कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

दिव्या दत्ता की कविता, अपने बराबर कर दो ना, क्या कह रही है और क्यों?

दिव्या दत्ता की कविता अपने बराबर कर दो ना , उनके भाई डॉ. राहुल दत्ता ने लिखी है, इसमें समानता की बात को बेहद अच्छे और प्यारे भाव से रखा गया है। 

दिव्या दत्ता की कविता अपने बराबर कर दो ना , उनके भाई डॉ. राहुल दत्ता ने लिखी है, इसमें समानता की बात को बेहद अच्छे और प्यारे भाव से रखा गया है। 

जानी मानी फिल्म अभिनेत्री दिव्या दत्ता इस बार अपनी फिल्म के लिए नहीं बल्कि किसी और वजह से सुर्ख़ियों में है। अभी कुछ दिन पहले उन्होंने मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो में एक कविता सुनाई जिसके बाद वो वायरल हो गई हैं। ये कविता उनके भाई डॉ. राहुल दत्ता ने लिखी है जिसमें लैंगिक समानता की बात को इतने अच्छे और प्यारे भाव से रखा गया है जिसे हर किसी को सुनना चाहिए।

दिव्या दत्ता की कविता अपने बराबर कर दो ना

http://www.youtube.com/watch?v=X6bSBR_fzPQ

तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना
नैपी जब मैं बदलती हूं तुम दूध की बोतल भर दो ना
बस यूं ही एक हैं एक हैं  करके कहां ज़िंदगी चलती है
कभी तुम भी सर दबा दो मेरा, ये भी कमी एक खलती है
जब मैं भी ऑफिस जाती हूं, तुम भी घर को संवार दो ना
तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना

मत करो वादे जन्मों के, इस पल ख़ुशी की वजह दो ना
कभी बाज़ारों से ध्यान हटे, तो मकान को घर भी कर दो ना
आओ पास बैठो, कुछ बातें करें, कभी दिल के ज़ख्म भी भर दो ना
क्यों कहना भी पड़ता है ये, तुम एहसासों को समझो ना
तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना

तुम क्रिकेट भी अपनी देखो और मैं सीरियल अपना लगाऊंगी
थोड़ा हाथ बंटा देना, मैं जब किचन में जाऊंगी
सब मिलकर साथ करने की हममें ये भी तो क्वॉलिटी है
हम साथ खड़े हैं इक-दूजे के, हल ही जेंडल इक्वॉलिटी है
तुम भी नए से हो जाओ अब, और नई सी मुझको उमर दो ना
तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो ना

है ना प्यारी सी कविता, जिसमें एक पत्नी अपने पति से बस ये कहना चाहती है कि अगर वो उसका हाथ बंटाएगा तो उन दोनों की ज़िंदगी कितनी आसान हो जाएगी। और ये सच ही तो है हर बदलाव की शुरुआत पहले अपने घर से होती है। अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आज की नारी घर और ऑफिस के बोझ में इतना पिस जाती है कि उसे ख़ुद के लिए वक्त ही नहीं मिलता। लेकिन अगर उसका हमसफ़र उसका साथ देगा तो उनकी ज़िंदगी और बेहतर और कामयाब हो जाएगी। वो कहते हैं ना ख़ुशियां छोटी-छोटी बातों में ही छिपी होती हैं!

औरत को सुपरवूमन समझना बंद करें, वो भी एक इंसान है। आप भी ये छोटी सी कोशिश करके देखिए यकीन मानिएगा आपके घर की ख़ुशियां दोगुनी हो जाएंगी। अगर आपने ये कविता अभी तक सुनी नहीं है तो ज़रूर सुनें और अपने पति और पूरे परिवार को भी सुनाएं। लेकिन सिर्फ़ सुनिएगा नहीं अमल भी कीजिएगा।

मूल चित्र : YouTube 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

133 Posts | 493,172 Views
All Categories