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आइये कहें, 'आधुनिक नारी हूँ मैं! मैं द्रौपदी नहीं कि पति की दुर्बलता पर चीर हरण का शिकार बनूँ, मैं मजबूर माँ नहीं कि कन्या के जन्म पर सिर झुकाऊँ!'
आइये कहें, ‘आधुनिक नारी हूँ मैं! मैं द्रौपदी नहीं कि पति की दुर्बलता पर चीर हरण का शिकार बनूँ, मैं मजबूर माँ नहीं कि कन्या के जन्म पर सिर झुकाऊँ!’
नारी एक शक्ति है, जिसका कोई सामना नहीं कर सकता नारी एक सत्य है, जिसे कोई झुठला नहीं सकता नारी एक किताब है, जिसका अंत कोई नहीं लिख सकता नारी एक दृढ़ता है, जिसका विश्वास कोई डिगा नहीं सकता
नारी एक आदर्श है, जिसके सदकार्य सबको प्रेरक बनाते हैं नारी सृष्टि का श्रृंगार है, जिसके बिना पृथ्वी सूनी है नारी माँ है, जिसके बिना बच्चे का पालन संभव नहीं है नारी अर्धांगिनी है, जिसके बिना पुरूष अपूर्ण है
मैं सीता नहीं कि हर शक पर अग्निपरीक्षा दूँ मैं द्रौपदी नहीं कि पति की दुर्बलता पर चीर हरण का शिकार बनूँ मैं बेज़ुबान नहीं कि दहेज़ के लिए स्टोव की लपटो से घिर जाऊँ मैं मजबूर माँ नहीं कि कन्या के जन्म पर सिर झुकाऊँ
मैं आधुनिक नारी हूँ, खुले आसमान पर उड़ना चाहती हूँ मैं स्वाभिमानी हूँ, अपने सम्मान की रक्षा करना जानती हूँ मैं आत्मनिर्भर हूँ, गुलाम नहीं बनना चाहती हूँ मैं शक्तिशाली माँ हूँ, बेटी को आगे बढ़ाना चाहती हूँ
आज, नारी सशक्तिकरण का नारा मैं ज़ोर से लगाऊँगी जिसे बुलंद कर विश्वपटल पर अपना परचम लहराऊँगी
मूल चित्र : Pexels
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