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मेरी मेहनत और मेरी नियत पे सवाल उठाने वालो, कभी आइना देख लेना और बस एक सवाल पूछ लेना, कि मैंने सही किया? जो किया सो किया पर क्या वो सही किया?
यह जो वक़्त मैंने कुछ कहने और सुनने में बिताया है यह वो अनमोल पल है जो मैंने किसी के साथ ना बिताया है
गौर फरमाइयेगा…
यह वक़्त मेरी नन्ही सी गुड़िया का हो सकता था मेरी सहेलियों के संग हंसी ठिठोलियों का हो सकता था
यह वक़्त मेरे महबूब के ख्याल में गुजर सकता था या बस यहीं अकेले बैठे हुए सुकूं से गुज़र सकता था
पर मैंने इस पल में कुछ और साँसे डालने की ज़ेहमत उठाई है अपनी कलम की ताक़त को पहचानते हुए अपनी एक दुनिया बनाई है
कुछ दर्द कम कर सकूँ किसी का बस इतना सा अरमान है
दिल साफ़ है मेरा ये मान लेना क्या इतना मुश्क़िल काम है?
यूँही कोई कलम तोड़ने के मुझे मुआवज़े नहीं देता ना ही मेरे घर का दिया मेरी बातों से जलता है
पर ये बस मेरा जूनून है कुछ अच्छा कहकर मिलता मुझे एक सुकूं है
जिसपर सवाल उठाना सबसे आसान है बातों का बवाल बनाना तो और भी आसान है
गलतियां करते हुए ही इंसान ऊपर उठता है मुँह के बल गिर कर ही अगली बार संभालता है
मेरी मेहनत और मेरी नियत पे सवाल उठाने वालो कभी आइना देख लेना और बस एक सवाल पूछ लेना
कि मैंने सही किया? जो किया सो किया पर क्या वो सही किया?
जवाब जो मिल जाये तो उसे सुन लेना बहुत दबाने की कोशिश करोगे तुम उस आवाज़ को क्यूंकि सच सुनना कौन चाहता है
कठिन रास्तों पे संग चलना चाहता कौन है आसान सी चीज़ो को सराहना चाहता कौन है जो जैसा है उसे वैसा देखना चाहते कौन है?
मूल चित्र : Canva
Single mom to a lovely daughter, blogger and Founder at Sanity Daily. An NLP practitioner, advocating Mental health since 2016. Among the top 15 Mental Health Bloggers, read in 60 Countries. Helping you priortise your read more...
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