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माँ आप ही बताओ मुझे कुछ चाहिए तो मैं किसके पास आऊँगा? आपके पास ना? तो आपको कुछ चाहिए तो आप अपनी मम्मी से ही मांगोगे ना?
माँ आप ही बताओ मुझे कुछ चाहिए तो मैं किसके पास आऊँगा? आपके पास ना? तो आपको कुछ चाहिए तो आप अपनी मम्मी से ही मांगोगे ना? मम्मी परायी थोड़े होती है!
संवाद एक माँ और उसके आठ साल के बेटे का कुछ इस तरह से था –
“मम्मा आप मेरे लिए बड़ी वाली रिमोट कार ले आओ ना, मुझे कार चाहिए।”
“लल्ला तू रोज़ नई-नई फरमाइश करता है, यह अच्छी आदत नही हैं। मैं कुछ दिन पहले ही तेरे लिए कार लाई थी और तूने चार दिन मे तोड़ दी।
“लेकिन मम्मा वो कितनी छोटी थी। अच्छी भी नहीं थी, मैं क्या करूँ इतनी जल्दी टूट गई तो मेरी गलती थोड़े ही है।
“बेटा तू संभाल कर नहीं रखेगा तो टूटेगी ना।”
“मम्मा मैं आपको बताऊँ मुझे कैसी कार चाहिए? आप अपना मोबाईल दो मैं आपको बताता हूँ। मैंने अमेजॉन पर देखी है मम्मा, अगर आपको पसंद आयेगी और आप हाँ कहोगे तो ही मैं बुक करुंगा।”
“अच्छा ठीक है बता, तुझे कैसी कार चाहिए?”
थोड़ी देर अमेजॉन पर सर्च करने के बाद बेटा बोला, “ये देखो मम्मा यह रही मेरी फेवरेट कार। सिर्फ ₹१५०० मम्मा।”
“सिर्फ ₹१५००! १५००कितने होते हैं तू जानता है? इतनी महंगी कार मैं नहीं दिला सकती।”
“पर क्यों मम्मा, मम्मा प्लीज मम्मा।”
“जिद नहीं करते लल्ला।”
“मम्मा आप मुझसे बिल्कुल प्यार नहीं करते। नानी कितनी अच्छी है, मामा कितने अच्छे हैं। गौतम(जो कि उसके मामा का बेटा है और उसका हम उम्र) के लिये हर चीज़ ले आते हैं। कभी मना नहीं करते। उसके पास दादी है ना, शायद मेरी दादी भी मेरे साथ रहती तो मेरे लिए हर चीज़ लाती। मुझसे बहुत प्यार करती, जैसे नानी गौतम से करती हैं।”
“बस लल्ला, तू समझता नहीं, इसलिये कुछ भी बोले जा रहा है। पहली बात तो यह कि हम तुझसे बहुत प्यार करते है। और दूसरी बात यह कि हम नानी जितने अमीर नहीं हैं जो तेरी हर फरमाइश पूरी करते रहें।”
“अब जाओ और अपना होमवर्क कम्पलीट करो।”
थोड़ी देर बाद बेटा फिर से आया, “मम्मा मेरे पास एक आइडिया है।”
“आइडिया? कैसा आइडिया?”
“आप नानी से थोड़े पैसे ले आओ। फिर हम भी अमीर बन जायेंगे।”
“अरे, पगले हम दूसरों से पैसे कैसे मांग सकते हैं? वो तो पराये हैं ना। और कोई दूसरों से पैसे लेकर अमीर नहीं बन सकता।”
“वाह! मम्मा आप भी कैसी बात करते हो? आपकी मम्मी आपके लिए पराई कैसे हुई। मैंने आपको नानी से मांगने को कहा है, दूसरों से नहीं। और माँ तो अपनी होती हैं पराई नहीं।”
“आप ही बताओ मुझे कुछ चाहिए तो मैं किसके पास आऊँगा? आपके पास ना? तो आपको कुछ चाहिए तो आप अपनी मम्मी से ही मांगोगे ना।”
“अरे मेरे लाल तुझे समझना नामुमकिन है। तेरे पास तो हर जवाब का सवाल है। पर मेरे पास तेरे हर सवाल का जवाब नहीं। जब तू बड़ा होगा तब सब समझ जायेगा।”
कभी कभी बच्चे ऐसे सवाल कर बैठते हैं जिसका जवाब हमारे पास नहीं होता। उलझन में भी डाल देते हैं और सोचने के लिए मजबूर भी कर देते हैं। पर सही बात है, ‘माँ पराई कब से हो गई।’
आपके साथ भी ऐसा कोई न कोई वाक़्या जरूर घटा होगा, जब आपके नन्हे मुन्ने के किसी सवाल का आपके पास कोई जवाब ना हो। तो पढ़कर बताइये आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी और अपने विचार भी हमारे साथ शेयर कीजिए।
मूल चित्र : Unsplash
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