कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
ख़ुशी दिखावे में नहीं अपनों के साथ सुकून से रहने में है, तो अब कपड़ों को रिपीट करिये, साथ में एक नई जोश से भरी खूबसूरत मुस्कान को भी पहनिए।
मोबाइल फोन की घंटी सुनते ही श्यामली ने देखा उसकी दोस्त निखत है।
“हाय श्यामली, कैसी है?”
“मैं ठीक हूं, तू बता कैसे मेरी याद आई?”
“अरे यार शीरी थीम पार्टी कर रही है, प्लीज़ चल ना।”
“ना बाबा ना, ये तेरी पार्टीयां मुझे बहुत महंगी पड़ती हैं। देख, तू चली जा”, कहते हुए उसे पति कबीर के उसकी फिजूलखर्ची पर दिये गये लेक्चर याद आ गये।
“प्लीज़ यार चल ना, देख शीरी भी खुश हो जायेगी।”
“ओके! चल बता क्या थीम है?” निखत के इसरार करने पर मायूसी से श्यामली बोली।
“नज़ाकत-ऐ-लखनऊ, अवधी के रंग चिकनकारी के संग!”
“पर निखत मेरे पास कोई चिकन की नई ड्रेस नहीं है।”
“अरे है न! तूने नवरात्र पूजन पर चिकन का सूट पहना था।”
“अरे यार वो सूट तो बहुत कामन हो गया है। कितनी फोटो सेशन करी थी और सब फेसबुक और इंस्टा पर अपलोड की थी”, मायूसी से श्यामली बोली।
“पर तूने अभी तो लिया था, एक ही बार तो पहना है। मेरी सोच मेरे पास तो कुछ भी नहीं है लखनवी स्टाइल का।”
“क्या करूँ? चल शापिंग चलते हैं। एक बजे तक रेड्डी रहना। ओके सी यू।”
निखत और श्यामली ने जम के शापिंग की और बहुत सारे बैग्स लेकर घर आ गयीं।
शाम को श्यामली कबर्ड में सब शापिंग बैंग सेट कर रही थी कि उसके पति कबीर आ गये और उसकी इस फिजूलखर्ची देख कर नाराज़ होने लगे।
“श्यामली, ये क्या फितूर तुमने पाल रखा है। कितनी शापिंग करोगी आखिर? कबर्ड भरी हुई है पर फिर भी मैडम को नया चाहिए। मैं सारा दिन आफिस में तुम्हारी फिजूलखर्ची के लिए नहीं खपता हूं। अरे इतने महंगे कपड़े बस एक बार पहन कर दान कर दोगी क्या? अजीब पागलपन तुम पर हावी हो गया है।”
श्यामली और कबीर के बीच की कहा-सुनी से और आए दिन के होने वाले झगड़ों में दोनो के बीच का प्यार और सुकून जैसे खत्म होने लगा।
दोस्तों, मुझे ये सब देख के अपनी दोस्त ज्योति और उनके संगठन Maa2Mom द्वारा चलाई जा रही मुहिम #irepeatmyclothes की याद आई।
आज सोशल मीडिया और उन पर अपलोड फोटोज़ की वजह से लोगों पर अपने लुक्स को लेकर बहुत दबाव आ गया है। मैं सबसे अलग और सुंदर दिखूँ वाली सोच ने मिडिल क्लास लोगों पर जबरदस्त दबाव बनाना शुरू कर दिया है। छोटे-छोटे बच्चों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि मम्मा कपड़े रिपीट नहीं करने। सोचिए बच्चे और खासकर टीन एज के बच्चों पर अलग और सबसे अच्छा दिखने का दबाव इतना बढ़ रहा है कि ख्वाहिश पूरी न होने पर वे आत्महत्या जैसी घटनाओं की तरफ बढ़ रहें हैं। बहुत ही सोचनीय विषय है और हम सबको मिलकर कोई ठोस कदम उठाना होगा।
अरे भाई आपके पति या खुद आप भी अगर वर्किंग वुमन हैं, तो सोचिए पैसे कितनी मेहनत से आते हैं। उसका सदुपयोग करिए, अपनी फैमिली और बच्चों के भविष्य पर लगाइए पर फिजूलखर्ची और सोशल मीडिया के फोटो और कपड़े ना रिपीट करने के फितूर से बाहर आइए। बच्चों को समझाइए कि कपड़ों से नहीं बल्कि अच्छे व्यक्तित्व से आप सबसे अलग दिखेंगे। अपने आसपास जागरूकता फैलाइए।
आप ऐसा करके देखिए, आप कितने सुकून में आ जायेंगीं। फिर पति भी खुश, बच्चे भी खुश, और आपका बैंक बैलेंस भी खुश। और, ये सब देख कर आप तो सबसे ज्यादा खुश। क्यों सही हैं ना!
दोस्तों ख़ुशी दिखावे में नहीं अपनों के साथ सुकून से रहने में है। तो चलिए इस दीपावली से #irepeatmyclothes #iwearmysmile मुहीम को अपनाते हैं। कपड़ों को रिपीट करिये, साथ में एक नई जोश से भरी खूबसूरत मुस्कान को भी पहनिए और देखिए दुनिया का सबसे खूबसूरत परिवार आप का ही लगेगा। विश्वास न हो तो एक बार कर के देखिए।
‘खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में है मुस्कुराहट जिसे चाहे उसे हसीन कर दे।’
दोस्तों अगर मेरा ब्लॉग पसंद आया हो और आप मेरी बात से सहमत हो तो सोशल मीडिया पर शेयर ज़रूर करें।
मूल चित्र : Pixabay
read more...
Please enter your email address