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महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के 5 कारण जो बता रहे हैं कि क्यों महिलाओं के लिए, अपने स्वयं के कुछ मौद्रिक संसाधनों का होना महत्वपूर्ण है।
अनुवाद : प्रगति अधिकारी
पुराने ज़माने की कोमल राजकुमारी, जिसे अपने बचाव के लिए एक चमकाते कवच वाला राजकुमार का इंतज़ार रहता था, को भूल जाइये, क्यूंकि आज की स्त्री पूरी दुनिया पर अपना परचम खुद ही लहरा रही है। उस राजकुमारी ने अब बहुत हिन् लम्बा और कठिन रास्ता अकेला अपने ही दम पर तय कर लिया है।
अब हमारे पास हासिल करने के लिए बड़े लक्ष्य हैं, पीछा करने के लिए विशाल महत्वाकांक्षाएं और चढ़ने के लिए उच्च कैरियर की सीढ़ी है। लेकिन आज भी बहुत सी महिलाएँ ऐसी हैं जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं, और अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए जीवनसाथी या परिवार के किसी सदस्य पर पूरी तरह निर्भर हैं।
हालांकि ये एक व्यक्तिगत विकल्प है, लेकिन समझदारी ये सुनिश्चित करने में है कि कभी भी, कसी ज़रुरत के समय, आपके पास अपना एक मौद्रिक संसाधन या अपने मॉनेटरी रिसोर्सिस हों।
यहां पेश हैं 5 कारण जो बताते हैं कि क्यों हर महिला को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए –
यदि आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं तो आप अपनी ज़िन्दगी अपने अनुसार जी सकते हैं। अपने आप का पूरी तरह से, अपने ही दम पर, भरन-पोषण, समर्थन करना ही सही मायने में सशक्तिकरण और उन्मुक्तता है।
हम चाहे जितना भी विवाद कर लें, सच्चाई यही है कि, ‘बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रूपया’, पैसे के दम पर ही ये दुनिया चलती है और पैसे के आभाव में रह पाना आज की दुनिया में नामुमकिन है। और पैसा ही जेंडर रोल्स की जड़ है। जिसके पास जितना पैसा, वो उतना ही ताक़तवर।
वित्तीय स्वतंत्रता सबसे कठिन और दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों में आपके बचाव को आ सकती है। ज़्यादा दूर ना जाते हुए, अब्यूसिव मैरिज में महिलाओं को ही लेते हैं। ऐसी शादी से निकलने की किसकी अधिक संभावना होगी? एक महिला जिसकी अपनी बचत है और वो खुद को सहारा देने की क्षमता रखती है, या एक महिला जो पूरी तरह से अपने पति पर निर्भर है और उसके पास खुद की देखभाल का कोई साधन नहीं है?
कई महिलाएं, जो अपने जीवनसाथी पर आर्थिक रूप से निर्भर हैं, उन्हें अब्यूसिव रिलेशनशिप्स से बाहर निकलना बेहद मुश्किल लगता है क्योंकि उनके पास खुद (या उन पर निर्भर बच्चे) की जीविका का साधन नहीं है। कई बार पैसे की कमी के कारण वे एक अब्यूसिव पार्टनर के पास लौट आती हैं।
इसलिए, भले ही वित्तीय स्वतंत्रता आपकी सभी समस्याओं का जादुई हल नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से इससे बहुत सी समस्याएं आसानी से निपट सकती हैं।
मौद्रिक मूल्य स्वः और आत्मविश्वास से जुड़ा हुआ है। और गलत तरीके से नहीं। जो महिलाएं अपने और अपने परिवार का पोषण करने की क्षमता रखती हैं, वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत, दोनों रिश्तों में सम्मान और समानता का अधिकार रखती हैं।
अपनी अत्यधिक विवादास्पद पुस्तक, द फेमिनिन मिस्टेक : आर वी गिविंग अप टू मच मच, में लेस्ली बेनेट्स कहती हैं कि जो महिलाएं बच्चों को पालने के लिए अपना करियर छोड़ देती हैं, वे वित्तीय स्वतंत्रता और अपनी पूरी क्षमता का एहसास करने की गुंजाइश भी छोड़ देती हैं।
हालांकि यह कई लोगों के लिए सटीक नहीं है, बेनेट के तर्क में एक पॉइंट सच है। जो महिलाएं कई वर्षों तक नौकरी छोड़ घर पर रहती हैं और बाद में फिर से वापस आने का सोचती हैं, उन्हें या तो अपनी चुनी हुयी फील्ड में वापस जाने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है, या उन्हें अपनी वही पुरानीपोज़िशन वापस नहीं मिल पाती है, और इससे उनके स्वाभिमान पर गहरी चोट पहुँच सकती है।
हमें नहीं पता कि हमारे लिए भविष्य में क्या है, इसलिए हमें किसी भी चीज़ का सामना करने के लिए तैयार रहना है।
जीवन में तलाक, किसी का अचानक निधन, बेरोजगारी या जीवनसाथी की बीमारी का समय, उन महिलाओं के लिए असीम रूप से कठिन हो सकता है, जो वर्षों या दशकों तक दूसरों पर निर्भर रहने के बाद, अचानक खुद को बेसहारा पाती हैं। इनके लिए खुद का भरन-पोषण ही सबसे बड़ा सवाल होता है।
इस कारण सभी महिलाओं को, कम से कम अपने लिए, जीविका का साधन बनाना चाहिए।
आपको खुश रहने का हक है। हम में से हर एक खुशी का हकदार है। दुर्भाग्य से, आज की दुनिया में, कई चीजें जो हमें ख़ुशी देती हैं, पैसे से मिलती हैं। ये जानिये कि घर से बाहर पाँव रखने के लिए भी पैसा चाहिए।
हो सकता है आप को एक नई ड्रेस चाहिए। या एक छोटी सी हॉलिडे। या एक अच्छा सा हेयर कट। या हो सकता है कि आप एक सामाजिक कारण के लिए दान करना चाहते हैं। इन सब के लिए आपको हमेशा अपने पति या माता-पिता या बच्चों से क्यों पैसे मांगने पड़ें? अगर वे ना कहें तो क्या होगा? आपको वास्तव में बुरा लगेगा।
अगर आपकी वित्तीय परिस्थिति आपके नियंत्रण में रहे तो क्या आपको ज़्यादा ख़ुशी नहीं होगी?
उच्च वर्ग के परिवारों की महिलाएं अपने परिवार का पोषण करने के सामाजिक दबाव में नहीं आती हैं। हम काम नहीं करने का विकल्प चुन सकते हैं क्योंकि एक महिला का गृहिणी होना सामाजिक रूप से स्वीकार्य है। लेकिन आम तौर पर पुरुषों के पास वह विकल्प नहीं होता।
वे डिफ़ॉल्ट रूप से प्राथमिक ब्रेडविनर्स हैं, और उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वे अपने परिवार की जीविका संभालें, भले ही इसका मतलब ये हो कि उन्हें दो या तीन काम करने पड़ें। व्यावहारिक रूप से, पूरे परिवार के लिए एक ही ब्रेडविनर या पालनहार पर निर्भर होना आर्थिक रूप से अनुचित है। यह न केवल उपार्जन सदस्य पर बहुत ज़्यादाप्रेशर डालता है, यह आश्रित सदस्यों पर कोई भी संकट उत्पन्न होने पर अनिश्चितता का कारण भी बनता है।
कारण जो भी हो, महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता ही वो सबसे अच्छी बात है, जो आप अपने लिए कर सकती हैं।
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मूल चित्र : Canva
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