कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

दशहरे का रावण तो जला दिया पर क्या सचमुच रावण का अंत कर पाए हैं हम?

हर साल दशहरे वाले दिन, बाहर एक रावण का पुतला बनाते हैं उसे जलाते हैं, और खुशियां मनाते हैंकि रावण का अंत हो गया, क्या इतना करना काफी है?

हर साल दशहरे वाले दिन, बाहर एक रावण का पुतला बनाते हैं उसे जलाते हैं, और खुशियां मनाते हैं
कि रावण का अंत हो गया, क्या इतना करना काफी है?

दशहरा बड़े जोर-शोर से मनाया सबने।
रावण दहन भी हो गया।
बाहर के रावण का अंत कर
बेहद खुशियां मनाई सबने;
पर क्या अपने भीतर छुपे
‘भय’ रूपी रावण का अंत कर सके हम?
क्या अपने भीतर छुपे
‘लोभ’ रूपी रावण का अंत कर सके हम?
क्या अपने भीतर छुपे
‘ईर्ष्या’ रूपी रावण का अंत कर सके हम?
क्या अपने भीतर छुपे
‘अहम’ रूपी रावण का अंत कर सके हम?

ऐसे ना जाने कितने रावण हमने
अपने भीतर संभाल कर रखे हैं;
पर अपने भीतर के रावण को
पुचकारते हैं, दुलारते हैं,
और बड़ा करते हैं;
और हर साल दशहरे वाले दिन
बाहर एक रावण का पुतला बनाते हैं
उसे जलाते हैं, और खुशियां मनाते हैं
रावण का अंत हो गया।
पर क्या सचमुच रावण का अंत कर पाए हैं हम?

मूल चित्र : Canva

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Anchal Aashish

A mother, reader and just started as a blogger read more...

36 Posts | 103,571 Views
All Categories