुझे प्यार नहीं करते। जब भी उदास होता, तो वो बगल में रहने वाले गोलू के घर जाता। उसकी माँ पूछती तो वो सब बताता। वो हमेशा कहती कि तुम सौतेले हो इसीलिए तुम्हारे पापा ऐसा व्यवहार करते हैं।
चीकू गुमसुम रहने लगा। राघव के व्यवहार में उसे अपने लिए प्यार नज़र ही नहीं आता। एक दिन जान्हवी चीकू को गोद में लेकर दूलार करने लगी और पूछा, ‘बेटा कोई बात है क्या? तुम इतने गुमसुम क्यों रहते हो?’
पहले तो चीकू कुछ नहीं बताया, लेकिन बार-बार पूछने पर बताया, ‘पापा मुझसे प्यार नहीं करते ना, मैं उनका सौतेला बेटा जो हूँ। इसलिए वो मेरी बात नहीं मानते और वंश की बात मान जाते।’
आठ साल के बेटे के मुँह से ऐसा सवाल सुनकर स्तब्ध रह गयी।
‘आपसे किसने कहा?’
‘वो सीमा आंटी कहती हैं।’
‘नहीं बेटा, आप पापा के समझदार बेटे हो और वंश आपका छोटा भाई। नासमझ है जो ज़िद में रोने लगता है, इसलिए पापा उसकी बात मान लेते हैं। जैसे तुम मान जाते हो। कल तुम्हारे खिलौने के लिए वंश रो रहा था और तुमने ना चाहते हुए भी दिया, वैसे ही तुम्हारे पापा को भी ना चाहते हुए भी वंश की बात माननी पड़ती है।’
‘सच में पापा मुझसे प्यार करते हैं?’
‘हाँ बेटा, बहुत ज़्यादा।’ और वो जान्हवी के गले लग जाता है।
जान्हवी को लगने लगा कहीं उसने शादी करके गलती तो नहीं की, पर अब चीकू के दिमाग में ऐसे विचार न आएं इसके लिए मुझे कुछ करना होगा।
‘राघव मुझे आपसे बात करनी है।’
‘हाँ कहो?’
‘क्यों ना हम घर बदल लें?’
‘अचानक घर बदलने की बात क्यों कर रही हो?’
‘यहाँ पर सबको पता है कि चीकू आपका सौतेला बेटा है। नई जगह जाएँगे तो वहाँ किसी को नहीं पता रहेगा तो कोई उसके सामने नहीं कहेगा। तो उसके दिमाग में नहीं आयेगा कि वो सौतेला है।’
‘ठीक है, हम आज ही यहाँ से चले जाएंगे, कल वहाँ सबको पता चलेगा तब कहोगी कि फिर घर बदल लें। कब तक घर बदलती रहोगी?’
जान्हवी रूआसी आवाज में बोली, ‘तो क्या करूँ मैं? उसे आपके व्यहार में फ़र्क नजर आता है, गुमसुम रहने लगा है वो।’
‘अभी चीकू जो देखना चाहता है वही देख रहा है। जाने अनजाने में मुझसे ही गलती हुई है, अब हमें दोनों बच्चों को ऐसा माहौल देना होगा कि बाहरी कोई उसके दिमाग में गंदगी न डाल सके। हमें मुश्किलों से डरकर भागना नहीं चाहिए, बल्कि सामना करना चाहिए।’
‘सही कहा आपने, मैं चीकू को लेकर थोड़ा घबरा गई थी, पर अब नहीं। अब हम यहीं रहेंगे।’
‘ये हुई ना बात! इसी बात पर अपने हैं की ठंडी-ठंडी लस्सी पिला दो। दोनो हंसने लगते हैं।’
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मूलचित्र : Pexels
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