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‘वो जैसी भी है मेरी पत्नी है’ क्या आप भी ऐसा मानते हैं?

"कसम से आप इतनी मासूम हो कि मेरे जैसा इंसान आपके ऊपर होने वाली ज्यादती बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। पता नहीं ये लोग किस मिट्टी के बने हैं।"

“कसम से आप इतनी मासूम हो कि मेरे जैसा इंसान आपके ऊपर होने वाली ज्यादती बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। पता नहीं ये लोग किस मिट्टी के बने हैं।”

“भाभी प्लीज! आप बोला करिये, कैसे सहती रहती हैं आप। मैं ये नहीं कह रही हूँ कि आप लड़ाई करिये मगर अपनी बात तो रख सकतीं हैं न? ये लोग कहानियों के किरदार नहीं हैं कि आपकी अच्छाई देखकर पिघल जाएंगे। आप ये सब सुन-सुन कर मरीज़ बन जाएंगी। कसम से आप इतनी मासूम हो कि मेरे जैसा इंसान आपके ऊपर होने वाली ज्यादती बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। पता नहीं ये लोग किस मिट्टी के बने हैं। और भाई! उनको कुछ नहीं दिख रहा? तब तो अड़ गए थे शादी करने के लिए, अब सारा प्यार खत्म हो गया?”

आज रुपाली बहुत गुस्से में थी, उसके घर वाले उसकी भाभी को बहुत सताते थे। वो घर का सारा काम करती, सबकी बात मानती, जितना हो सकता पूरे मन से घर वालों की सेवा करती। मगर एक कमी जो उनकी खुद की बनाई हुई नहीं थी, भगवान ने उसे ऐसा ही बनाया था। उस कमी की वजह से सब उसके साथ कितना गलत सुलूक करते थे।

रीना, रंग कम होने के बावजूद बहुत प्यारी लगती थी, मगर उसके ससुराल वालों को ये दिखता ही नहीं था। वो सब गोरी चमड़ी वाले थे, शायद इसी बात का उनको घमंड था। सब को ही उससे दिक्कत थी, कोई नाम लेकर तो बुलाता ही न था। अजीब-अजीब नाम रखे थे उन लोगों ने। शुरू-शुरू में तो नीरज ने बहुत लड़ाई की मगर फिर हालात के आगे हार मान ली। जब बर्दाश्त न होता घर से चला जाता। एक रुपाली ही थी जो उसके लिए लड़ जाती, रीना मना भी करती कि जाने दो एक दिन सब ठीक हो जाएगा।

आज नीरज के छोटे भाई धीरज के होने वाले ससुराल से लोग आए थे। जब रीना ने नाश्ता टेबल पर रखा तो एक औरत ने कहा, “आंटी जी आपकी काम वाली ने कॉफ़ी बहुत अच्छी बनाई है, एक हमारी काम वाली है कितना सिखा चुके इतनी अच्छी कॉफ़ी कभी नहीं बना पाई।” ये लड़की की बड़ी भाभी थीं, जिन्होंने कॉफ़ी पीते हुए कहा था। उसने रीना को काम वाली समझ लिया था शायद।

किसी ने कुछ नहीं कहा, नीरज भी कुछ कहने के बजाय गुस्से में वहाँ से बाहर निकल गया।

“एक मिनट! बोलने से पहले पूछ तो लिया करिये कि कौन है, इतने तो मैनर्स होने ही चाहियें। ये भाभी हैं मेरी! मेरे भाई की पत्नी इस घर की बड़ी बहू। अगर आज रिश्ता तय हो गया न तो आपकी ननद की जेठानी। रुपाली को गुस्से में देख कर उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया। उन्होंने रीना से माफी भी मांग ली, मगर रुपाली का गुस्सा ख़त्म ही नहीं हो रहा था। उसे अपने घर वालों के ऊपर गुस्सा आ रहा था, उन लोगों को पहले सबसे मिलाना तो चाहिए था।

शादी तय हो गई, बारात में जाने के लिए रुपाली ने रीना को खुद तैयार किया| रीना तो जाना ही नहीं चाहती थी। “देखा! कोई टक्कर दे कर दिखाए आपको”, रुपाली ने रीना को शीशे के सामने खड़ा किया तो वो भी खुद को पहचान नहीं पाई। वाकई में बहुत खूबसूरत लग रही थी। “कितनी बार कहा है मेकअप किया करिये, मगर आपको तो सब को खुश करने से ही फुर्सत नहीं मिलती। अरे इस काबिल नहीं हैं वो लोग। नई बहू आ रही है न, अब देखिएगा। और हाँ आप उसके भी आगे पीछे न घूमने लगिएगा।”

“मेरी सीधी सादी पत्नी को बहका रही हो?” नीरज कमरे में घुसते हुए हंसा।

“बहका नहीं रही हूँ, सिखा रही हूँ। गजब खुदा का! कहाँ से ढूँढ कर लाए थे आप? इस दुनिया में भाभी जैसे लोग भी रहते हैं! सच में पता ही नहीं था। वैसे भाई! अब आपको कुछ बड़ा सोचना पडे़गा नहीं तो आगे आने वाला समय और मुश्किलें लाएगा।” रुपाली नीरज को झकझोर कर चली गई थी।

शादी हो गई, नई बहू भी आ गई। सबने उसे सर आंखों पर बैठा लिया था। उसे भी समझ में आ गया था कि रीना को बहू का दर्जा नहीं मिला है, इसलिए वो भी आराम से बैठी रहती। कुछ काम होता बड़े आराम से करवा लेती।

“भाभी प्लीज़ मेरे लिए आलू का परांठा बना दीजिये। मैं बना लेती, मगर अभी-अभी मैंने नेलपालिश लगाई है, छूट जाएगी और अभी मेकअप किया है, किचन में गरमी इतना ज़्यादा है सब खराब हो जाएगा। रंग भी बहुत डल हो जाता है। आपका रंग तो एकदम पक्का है, कुछ होगा नहीं।” रीना का दिल धक सा हो गया। सब तो बोलते ही थे अब ये भी! उसके आंखों में आंसू आ गए।

“एक मिनट रीना! जाओ हमारा सामान पैक करो शाम तक हमको निकलना है। आलू का पराठा माँ बना देगी।”

“कहाँ?” रीना ने हैरानी से नीरज को देखा।

“मेरा तबादला दूसरे शहर हो गया है, आज ही निकलना है। घर भी वहीं आफिस के पास में है, कल ही जॉइन करना है।”

मम्मी जी ने सुना तो भागी चलीं आईं, “क्या हुआ नीरज? बहू को लेकर कहाँ जा रहे हो?”

“बहू? माँ आपने रीना को बहू कहा! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है। आज तक आपने कभी भी उसे बहू माना ही नहीं। मजबूरी में घर तो ले आईं, मगर उसकी अच्छाई, उसका नरम दिल आप लोगों को नजर ही नहीं आया। मैंने उसके खूबसूरत दिल को देखा था माँ, रंग रूप का क्या है, आज है कल नहीं। और माँ, वो किस से कम है कोई मेरी नज़र से देखे।”

“खूबसूरत बहू लाई तो हैं आप, उसे मेकअप से ही फुर्सत नहीं। आगे क्या होगा ऊपर वाला ही जाने। सॉरी माँ! मुझे किसी के लिए ऐसा नहीं बोलना चाहिए मगर रीना कुछ बोलेगी नहीं और मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैं चाहता तो बहुत पहले ही जा सकता था, मगर रीना आप लोगों को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी।”

“अब तो आपकी पसंद की बहू आपके पास है। आराम से रहिए उसे आलू का परांठा बना-बना कर खिलाइए। हमें जाने दीजिये, मैं अब अपनी पत्नी की बेइज़्ज़ती नहीं देख पाऊंगा। वो जैसी भी है मेरी है और मुझे बहुत पसंद है।”

मूल चित्र : Canva 

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