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अगर आप सब कुछ छोड़ कर अपने मोबाइल फ़ोन में ही खोए रहते हैं तो आप इसके गुलाम बन गए हैं और इस एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए आपको काउंसलर की ज़रुरत है।
सुबह-सुबह दादाजी कॉलोनी के बगीचे में टहलने जाते हैं और आते समय एक बाईक, जिस पर तीन-चार दोस्त सवार थे, दादाजी को टक्कर मारकर चल दी। इतनी सभ्यता भी बरकरार नहीं थी उनमें से एक में भी कि वे देखते उतर कर कहीं चोट तो नहीं लगी? थोड़ी ही देर में कॉलोनी के दो भाई साहब आए, उन्होंने दादाजी को गिरते हुए देखा था। उन्होंने उनको उठाया और पूछा ज़्यादा लगी तो नहीं? फिर दादाजी को धीरे से उन्होंने बगीचे में बिठाकर पानी पिलाया और बाद में घर पहुंचाया।
दादाजी तो सही सलामत बच गए, यह उनकी खुशनसीबी समझिए। ऐसे ही कॉलोनी के अध्यक्ष अखिलेश शर्मा एवं सचिव सुधीर पाठक, आपस में बात कर रहे थे।
शर्माजी बोले, “आजकल अधिकतर यह देखा जा रहा है कि जब से मोबाईल आए हैं, तो युवाओं को उपयोग-दुरूपयोग कुछ सोचना नहीं है। बस वाहन चलाते समय भी ईयर फोन लगाकर गाने सुनते हैं। उसका अंजाम फिर इस तरह से आम जनता भुगतती है, जैसे कि आज दादाजी के साथ हुआ।”
“अरे भाई शर्मा जी, अभी याद आ रही है हमें कि कल बिट्टु कह रहा था, उसके विद्यालय में समाज सेवी टीम आई थी, जो विद्यार्थियों को इंटरनेट और मोबाईल के बढ़ते उपयोग और उससे होने वाले दुष्परिणाम के संबंध में सर्वे करने आई थी। ऐसा करते हैं, हम लोग उसकी टीम को कॉलोनी में आमंत्रित करते हैं ताकि सभी अभिभावक एवं बच्चे भी इस सर्वें का लाभ उठा सकें। उसमें हम ऐसा करेंगे कि सबसे प्रथम इस विषय पर दादाजी को संबोधन करने का मौका देंगे, वे कॉलोनी में सबसे बड़े हैं और सम्माननीय है। इस सर्वे के साथ ही उनके अनुभव भी हम सभी सुन सकेंगे। तो फिर तय रहा, इस आनेवाले रविवार को प्रात: 10 बजे कॉलोनी के समस्त परिवार के सदस्यों को एकत्रित करने की कोशिश करेंगे।”
फिर शीघ्र ही वह रविवार भी आ गया और जिसका दादाजी को बेसब्री से इंतजार था। माईक पर बोलने का मौका जो मिलने वाला था, मन ही मन सोच रहे थे, ‘वैसे भी घर में बैठे-बैठे बोरीयत ही होती है, तो चलो आज इसी बहाने अपनी बात कहने का मौका तो मिलेगा। कुछ समाजसेवा ही हो जाए।’
कॉलोनी के बगीचे में समाज सेवी टीम का शर्माजी व पाठकजी द्वारा सभी परिवार के साथ मिल-जुलकर स्वागत किया गया और सर्वे प्रारंभ किया गया। टीम द्वारा भी सर्वप्रथम यह ज़ाहिर किया गया, “आज समाज में इंटरनेट और मोबाईल के दुरूपययोग के कारण जो गंभीर समस्या व्याप्त हो रही है, उन्हीं में से हम अपने विचार आप लोगों के समक्ष रखेंगे। आप सभी उस पर गहनता से विचार करेंगे और फिर हम दादाजी के अनुभवों को भी अवश्य रूप से सुनेंगे। आज जो सामाजिक रूप से हम सब मिलकर यहां जो चर्चा करेंगे, वह सिर्फ सुनना ही नहीं है अपितु अपने और बच्चों की जिंदगी में उसे अपनाना भी है क्योंकि यही बच्चे, यही भावी पीढ़ी ही हमारी राष्ट्र निर्माता है।”
“कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित बिंदु आपके समक्ष प्रस्तुत हैं, जो कि वर्तमान में महसूस किये जा रहे हैं –
यहां तक कि चिकित्स्कों का भी कहना यह है कि परिवार में वेब सीरिज के एडिक्शन से अच्छी खासे परिवार में भी सभी अपने आप में सिंगल स्टेटस में रहना पसंद कर रहे हैं। परिवारों में किसी भी प्रकार की बातों को साझा करने की प्रथा ही समाप्त हो रही है। अत: परिवारों के लिए यह बहुत ही खतरनाक ट्रेंड है, इसलिए हर एक सदस्य के लिए स्क्रीन टाइम कम करना बेहद ज़रूरी हो गया है।
आप लोगों को यह सब बताने का उद्देश्य यह हरगिज नहीं है कि मोबाइल या इंटरनेट का उपयोग बिल्कुल ही न किया जाए, बल्कि इसके उपयोग-दुरूपयोग को पूर्ण रूप से ध्यान में रखते हुए अपने बहुमूल्य जीवन में अपनाएं। इस मुद्दे पर भी चिकित्सकों की राय है कि इंटरनेट बिल्कुल बंद कर देना सही हल नहीं है। यदि आपके बच्चे भी इस वेब सीरिज के आदि हो गए हैं तो उन्हें उचित रूप से पारिवारिक सहयोग और चिकित्सकों की उचित सलाह की आवश्यकता है।”
“आप सभी से निवेदन है कि हमारे कुछ फॉर्म तैयार किए गए हैं, जिन्हें आप कॉलम के अनुसार क्रम में भरकर जमा करें ताकि भविष्य में उस हिसाब से निराकरण हेतु उचित कदम उठाए जा सकें। अब आप सभी के समक्ष दादाजी इस संबंध में अपने बहुमूल्य विचार रखेंगे और हम उम्मीद करते हैं कि जिन्हें सुनकर आप सोचने को मजबूर होंगे कि सही में हमारा परिवार खो न जाए।”
फिर दादाजी ने माईक हाथ में लेकर बोलना शुरू किया, “सभी से मेरा निवेदन है कि शांत रहकर इस गंभीर समस्या के लिए आज जो भी यहां आपके हित के लिए बताया जा रहा है, उसका समयानुसार पालन अवश्य ही करेंगे।”
“वे दिन हमने स्वयं खो दिए दोस्तों जब हम दिन में मिलें न मिलें, लेकिन रात को ठीक 9 बजे पूरा परिवार डाइनिंग टेबल पर एक साथ मौजूद रहता था। दिन भर की सारी गतिविधियों की विस्तार से साझेदारी होती थी और सभी परिवार के साथ समय बिताना दिल से पसंद करते थे या घर के सारे लोग एक साथ टीवी के सामने जम जाते थे, अपना फेवरेट सीरियल या चित्रहार देखने के लिए या डिनर के बाद समय निकालकर एक-दूसरे के साथ सैर के लिए निकल जाते थे।”
“अब जमाना है इंटरनेट टीवी का, जिसमें सबके पास अपना-अपना मोबाइल है और नेट कनेक्श्न आसानी से उपलब्ध है। सबकी अपनी अलग ही दुनिया है वेब सीरिज़ की, जिसमें एक ही छत के नीचे रहकर भी एक ही वेब सीरिज़ घर के सदस्य अलग-अलग देखना पसंद कर रहे हैं।”
“आप लोगों को जानकर यह आश्चर्य तो ज़रूर होगा कि यही कारण रहा मेरा समाज सेवी टीम के साथ कुछ सामाजिक कार्य करने का दोस्तों। यह आपके लिए सरप्राईज़ है और आज इसीलिए इस टीम को मैं कॉलोनी में लेकर आया। उस दिन जब मुझे बाईक से ठोकर लगी, तभी मैंने विचार किया कि इस मुद्दे पर चर्चा होना अति आवश्यक है, आखिर लोगों में जागरूकता लाना अनिवार्य है।”
“मेरा यह मानना है कि एक सुदृढ़ परिवार समाज में वह धुरी है, जो इस क्षेत्र में उपयोग-दुरूपयोग के मायने को समझते हुए खोई हुई पारिवारिक संपर्कता को दोबारा वापिस पा सकते हैं। मोबाइल हो, इंटरनेट हो या टीवी हो, यह या तो किसी के लिए मनोरंजन है, ये मान लो, या किसी के लिए ज़रूरत का या किसी के लिए समय गुज़ारने का, पर इसका रूप तो अस्थायी ही रहेगा। लेकिन परिवार के सदस्य सदैव स्थायी रूप से सहयोग के लिए तैयार रहेंगे, अत: इन बिखरे हुए रिश्तों को बचाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाना अनिवार्य है –
अंत में मैं और यह समाज सेवी टीम आप लोगों से यही अपेक्षा रखती है कि अब आप इसका इसका इस्तेमाल निश्चित समय-सारणी के हिसाब से ही करेंगे। धन्यवाद।”
जी हां पाठकों, बहुत दिनों बाद इस लघुकथा के माध्यम से कुछ मन की बात कहने की कोशिश कर रही हूँ। आशा करती हूँ कि आप इसे अवश्य पसंद करेंगे और अपने विचार व्यक्त करेंगे ।
मूल चित्र : Canva
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