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बच्चों के लिए क्या ज़रूरी है ज़रा सोचें! आज हम सभी अति भौतिकता की ओर आंखें मूंदकर चलते जा रहे हैं, बिना यह सोचे कि उसका परिणाम हमारे बच्चों पर क्या होगा?
इसी कड़ी में आज माता-पिता दोनों नौकरी पेशा हो गए हैं। संयुक्त परिवार का चलन ना होने के कारण ऐसे माता-पिता के बच्चों को अकेलेपन का सामना करना पड़ता है जो कि धीरे-धीरे तनाव में परिवर्तित हो जाता है।
वह गंभीर मानसिक विकारों से ग्रस्त हो जाते हैं और उनके व्यवहार में भी अनेक अनुचित परिवर्तन देखने को मिलते हैं। माता-पिता उन्हें सुविधा और साधन तो देते हैं पर समय नहीं देते जिसके कारण बच्चे को अपने माता-पिता के प्रति लगाव ना के बराबर होता है। कभी-कभी तो वो उन्हें मात्र अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन समझने लगते हैं। ये हमारे आने वाले समाज के लिए बेहद भयावह और खतरनाक है। पति-पत्नी दोनों का नौकरी करना आज की ज़रूरत बनती जा रही है, लेकिन एक पल को ठहर कर ज़रूर सोचें कि जिसके लिए आप यह सब करते हैं, वह क्या सोचता है? वह क्या चाहता है? सोचें आपके बच्चों के लिए क्या ज़रूरी है?
अपने बच्चे को समझने का प्रयास करें। हो सकता है, विवशतावश आप अपने बच्चे को पर्याप्त समय ना दे पाएं। कोई बात नहीं, लेकिन जो समय मिले बस उसी के लिए रहे। बच्चों को लगे कि वो आपके लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। बच्चों का जन्मदिन हो या स्कूल की गतिविधियाँ उनके लिए समय ज़रूर निकालें। उसके साथ घूमने जाएं। शाम को बेशक आप थक गए हों पर अपने बच्चे के दिन भर का हाल जरूर पूछें। महंगे गिफ्ट और मोबाइल पकड़ा देने से माता-पिता की ज़िम्मेदारी पूरी नहीं होती।
बच्चों के पालन-पोषण के लिए बहुत सी महिलाओं ने अपने कैरियर के महत्वपूर्ण समय से अवकाश लिया है और यकीनन उनका ये निर्णय सही निर्णय साबित हुआ। बच्चों को भावनाओं से बांधे, पैसे से नहीं। जब आप उसे रिश्ते और भावनाओं की कीमत समझा देंगे, तो उसे फर्क नहीं पड़ता कि आपने उसे सबसे महंगा गिफ्ट दिया या नहीं। आप उसके साथ जाकर आइसक्रीम भी खा कर आएंगे तो भी वह बहुत खुश होगा।
हो सके तो अपने बच्चे को खुद पालें। आया यह मेड के भरोसे ना रहें। मातृत्व एक अवस्था ही नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी भी है और बच्चे अनमोल उपहार होते हैं। जिस तरह हम अपनी अनमोल चीज़ों की हिफाजत स्वयं करते हैं उसी तरह अपने बच्चों की भी हिफाज़त करें।
मूल चित्र : Pexels
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