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क्यों ना हम सब फिर से बच्चे बन जाएँ!

कोई क्या कहेगा, किसने क्या कहा, भूल जाएँ सब कुछ एक बच्चे की तरह, यकीन मानिए, ज़िंदगी बहुत आसान हो जाएगी, ना बोझ लगेगी, आसानी से कट जाएगी!

कोई क्या कहेगा, किसने क्या कहा, भूल जाएँ सब कुछ एक बच्चे की तरह, यकीन मानिए, ज़िंदगी बहुत आसान हो जाएगी, ना बोझ लगेगी, आसानी से कट जाएगी!

मैं समिधा नवीन , आप सब को अपनी एक कविता के माध्यम से बाल दिवस पर बहुत सारी शुभ कामनाएँ देती हूँ …

चलिए आज फिर से हम बच्चे बन जाएँ!

उतने ही निश्छल, छल-कपट से कोसों दूर …
चेहरे के साथ, दिल में मासूमियत लिए
बच्चों की तरह बस आज में जिएँ,
ना बीती सोचें, न कल में जिएँ
बहार बन कर बस छा जाएँ।
चलिए आज फिर से हम बच्चे बन जाएँ!

ना रंग-भेद हो, ना हो जाति का बन्धन,
ना कोई छोटा बड़ा हो, न असन्तुष्टि का क्रन्दन,
बस प्यारी सी मुस्कान लिए, बचपन फिर से जी जाएँ।
चलिए, आज फिर से हम बच्चे बन जाएँ!

बालपन गया जबसे, हम हो गए समझदार
छल, कपट, निन्दा और बस पैसा ही,
हो गया जीने का आधार।
बचपन में लौटने की बस,
छोटी सी गलती कर जाएँ
चलिए, आज फिर से हम बच्चे बन जाएँ!

कोई क्या कहेगा, किसने क्या कहा,
भूल जाएँ सब कुछ एक बच्चे की तरह
यकीन मानिए, ज़िंदगी बहुत आसान हो जाएगी,
ना बोझ लगेगी, आसानी से कट जाएगी।

जो मेरा कहा मन को कहीं छू जाए,
तो,
चलिए आज फिर से हम बच्चे बन जाएँ!
Youtube पर देखने के लिए नीचे लिखे link को click करिए। 

मूल चित्र : Pixabay

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Samidha Naveen Varma

Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...

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