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हैं हज़ार राह में बिखरे काँटें, पर रोक सकेगा तुझे कौन, तू बस अपनी धुन में मग्न, काँटों भरी रहा को गुलशन समझ, आगे कदम बढ़ाए जा, जीने का जश्न मनाए जा!
अकेला है तो क्या हुआ इंतजार किसका है एतबार किसका है तन्हाई की महफ़िल में खुद को गले लगाए जा हाथ पकड़ अपने साएँ का आगे कदम बढ़ाए जा क्यों है खुद से शिकायत है तुझे भी इजाज़त कर ले खुद से थोड़ी तू भी मोहब्बत!
दुनिया ने सौ दर्द है बाटें कुछ गिरे तेरी झोली में कुछ आ बैठे मेरे दामन में मुरझा से गए फुल सारे है हज़ार राह में बिखरे काँटें पर रोक सकेगा तुझे कौन तू बस अपनी धुन में मग्न काँटों भरी रहा को गुलशन समझ आगे कदम बढ़ाए जा अरमानों का काफ़िला लिए जीने का जश्न मनाए जा कैसी है यह शिकायत है तुझे भी इजाज़त कर ले खुद से थोड़ी तू भी मोहब्बत!
देख ना पीछे मुड़ अतीत ने क्या छोड़ा है आगे नज़र दौड़ा वक्त लाया फिर एक नया सवेरा है हटाकर नक़ाब खोल दे तू दिल की किताब सजा ले इन पलकों पर आज फिर एक नया ख्वाब ना कर अब तू शिकायत है तुझे भी इजाज़त कर ले खुद से थोड़ी तू भी मोहब्बत!
मूल चित्र : Pexels
Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...
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