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बैंकॉक में चल रहे एशियन कॉन्टिनेंटल क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में तीरदांज दीपिका कुमारी ने स्वर्ण और अंकिता भक्त ने कल सिल्वर मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया।
बैंकॉक में चल रहे एशियन कॉन्टिनेंटल क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में 28 नवंबर 2019 को महिला रिकर्व स्पर्धा में तीरदांज दीपिका कुमारी ने स्वर्ण और अंकिता भक्त ने सिल्वर मेडल जीतकर भारत के लिए ओलंपिक कोटा हासिल कर लिया है। इन दोनों महिला तीरंदाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया और देश का गौरव बढ़ाया।
दीपिका ने जीतने के बाद कहा, “हम शुरुआत में थोड़ा नर्वस थे, लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहते थे, अब फाइनली जीतने के बाद अच्छा महसूस कर रही हूं।” लास्ट 4 खिलाड़ियों में दीपिका ने वियतनाम को और अंकिता ने भूटान को हराया। फिर दीपिका ने फाइनल में अंकिता को 6-0 से मात तो दी लेकिन अंकिता की ये हार, हार नहीं जीत ही थी क्योंकि दीपिका को गोल्ड मिला तो अंकिता को सिल्वर और देश को मिला ओलंपिक कोटा।
ओलंपिक कोटा का मतलब है, ओलंपिक के लिए तय प्रदर्शन करकेक्वॉलिफाई करना।
एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर के घर जन्मी दीपिका बचपन से ही पत्थरों से आम पर निशाने लगाया करती थी लेकिन परिवार आर्थिक रूप से अधिक मजबूत नहीं था। फिर भी माता-पिता ने दीपिका के सपने में विश्वास दिखाया और अपनी बेटी के लिए घर की और ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ कर दिया। दीपिका घर में बने बांस के धनुष और तीर से भी प्रैक्टिस किया करती थीं। इसी तरह मेहनत और परिवार के साथ से दीपिका आगे बढ़ती रहीं और देश ही नहीं दुनिया की बेहतरीन तीरदांज़ों में अपना नाम बना लिया। 25 साल की दीपिका अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री सम्मान हासिल कर चुकी हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में गोल्ड मेडल के अलावा ना जाने वो कितने पदक दिलाकर देश का सिर बार-बार ऊंचा कर चुकी हैं।
कोलकाता में जन्मी 21 साल की अंकिता भक्त भी 10 साल की उम्र से ही तीरंदाज़ बनने का सपना देखती थीं। उनके पिता एक मिल्कमैन थे। लेकिन दीपिका की ही तरह अंकिता के सपनों को कोई मुश्किल रोक नहीं पाई। परिवार और लगन से अंकिता ने अपना लक्ष्य पक्का कर लिया और कोलकाताआर्चरी क्लब में एडमिशन ले लिया था। अंकिता ने भी कई बार नेशनल-इंटरनेशनल कई लेवल पर देश का प्रतिनिधित्व किया है।
इस बार दीपिका और अंकिता दोनों फिर से देश को गौरवान्वित किया है। लेकिन ये तो बस शुरुआत है, वो कहते हैं ना अभी तो ज़मीन पर कदम रखे हैं, अभी तो आसमान छूना बाकी है…..
अपनी बेटियों को सपने देखने दो, उन्हें अपनी उड़ान भरने दो। फितूर है गर उसमें सपने पूरे करने का, उन्हें उनकी उड़ान भरने दो।
मूल चित्र : Google
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