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अब तू ही बतला दे ना माँ, क्या इतनी बुरी हूँ मैं माँ?

जिस देश में लड़कियों और नारी को पूजा जाता है फिर माँ क्यों उस देश में मेरे पैदा होने पर सब उदास हो जाते हैं? क्यों मेरे पैदा होने पर सब जश्न नहीं मानते?

जिस देश में लड़कियों और नारी को पूजा जाता है फिर माँ क्यों उस देश में मेरे पैदा होने पर सब उदास हो जाते हैं? क्यों मेरे पैदा होने पर सब जश्न नहीं मानते?

आज फिर घर के आँगन में दस्तक हुई 
किसे के नन्हें कदमों की आहट से हुई 
दरवाज़ा खोल देखा 
फिर चहकी थी एक नन्ही सी चिड़िया 
आई मेरे आँगन एक प्यारी सी गुड़िया 
लगता है जैसे हो कोई जादू की पुड़िया 

अपनी छोटी छोटी आँखों से 
करती है सौ सवाल यह नन्ही सी जान 
लोगों के दिलों में थोड़ी सी जगह तलाशती  
सोच में पड़ी 
क्यों गुम है इनकी मुस्कान 

क्यों छाई लबों पर उदासी है 
क्यों आँखें हैं इनकी नम 
मेरी चहक सुन  
क्यों छाया है यह ग़म का मौसम 
क्यों मेरे आने की आहट से 
सबका है चेहरा मुरझाया 
क्या मेरी प्यारी किलकारियों से ना भर आता दिल इनका  

क्या मुझे गोद में ले 
खुशी से झूम उठने का ना करता मन इनका 
क्या मैं दूर देश से आई हूँ  
क्या मैं इतनी पराई हूँ  
देखे है मुझे हर कोई बेगानी नज़रों से 
जैसे ना हो कोई रिश्ता नाता इनसे 

अब तू ही बतला दे ना माँ 
क्या इतनी बुरी हूँ मैं माँ 
रौंद ना मुझे अपने पैरों तले  
अभी तो आई हूँ इस दुनिया में मैं 

साँसों को सीने में भर  
जीवन का एहसास तो कर लेने दे 
दो घड़ी तो जी लेने दे 
तेरी बगिया की एक मासूम सी कली हूँ मैं 

कल खिलकर खुशबू से भर दूँगी यह गुलशन 
तेरे ही घोंसले की चिड़िया हूँ मैं 
एक एक तिनका चुन 
तेरे घरोंदे को एक नया रूप दूँगी मैं  

एक बार सुबह से मिला दे 
सूरज की किरणों सा रोशन कर दूँगी तेरा यह जहाँ  
एक बार हाथ पकड़ चलना सिखा दे 
कल उड़कर हर मक़ाम हासिल कर लूंगी मैं 

समझ अपने सर का बोझ  
दौलत के तराज़ू में ना तोल मुझे 
प्यार से बस एक हाथ फेर सर पर मेरे 
बन हीरा तेरा किस्मत चमका दूंगी मैं 

नन्ही सी गुड़िया हूँ मैं 
तेरे आँगन में फिर खिलखिलाई हूँ मैं

मूल चित्र : Canva 

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Rashmi Jain

Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...

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