कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

फर्ज़

नाम में क्या रखा है बेटा। मुझे इस धरती ने बिना मांगे ही सब दिया।मैं भी कुछ आने वाली पीढ़ी को विरासत मे देना चाहता हूं।ये घने वृक्ष और इनकी छाया।

नाम में क्या रखा है बेटा। मुझे इस धरती ने बिना मांगे ही सब दिया।मैं भी कुछ आने वाली पीढ़ी को विरासत मे देना चाहता हूं।ये घने वृक्ष और इनकी छाया।

75 वर्षीय सरजू काका धूप में पौधे लगा रहे थे। एक राहगीर ने पास जाकर पूछा ?आप शहर के बाहर पौधे क्यों लगा रहे हैं?
काका ने कहा, ‘बेटा यह बरगद, पीपल, नीम और आम के पौधे हैं। कुछ सालों बाद यह वृक्ष बड़े हो जाएंगे।राहगीरों को छाया और फल देंगे।’
‘काका मगर उस समय तक आप तो नहीं रहेंगे कौन लेगा आपका नाम?’
काका ने कहा, ‘नाम में क्या रखा है बेटा। मुझे इस धरती ने बिना मांगे ही सब दिया।मैं भी कुछ आने वाली पीढ़ी को विरासत मे देना चाहता हूं।ये घने वृक्ष और इनकी छाया।”

मूल चित्र : Pixabay

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

41 Posts | 296,994 Views
All Categories