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अपनी ताकत का भी करना पड़ता है प्रदर्शन, जब दुश्मन अपने इरादों से बाज ना आए, जब गलतियां बढ़ अपराध बन जाए, शक्ति से कर पथ प्रदर्शन विनय भाव का!
किसने कहा, कब कहा, क्यों कहा
यह उसकी है खता
तु क्यों विचलित होता है?
औरों के दिए हुए गम तले
तू क्यों दबता चला जाता है?
जिंदगी के अनमोल क्षण
सहज ही क्यों खोता है?
कभी किसी की बात चुभ जाए
या फिर दिल को ठेस पहुंचाए,
जान करके उसे नादान
उसकी गलतियों को कर देना तू माफ,
कर स्वयं को आज़ाद
क्योंकि यह बोझ तुझ पर ही पड़ेगा भारी।
एक ही ज़िंदगी मिली है
चल कर ले थोड़ा इसका भी सम्मान,
क्षमा दया विनम्रता
माना यह सारे गुण
देते हैं तुम्हारी सहनशीलता का भरपूर प्रमाण,
पर सहनशीलता जब कमजोरी का आईना दिखलाए
और पानी सर से ऊपर बढ़ता जाए,
अपनी ताकत का भी करना पड़ता है प्रदर्शन
जब क्षमा याचना कुछ काम ना आए
जब दुश्मन अपने इरादों से बाज ना आए
जब गलतियां बढ़ अपराध बन जाए,
शक्ति से कर पथ प्रदर्शन विनय भाव का
और फिर क्षमा और शक्ति
दोनों के नेतृत्व में
एक बार फिर जीत अहंकार को,
सही मार्ग दिखा अपने छोटे से संसार को।
मूल चित्र : Canva
Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...
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