कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

जामिया के छात्र और छात्राओं के साथ पुलिस का अत्याचार किस संस्कृति का उदाहरण?

दिसंबर 15, 2019 की शाम को शांति से विरोध प्रदर्शित कर रहे जामिया मिलिया के छात्रों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा और इसमें महिला छात्रा भी मौजूद थीं।

दिसंबर 15, 2019 की शाम को शांति से विरोध प्रदर्शित कर रहे जामिया मिलिया के छात्रों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा और इसमें महिला छात्रा भी मौजूद थीं।

सूत्रों के अनुसार पुलिस ने किसी भी महिला अफसर की गैर मौजूदगी में छात्रों को घसीट कर कॉलेज से बाहर निकाला। और पुलिस के इस व्यवहार से हमें आपत्ति है। माना लॉ और आर्डर रखने की ज़िम्मेदारी पुलिस की है पर छात्रों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कहाँ तक उचित है। यहां तक कि उन्होंने लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों को भी नहीं छोड़ा और वहाँ भी आंसू गैस छोड़ी। ख़बरों के अनुसार कई लोग घंटों अंदर फंसे रहे। कई घायल हुए और उन्हें घंटों तक इलाज नसीब नहीं हुआ।

आखिर ये पूरा माजरा है क्या

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को  राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पास किया। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है, लेकिन इस विधेयक को काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 

इस विधेयक के अनुसार भारत के आसपास के देश जैसे बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से भारत आने वाले हिंदुओं, बौद्धों, सिखों, जैन और पारसी धर्म वालों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

भारत में विरोध प्रदर्शन के हालात

आसाम हो या दिल्ली, हालात काफी बदतर हो रहे हैं, आसाम और यूपी के कई जिलों में इंटरनेट सुविधाएं बंद कर दी गयीं ताकि अफवाहें फैल ना सकें। बहुत कम बार ऐसा होता है कि इतनी तादात में हमारे देश की जनता एक ही मुद्दे के खिलाफ एकजुट हो। कई राजनैतिक पार्टीज़, यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं, आम आदमी और औरतें इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं।  

जामिया विवाद

इसी घटनाक्रम के तहत जामिया में हो रही हिंसक घटनाओं में एक नया मोड़ आया है, जबकि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यूनिवर्सिटी की सारी परीक्षाएं रोक दी गयी थीं और 5 दिन की छुट्टी घोषित कर दी गई थी। मगर हालात बिगड़ गए। इस दौरान छात्र भी संगठित होकर विरोध प्रदर्शित कर रहे थे। उन्हें रोकने पुलिस को जामिया परिसर में स्थित हॉस्टल में घुसना पड़ा।

महिलाएं केवल मूकदर्शक नहीं

हमारा देश विविधता में एकता का देश है। आज की परिस्थिति में महिलाओं ने ईमानदार भारतीय नागरिक होने की अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। जागरूक महिलाएं केवल सजावटी गुड़िया नहीं सशक्त नागरिक भी हैं।निर्दोष बालिकाओं पर होने वाले आकस्मिक प्रहार से क्षुब्ध होकर उन्होंने विभिन्न माध्यमों से आवाज़ उठाई है।

सेलेब्रिटीज़ ने छात्रों के पक्ष में ट्वीट किया

नंदिता दास ने ट्वीट किया है कि छात्रों को विरोध प्रदर्शन पर रोक क्यों लगाई गई…अगर शांतिपूर्ण विरोध हो रहा है तो, नाहक ही उन पर बल का प्रयोग ना हो।

वहीं स्वरा भास्कर ने भी आपत्ति जताई, और कहा कि यह दिल्ली है, हमारे लोकतंत्र का तमाशा मत बनाइए। आम जनता पर इतना आतंक क्यों ढा रही है पुलिस? क्या यह आतंकवादी हैं जो इन पर डंडे, पत्थर और आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं? लाइब्रेरी में बैठे हुए छात्र-छात्राओं को पीटना बिल्कुल गलत है।

भारत की पूरी जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हैं महिलायें

और छात्राओं के लिए बात करें तो, उनके साथ किया गया बर्ताव तो कदापि उचित नहीं है। लड़कियों को तमीज़ सीखाने वाले लोग खुद अपनी तमीज़ भूल गए? पुलिस का नाम आते ही हम में से कितनी महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं, इसका ज़िक्र पिछले दिनों घटे घटनाक्रमों के चलते ना ही छेड़ें तो अच्छा है।

छात्रों खासकर के छात्राओं पे हाथ उठाना, उन्हें घसीटना, उनको गालियां देना, बस खबरें पढ़ ये ही कह सकते हैं कि संस्कृति का शोर मचाने से पहले ये सोचें क्या शोर मचाना हमारी संस्कृति का हिस्सा है? कुछ लोगों का ये भी मानना है कि जो भी पुलिस ने किया ठीक किया और छात्रों को अपनी सभ्यता और संस्कृति नहीं भूलनी चाहिए। मेरा एक सवाल है उनसे, क्या सभ्यता और संस्कृति निभाने का पूरा बेड़ा छात्रों ने उठा रखा है? और ये नहीं भूलना चाहिए हमें कि हमारे देश में तो ये जिम्मा महिलाओं के सर आता है? ‘औरतें हों तो संस्कारी!’

हमारे देश की लगभग 50% जनसंख्या महिलाएं है इनकी शिक्षा और जागरूकता से देश काफी उन्नति कर सकता है, फिर चाहे वह प्रगति हो, विकास हो या सुरक्षा। और फिर यहां किस संस्कृति की बात कर रहे हैं हम? जिसमें वक़्त आने पर हमारी सुरक्षा के ‘पहरेदार’, चाहे घर में हों या बाहर, ये भूल जाते हैं कि क्या सही है और क्या गलत? छात्रों और छात्राओं के इस बर्ताव के बदले उन्हें टेररिस्ट कहने वालों का खुद का बर्ताव क्या किसी टेररिस्ट से कम हैं? 

महिला होने के नाते मुझे बेहद प्रसन्नता मिलती है यदि कोई महिला केवल मूक दर्शक ना बने। अपनी सशक्त आवाज़ से देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। मैं अपने भारत की जनता को विकास के मार्ग में शांति से आगे बढ़ते हुए देखना चाहती हूं। इस विपरीत परिस्थिति में सभी एक दूसरे का साथ देख कर, शांति से विचार करें।

इस प्रदर्शन के दौरान और बाद में हुआ, बहुत गलत हुआ

अंत में मैं यही कहना चाहती हूँ कि मुझे नहीं मालूम ये प्रदर्शन सही है या नहीं पर मैं इतना ज़रूर कह सकती हूँ कि जो भी इस प्रदर्शन के दौरान और बाद में हुआ, बहुत गलत हुआ। छात्रों को बेरहमी से पीटना कहाँ का न्याय है? ये छात्र हमारे देश का भविष्य हैं। और प्रजातंत्र में हर किसी को अपना दृष्टिकोण सामने रखने का हक़ है। और अगर छात्र अपना दृष्टिकोण इस प्रदर्शन से रखते हैं, तो इसमें क्या हर्ज़ है? बस जलाने की ख़बरों अभी तक ये साबित नहीं कर सकीं हैं कि इसमें छात्रों का हाथ था।

छात्रों और छात्राओं की सहनशीलता, एकबद्धता और परिपक्वता को सही दिशा मिलनी चाहिए। उनके साथ हुए ऐसे हिंसक बर्ताव ने तो बड़ों बड़ों को शर्मिंदा कर दिया है। क्या सिखा रहे हैं हम उनको कि बातों से नहीं लाठियों से बात मनवानी चाहिए? इस पूरे घटना क्रम का इन छात्र और छात्राओं की मानसिक स्तिथि पर क्या असर होगा ये वक़्त ही बताएगा।

सार्वजनिक रूप से आपत्ति दर्ज कराना एक साहसी कदम

मुझे एवं देश के सभी नागरिकों को थोड़ी तसल्ली मिली कि आज सब एक होकर देश के लिए आवाज उठा रहे हैं और इसमें औरतें भी सब से कन्धा मिला कर चल रही हैं। इस विधेयक के पास होने में भविष्य में क्या क्या बदलाव आएंगे, कहा नहीं जा सकता किंतु सबकी खास तौर पर भारतीय महिलाओं की बुलंद आवाज़ अब चारदीवारी में सीमित न रहकर चहूँ ओर गूंजने लगी है।

नोट : व्यक्तिगत कारणों की वजह से कई लेखक/लेखिका अनॉनमस रहना पसंद करते हैं, इसलिए उनकी कृतियाँ गेस्ट ब्लॉगर के तहत पब्लिश की जाती हैं। 

मूल चित्र : Google  

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Guest Blogger

Guest Bloggers are those who want to share their ideas/experiences, but do not have a profile here. Write to us at [email protected] if you have a special situation (for e.g. want read more...

12 Posts | 65,791 Views
All Categories