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क्या चुप रह कर सब कुछ सहने की ज़िम्मेदारी सिर्फ आपकी बहु की है?

हम अपने रिश्तों को बनाए रखने के लिए चुप रहना पसंद करते हैं, खासकर कि हम बहुएं। हमें अपने और अपने परिवार, दोनों के बारे में सोचकर ही कदम उठाना पड़ता है।

हम अपने रिश्तों को बनाए रखने के लिए चुप रहना पसंद करते हैं, खासकर कि हम बहुएं, हमें अपने और अपने परिवार, दोनों के बारे में सोचकर ही कदम उठाना पड़ता है।

“जब से तू मेरे घर आई है, मेरा तो जीना हराम हो गया है। जब देखो घूमना-घूमना… घर में तो मन ही नहीं लगता है।”

“लेकर अपने बच्चों और मेरे बेटे रोहित को, छुट्टी वाले दिन निकल पड़ती है…पीछे मेरी जान को स्यापा!” वीना की सास ने उसे सुनाते हुए कहा।

वीना को इस घर में आए 7 साल हो गए हैं। दो प्यारे-प्यारे बच्चे हैं। पहले जॉब करती थी, लेकिन जब से दूसरा बच्चा हुआ है, जॉब छोड़ दी है और तभी सी आंख की किरकिरी बन गई।

अब सारा दिन घर रहती है तो सास को सुहाती नहीं है। कितना भी काम कर लो सास कभी खुश नहीं होती। ऊपर से ताने भी सुनने पड़ते हैं।

आज वीना के बेटे पुरू का जन्मदिन है। पुरू आज २ साल का हो गया। वीना की जान है पुरू, वह भी अपनी मां के बिना नहीं रह पाता।

सुबह से घर में उत्सव का माहौल है। सभी रिश्तेदार, नाना-नानी, मामा-मामी, मौसी, चाचा-चाची, सब अपनी शुभकामना नन्हे पुरू को दे रहें हैं। सभी खुश हैं।

दादा, दादी, पापा और पुरू की बड़ी बहन मीतू भी बहुत खुश हैं।

“अरे मेरे लड्डू गोपाल को जन्मदिन की बधाई हो! भगवान तुझे सदबुद्धि दे। अपनी मां की तरह मत बनना, लड़ाईखोर है वह तो!” पुरू को गोद में लेकर सासू जी ने अपना आशीर्वाद नन्हे पुरू को दिया। पास में वीना भी थी। उसने सब सुन कर भी अनसुना कर दिया।

मन ही मन सोच रही है, ‘मैं तो एक आंख भी नहीं सुहाती और अपने पोते की इतनी बलैयां ले रहे हो। मेरे बिना यह पोता कैसे मिल जाता?’

और फिर, वीना अपना मुंह नीचे किए चल दी किचन में काम करने।

हम सब परिवार में रहते हैं। हर घर में लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं लेकिन कभी-कभी बिना किसी गलती के सुनना पड़े तो बहुत बुरा लगता है। हम कई बार अपने रिश्तों को बनाए रखने के कारण चुप रहना पसंद करते हैं, खासकर हम बहुएं क्यूंकि हमें अपने और अपने परिवार, ससुराल और मायका, दोनों के बारे में सोचकर ही कदम उठाना पड़ता है।

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मूल चित्र : Unsplash 

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