आज से हो ये नारा – ‘बेटा पढ़ाओ, बेटे को संस्कार सिखाओ!’

दूसरे पहलू पर गौर करना होगा कि बेटे को तमाम व्यसनों और बुरी सोहबत से अधिक सुरक्षित रख कर हम कितनी ही बेटियों को सुरक्षित रख सकते हैं! सरकार से लेकर लोकल सामाजिक कार्यकर्ता तक सभी ‘बेटी पढ़ाओ’ की रट लगा हलकान हो रहे हैं! सड़क किनारे राह चलते, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, सिनेमाघर, स्कूल, दफ्तर, … आज से हो ये नारा – ‘बेटा पढ़ाओ, बेटे को संस्कार सिखाओ!’ को पढ़ना जारी रखें