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इस बाल दिवस मिलिए इन 5 माँओं से जिन्होंने बच्चों की परवरिश को नए मायने दिए हैं!

इन माताओं ने नए ग्रुप्स, उत्पाद और यहां तक ​​कि ऐसे व्यवसाय भी बनाए जिससे बच्चों की देखभाल बहुत आसान हो जाती है। यहां हम फक्र से बात करते हैं उनके बारे में!

इन माताओं ने नए ग्रुप्स, उत्पाद और यहां तक ​​कि ऐसे व्यवसाय भी बनाए जिससे बच्चों की देखभाल बहुत आसान हो जाती है। यहां हम फक्र से बात करते हैं उनके बारे में!

अनुवाद : प्रगति अधिकारी 

बच्चे दुनिया की सबसे मासूम और खूबसूरत देन है। इस पीढ़ी में, जहां न्यूक्लिअर परिवार ज़्यादा हैं, और टेक्नोलॉजी पर निर्भरता अत्यधिक, माता-पिता ज़्यादा रचनात्मक होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

ऐसे में, कुछ माताएँ कुछ अतिरिक्त कदम उठा कर बच्चों के लिए ऐसे नए खिलौने बना रही हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हैं और इसके साथ-साथ इस सफर को और भी आसान बनाने के लिए नए रास्ते भी निकाल रही हैं।

यहाँ पेश हैं कुछ माताएँ जिन्हें मैं जानती हूँ और ये काम कर रही हैं हमारे पालन-पोषण के तरीक़ों को आसान बनाने की ओर। 

अधुनिका प्रकाश, फॉउंडर BSIM

एमबीए की स्नातक, अधुनिका प्रकाश ने भारतीय माओं को स्तनपान कराने का समर्थन करने के लिए BSIM समूह शुरू किया। इस समूह में 82000 से अधिक सदस्य हैं और समूह के सदस्य स्तनपान के बारे में अपने संदेह स्पष्ट करने में एक दूसरे की मदद करते हैं। इसने मुझे आत्मविश्वास दिया। 6000 आवेदकों में से फेसबुक कम्युनिटी लीडरशिप कार्यक्रम में अधुनिका को पांच ग्लोबल नेताओं में से एक के रूप में चुना गया था।

अपने एक साक्षात्कार में, उन्होंने बताया कि समूह का प्राथमिक उद्देश्य स्तनपान के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए माता-पिता को स्तनपान कराने में मदद करना है, ये लक्ष्य ग्रुप स्वयं निर्धारित करता है। उन माता-पिता, जो NICU में अपने 650 ग्राम के शिशु को जीवित रखने की कोशिश में हैं, से लेकर, उन माता-पिता तक, जो अपनी स्तनपान का सफर पूरा करने वाले हैं, सभी का समर्थन BSIM करता है। सब चुनौतियों का सामना करने में समर्थन और सारी जानकारी BSIM देता है जिससे माता-पिता के स्तनपान कराने के लक्ष्य पूरे हो सकें। इसके लिए आधुनिका का शुक्रिया। 

अमृता राम, मम्मा डायरीज़ (Mumma Diaries)

अमृता राम ने मार्केटिंग और कॉस्मेटोलॉजी में अपनी डिग्री ली। फिर उन्होंने अर्ली लर्निंग सीखने के जुनून में एक MNC में अपनी उच्चप्रोफाइल की नौकरी छोड़ दी। उन्होंने एक वेबसाइट बनाई है, मम्मा डायरीज़,  जहाँ वे पेरेंटिंग और अर्ली लर्निंग पर अपने ब्लॉग साझा करती हैं।

उन्होंने अर्ली लर्निंग सीखने के लिए प्रैक्टिकल वीडियोज़ का यूट्यूब चैनल भी शुरू किया, जिसमें उन्होंने अपने बेटे के साथ काम किया। उसके साथ-साथ उन्होंने एक फेसबुक ग्रुप भी शुरू किया जिससे सब माता-पिता एक दूसरे की मदद कर सकें। उनकी वेबसाइट में एक अन्य श्रेणी भी है, जिसे टोटलैब्स (Totlabs)कहा जाता है, जहाँ हम कम कीमत में उनके द्वारा ही डिज़ाइन किए गए खिलौने खरीद सकते हैं। अमृता खुद को प्रेरित करने के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी प्रेरित करती हैं।

बइरवी मणि, कोलकोल (Kolkol)

बायिर्वी को एर्गोनोमिक बेबी-वियरिंग के बारे में तक पहली बार पता चला जब उनका बेटा कुछ महीने का था। उन्होंने महसूस किया कि बच्चे को ‘पहनने’ से जीवन बेहद आसान हो जाता है। उन्होंने इसके इस्तेमाल के बाद घूमना-फिरना, बाहर खाना-पीना, दोस्तों से मिलना और यहां तक ​​कि बच्चे को साथ पहने हुए शादी में नाचना भी जारी रखा। वे बेबी-वेयरिंग के बारे में अधिक जागरूकता फैलाना चाहती थीं और उन्होंने ब्रैंड कोलकोल(Kolkol) का निर्माण किया, जो किफायती मूल्य पर सुरक्षित और एर्गोनोमिक बेबी कैरियर्स बेचता है।

प्रिया रविशंकर, कब्ज़ एंड काव्ज़ (Cubs and Calves)

प्रिया रविशंकर चाहती थीं कि उनके बच्चों की रचनात्मकता को डिजिटल मुक्त वातावरण में विकसित किया जाए और उन्होंने ‘क्वाइट बुक्स’ के बारे में सीखा। क्वाइट बुक्स फेल्ट या कपड़े से बनती हैं। क्वाइट बुक्स मोटर स्किल्स का विकास करती हैं और साथ ही साथ आपके बच्चे को प्रत्येक पृष्ठ पर गतिविधियों से जोड़े रखती हैं। उन्होंने पहली एक किताब खुद बनाई और उसे ऑनलाइन पोस्ट किया। इसे ज़बरदस्त प्रतिक्रिया मिली और इसने उन्हें अपना वेंचर, कब्ज़ एंड काव्ज़  (Cubs and Calves) शुरू करने के लिए प्रेरित किया।

प्रिया रविशंकर को पता चला कि क्वाइट बुक्स के लिए भारत में बहुत कम विकल्प हैं और वे इन्हें यहीं पर बनाना चाहती थीं। वे केवल कुछ पृष्ठ नहीं बनातीं, अपने काम के लिए बच्चे की रुचियों और आवश्यकताओं को भी समझती हैं। अब वे इन पुस्तकों को अमेज़ॅन और विश्व स्तर पर भी बेच रही है। वे उत्सव व त्यौहारों की थीम पर भी क्वाइट बुक्स बनाती हैं जो बच्चों को हमारी संस्कृति के बारे में अधिक जानने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

तनुश्री सिंह, रीडिंग रकून्स (Reading Raccoons)

कीप काम एंड मॉमी ऑन (Keep Calm And Mommy On) की लेखिका तनुश्री सिंह मनोविज्ञान की लेक्चरर हैं। पढ़ने के प्रति उनके प्रेम के कारण, बच्चों के साहित्य के एक लोकप्रिय बुक ग्रुप, रीडिंग रकून्स का निर्माण हुआ, जिसके बाद वयस्कों के लिए एक रीडिंग ग्रुप सीनियर रीडिंग रकून्स  का निर्माण हुआ। उन्होंने पेरेंटिंग के सफर पर कई लेख लिखे हैं जो अपनाने में काफी आसान हैं। उनकी किताब कीप काम एंड मॉमी ऑन किशोर बच्चों के माता-पिता के लिए काफ़ी उपयोगी है। 

मैं तहे दिल से, अपने बच्चे की परवरिश में मेरी मदद करने के लिए, इन सभी महिलाओं का धन्यवाद करती हूँ। मुझे उन लोगों के बारे में भी जानना अच्छा लगेगा जो आपको अपनी पेरेंटिंग की यात्रा में प्रेरित कर रहे हैं!

मूल चित्र : Pexels 

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