कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
बैठे-बैठे सोच यूँ ही सोच आती है आज, सड़कों पर दुर्व्यवहार, घर में भेदभाव व्यभिचार, बस बातों के संस्कृति संस्कार, बुरा लगे जो करे प्रतिकार! क्यों?
कहते हैं एक स्त्री दूजी स्त्री की पीड़ा समझती है तो क्यों सास बहू के किस्से सारी दुनिया कहती है?
क्यों पितृसत्ता के नियम औरत कायम रखती है एक पर हो अत्याचार तो दूजी क्यों नही खिलाफत करती है?
क्यों नहीं उठ खड़ी होती स्त्री जब दहेज दानव सर उठता है क्यों देती है पुरुष का साथ जब बेटा पत्नी पर हाथ उठाता है?
सड़कों पर दुर्व्यवहार घर में भेदभाव व्यभिचार बस बातों के संस्कृति संस्कार बुरा लगे जो करे प्रतिकार।
क्यों सीता हर युग में धरती की गोद में समाये क्यों दोगले नियमों में जलती सती राख हो जाये?
शिक्षित समाज का प्रपंच कन्या को शिकार बनाता है सीता की अग्निपरीक्षा का खेल गर्भ से ही शुरू हो जाता है।
मूल चित्र : Canva
read more...
Please enter your email address