कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

IFFI 2019 में तापसी पन्नू का ये जवाब क्या हमारी दकियानूसी सोच को ललकारता है!

IFFI 2019 में तापसी पन्नू ने रिपोर्टर को ये जवाब देकर एक बार फिर साबित किया कि वे हमेशा सही राह ही चुनेंगी फिर चाहे उन्हें किसी का भी सामना करना पड़े!

IFFI 2019 में तापसी पन्नू ने रिपोर्टर को ये जवाब देकर एक बार फिर साबित किया कि वे हमेशा सही बात ही बोलेंगी फिर चाहे उन्हें किसी का भी सामना करना पड़े!

२० – २८ नवंबर २०१९ को गोवा में चल रहे IFFI यानि इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में बॉलीवुड की कई हस्तियां शामिल हुईं । २०१९ साल IFFI के लिए बहुत ही महत्वूर्ण साल है क्योंकि इस साल IFFI ने अपने ५० स्वर्णिम वर्ष पूरे किए। अभी स्वर्णिम जलसा शुरू ही हुआ है और तापसी पन्नू अपनी बेबाकी और सूझबूझ के लिए सोशल मीडिया पर छा गयीं।

IFFI 2019 में तापसी पन्नू ने पहले तो दर्शकों को धन्यवाद दिया कि उन्होंने स्त्री प्रधान फिल्में देखीं और सराही। तापसी का मानना है कि अगर एक स्त्री प्रधान फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट होती है तो भविष्य की ५ और स्त्री प्रधान फिल्में प्रोत्साहित होती हैं। इस सफलता का श्रेय वह अच्छे दर्शकों को देती हैं।

तापसी की इस बात पर अभी कुछ लोगों ने अपनी सहमति जताई ही थी कि एक रिपोर्टर महाशय खड़े हुए और तापसी पर तंज कसते हुए कहा कि तापसी को हिंदी में बात करनी चाहिए ना की अंग्रेजी में। इस बात को सुनकर तापसी ने कहा कि उन्हें हिंदी के प्रयोग से कोई ऐतराज़ नहीं है लेकिन क्या वहां आए हुए लोग और मीडिया हिंदी सुनना पसंद करेंगे?

अभी लोगों ने इंग्लिश की सिफ़ारिश की ही थी कि तभी रिपोर्टर महाशय तपाक से बोला पड़े, “तापसी आप एक हिंदी फ़िल्म की कलाकार हैं और आपने हिंदी में ही बात करनी चाहिए।” इस बात को सुनकर तापसी ने कहा, “मैं तमिल और तेलगू फिल्में भी करती हूं। तो क्या में तमिल में बात करूं?”

तापसी की इस हाजिरजवाबी से वहां हाजिर लोगों के बीच हंसी के ठहाके लग गए। तापसी की इस बेबाकी ने तालियां भी बटोरी। लेकिन रिपोर्टर महाशय शर्म से पानी-पानी हो गए। आगे तापसी ने उस रिपोर्टर से कहा कि यह जगह नहीं है इस तरह के विवाद पूर्ण प्रश्न करने की। किसी और दिन इस विषय पर चर्चा की जा सकती है।

यह पूरा वीडियो देखकर ऐसा लगता है जैसे नई महिला कलाकारों को निशाना बनाया जा रहा है। कभी उनके पहनावे को ले कर उन्हें ट्रोल किया जाता है, तो कभी उनके किसी व्यवहार को लेकर। आजतक भाषा के प्रयोग को लेकर ऐसा तंज किसी भी पुरुष कलाकार पर नहीं कसा गया। हमारा समाज महिलाओं को पुरुषों से एक स्तर नीचे देखने का आदी हो चुका है।

जहां कोई महिला तरक्की की सीढ़ी चढ़ती नजर आती है, बस सब लग जाते हैं उसे नीचे की ओर खींचने। कब बदलेगी यह सोच? एक कलाकार चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, अपने हुनर से पहचाने जाना चाहिए ना की भाषा या पहनावे के पैमाने से।

तापसी के इस जवाब ने कई लोगों के दकियानूसी प्रश्नों का उत्तर दे दिया है। आने वाली पीढ़ी की महिला कलाकारों के लिए तापसी ने एक और दरवाज़ा खोल दिया है।

आशा करती हूं अब कोई भी कलाकार भाषा के पैमाने पर ना तोला जाएगा। ब्रावो तापसी!

मूल चित्र : Google 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Pragati Bachhawat

I am Pragati Jitendra Bachhawat from Mumbai. Homemaker and an Indian classical vocalist. Would love to explore a new Pragati inside through words and women's web. read more...

11 Posts | 32,857 Views
All Categories