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KBC 11 की कर्मवीर सुनीता कृष्णन हैं यौन तस्करी से पीड़ित महिलाओं के लिए एक प्रज्वल उम्मीद!

KBC 11 की कर्मवीर सुनीता कृष्णन पूछती हैं, 'जब यौन शोषण करने वाले हमारे समाज का हिस्सा हैं, तो यौन पीड़िताओं को समाज का हिस्सा क्यों नहीं बनने दिया जाता?'

KBC 11 की कर्मवीर सुनीता कृष्णन पूछती हैं, ‘जब यौन शोषण करने वाले हमारे समाज का हिस्सा हैं, तो यौन पीड़िताओं को समाज का हिस्सा क्यों नहीं बनने दिया जाता?’

यह शीर्षक पहले पहल कुछ अजीब लग रहा होगा लेकिन यह अपने आप में कई दर्दनाक ज़िंदगियों के किस्से समेटे हुए है।

प्रज्वला का जन्म सन १९९६ में हैदाबाद में हुआ। प्रज्वला की मां हैं सुनीता कृष्णन। प्रज्वला एक गैर सरकारी संस्था यानि NGO है और इसकी संस्थापक हैं समाज सेविका सुनीता कृष्णन।

इस NGO में सुनीता यौन तस्करी और देह व्यापार से पीड़ित महिलाओं की मदद करती हैं। मदद शब्द बहुत छोटा प्रतीत होता है, ख़ास कर के तब, जब हम सुनीता के प्रयासों और काम के बारे में पढ़ते हैं। सुनीता ने आज तक २२००० से भी ज़्यादा यौन पीड़ित महिलाओं को जीवनदान दिया है। वह सिर्फ उनकी तारणहार ही नहीं बल्कि पुरुषप्रधान समाज के मुंह पर करारा तमाचा हैं।

प्रज्वला को शुरू करने का बीज तब बोया गया जब सुनीता खुद के यौन शोषण के दर्द से उभर रही थीं। १५ साल की सुनीता का आठ पुरुषों ने सामूहिक बलात्कार किया था। अपने शारीरिक पीड़ा से तो वह उबर गयीं लेकिन समाज और रिश्तेदरों के तानों और धिक्कार भावना ने उसके मन में असीमित गुस्सा भर दिया। इस गुस्से को खुद के अंदर ज्वाला के रूप में धधकते हुए सुनीता ने ‘प्रज्वला’ की शुरुवात की।

हाल ही में18 October, 2019 को सोनी टीवी पर आनेवाले शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में सुनीता को ‘कर्मवीर’ के रूप में आमंत्रित किया गया। यौन पीड़ितों के दर्द को जब वह बयान कर रही थीं तब शो के एंकर अमिताभ बच्चन जी भी अपनी निराशा और पीड़ा को सुनहरे पर्दे के सामने रोक नहीं पाए।

जब सुनीता को पूछा गया कि इस कार्य में सबसे बड़ी चुनौती कौन सी है, तब उनका जवाब था ‘समाज‘ क्यूंकि  यौन पीड़िताओं के प्रति सभी लोग सहानुभूति तो ज़रूर जताते हैं लेकिन कोई भी उनको अपने घर में कोई काम नहीं देना चाहता। किसी भी ऑफिस में उन्हें काम के लिए नकार ही झेलना पड़ता है। जब यौन शोषण करने वाले हमारे ही समाज का हिस्सा हैं, तो यौन पीड़िताओं को समाज का हिस्सा क्यों नहीं बनने दिया जाता है? इस विडंबना का कोई जवाब नहीं और यह हमारे समाज का हिस्सा बन चुकी है जिसे हम आंख बंद कर के स्वीकार कर चुके हैं?

और यहीं हमारी मानवता पर सवाल उठते हैं, लेकिन हम हतबल की तरह बस खबर सुनते हैं और भूल जाते हैं।सुनीता का कहना है कि अगर हर व्यक्ति अपने घर में अपने बेटों, भाइयों और पुरुषों को यह समझाए कि स्त्री कोई खिलौना नहीं तो शायद आने वाले समय में हम इस समस्या का कोई समाधान ढूंढ़ पाएं। स्त्री के प्रति आदर भाव रखना और ये सिखाना हमारा सर्वप्रथम कर्तव्य है।

अपने काम के बारे में जानकारी देते हुए सुनीता बताती हैं कि उनके काम के कई पड़ाव हैं। पहला पड़ाव है पुलिस और खबरियों की मदद से जानकारी लेना कि मानव तस्करी कहां हो रही है, फिर बहुत ही गोपनीय ढंग से पुलिस और विशिष्ट रूप से प्रशिक्षित अधिकारियों के साथ ऐसी जगहों पर छापा मारना।

दूसरे पड़ाव में प्रज्वला की सुनीता कृष्णन कहती हैं कि बचाव अभियान इतनी जल्दी करना पड़ता है कि थोड़ी सी भी चूक कई लोगों की जान ले सकती है। औरतों और बच्चियों को अलमारी में, पलंग के नीचे, शौचालयों में छुपाया जाता है। यह काम बहुत ही जोखिम भरा है क्योंकि इसमें माफिया भी शामिल होती है। कई बार लड़कियां आना नहीं चाहती हैं क्योंकि यौन व्यापार करने वालों के पास उनके बच्चे होते हैं।

देह व्यापार की सबसे पीड़ादायक सच्चाई यह भी है कि कई बार घर की बड़ी महिलाएं ही घर के बच्चियों को दल्लों के हाथ बेच देती हैं। कई बार यौन शोषण की नाबालिग लड़कियां मां भी बन जाती हैं। पीड़ित महिलाओं को इस सदमे से उबारना बड़ा काम होता है जिसमें कई महीने लग जाते हैं।

इन महिलाओं के लिए रोजगार ढूंढ़ना एक और बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए सुनीता ने छोटे निवेश से एक प्रिंटिंग प्रेस और फर्नीचर उद्योग शुरू किया। अब ये महिलाएं किसी पर भी निर्भर नहीं हैं। इतना ही नहीं, वैश्यालयों से छुड़ाई गई सभी लड़कियां और बच्चे अब सुनीता द्वारा शुरू किया हुए स्कूल में पढ़ते हैं।
इस नेक काम में सुनीता का साथ उनके पति डॉक्टर राजेश पूरी तरह दे रहे हैं।

प्रज्वला की सुनीता कृष्णन की जांबाजी के आगे मैं नतमस्तक हूं और डॉक्टर राजेश की सोच और नेकदिली को सलाम करती हूं।
आप सब से अनुरोध है कि सुनीता की सोच को एक अंजाम तक पहुंचाएं। आइए अपने बेटों, भाइयों ,मित्रों को सिखाएं और समझाएं की स्त्री आदरणीय है। इस समाज का वह भी समान अंग हैं। स्त्री सिर्फ वह नहीं जिसे नवरात्रि के नौ दिन माता के रूप में पूजा जाए। वह हमारे घर में, ऑफिस में, देश भर में समानता के साथ चलने वाले हमारे समाज का अभिन्न अंग है। आप इस अंग का आदर करें।

आइए KBC 11 की कर्मवीर सुनीता कृष्णन की तरह हम सब के मन में नारी सशक्तिकरण का दीप प्रज्वलित करें।
एक दीवाली ऐसी भी मनाएं।

मूल चित्र : YouTube/ Commons Wikimedia

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Pragati Bachhawat

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