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आज भी सिर्फ लड़कियों का ही सर्वगुण सम्पन्न होना क्यों ज़रूरी है?

आज भी समाज की मानसिकता लड़कियों को हर कदम पर लड़कों से कम आंकती है, आखिर क्यों? क्या  'लड़का लड़की एक समान' सिर्फ कागजों में लिखी एक खूबसूरत पंक्ति है?

आज भी समाज की मानसिकता लड़कियों को हर कदम पर लड़कों से कम आंकती है, आखिर क्यों? क्या  ‘लड़का लड़की एक समान’ सिर्फ कागजों में लिखी एक खूबसूरत पंक्ति है?

“अरे जूही की मम्मी सुना है कल जूही को लड़के वाले देखने आ रहे हैं। तूने बताया नहीं? और कहाँ है जूही दिखाई नहीं दे रही?”

“गीता वो पार्लर गयी है, अभी आती होगी।”

“अच्छा लता, ये बता लड़का क्या करता है? कैसे लोग हैं? कितने लोग आएँगे? उन्होंने जूही का फोटो मंगाया था क्या? उसके साँवले रंग को लेकर कुछ तो नहीं कहा? तू मुझे बताती तो मैं जूही को कुछ नुस्खे बताती, पर तूने तो अपनी सहेली को पराया कर ही दिया।” एक सांस में गीता कितना कुछ बोल गयी।

तभी जूही ने घर मे प्रवेश किया। उसे देखते ही गीता अचरज से बोली, “ये क्या जूही बेटा! ये तूने अपने बालों का क्या करवा लिया? ये कटिंग बिलकुल नहीं जच रही तुझपे। और, ये कौन सा फेशियल करवाया तूने? चेहरा कितना डल लग रहा है, मुझे बताती तो मैं तुझे ले जाती, जहाँ अपनी रोली को ले जाती हूँ। बहुत महंगा और अच्छा पार्लर है, तेरी सूरत ही बदल देते वो लोग।”

“अरे आंटी आप इतनी परेशान क्यों हो रही हैं? लड़के वाले मुझे देखने आ रहे हैं, आपकी रोली को नहीं। और रही मेरे रंग और कटिंग की बात, तो मुझे पता है मेरे लिए क्या अच्छा है। और, मैं आपकी तरह छोटी-छोटी बातों की टेंशन नहीं लेती।”

“अरे बेटा, मुझे कौन सा फालतू टाइम है। मेरे पास तो एक मिनट की भी फुर्सत नहीं। वो तो आज तेरे घर आई तो पता चला कि तुझे लड़के वाले देखने आ रहे हैं। तो थोड़ी चिंता हो गयी बस, इसलिए सलाह दे रही थी।”

तभी जूही ने पलट के जवाब दिया, “आंटी आपने एक बार भी ये पूछा कि लड़के का रंग सांवला तो नहीं? उसकी हाइट मुझसे छोटी तो नही? वो कितना कमाता है? उसका अपना घर है कि नहीं? उसे शराब या सिगरेट पीने की आदत तो नहीं?”

“क्या ये सब जानना आपके लिए मायने नहीं रखता क्या? आप हमारी शुभचिंतक हैं तो आपको इन बातों की भी चिंता होनी चाहिए कि आपकी प्यारी सहेली की बेटी जिस घर में शादी करके जाएगी वो उसके लिए सही है कि नहीं? जिस लड़के से उसकी शादी होगी वो उसको ख़ुश रखेगा या नहीं?”

“आंटी क्या सिर्फ एक लड़की को ही सर्वगुण संम्पन होना चाहिए? उसे सभी कसौटियों पर खरा उतरना चाहिए? आखिर क्यों? आप बताइए क्यों सिर्फ लड़कियों को ही जांचा परखा जाता है? आप जैसी सोच वाले लोग ही इस समाज की मानसिकता को बदलने नहीं देते।”

जूही की बात सुनकर उसकी आंटी नज़र नीचे कर वापस चली गयी क्योंकि जूही ने एक कड़वा सच बयां किया था।

दोस्तों आज भी समाज की मानसिकता लड़कियों को हर कदम पर लड़कों से कम आंकती है, आखिर क्यों? क्या  ‘लड़का लड़की एक समान’ सिर्फ कागजों में लिखी एक खूबसूरत पंक्ति है?

मूल चित्र : Unsplash

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Antima Singh

13 वर्ष की उम्र से लेखन में सक्रिय , समाचार पत्रों में कविताएं कहानियां लेख लिखती हूँ। एक टॉप ब्लागर मोमस्प्रेसो , प्रतिलिपी, शीरोज, स्ट्रीमिरर और पेड ब्लॉगर, कैसियो, बेबी डव, मदर स्पर्श, और न्यूट्रा लाइट जैसे ब्रांड्स के साथ स्पांसर ब्लॉग लिखती हूँ मेरी कहानियां समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए होती है रिश्तों के उतार चढ़ाव मेरे ब्लॉग की मुख्य विशेषता है read more...

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