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नारी की शक्ति पहचानें और उसको अब अबला कहना छोड़ दें क्यूंकि जब तक सब उसे अबला कहेंगे, तब उसको कमज़ोर समझ कर उस पर अत्याचार होते रहेंगे।
छोड़ आई मैं अपना घर आँगन, तेरा घर महकाने को, घर संसार बसाकर तेरा, तुझे ही सर्वस्व बनाया है, मगर नारी हूँ, अबला नहीं।
दुर्बल समझने की भूल न कर, शक्ति का स्वरुप हूँ, तिनका समझने की भूल न कर, क्या हो तुम क्यों इतना अभिमान, अपने पुरूषत्व पर गुमान न कर, नारी का अपमान न कर।
कैसे सोच लिया ये तुमने, यह तो होती है, अस्तित्वहीन, कभी भी रौंदा जा सकता है, नारी हूँ, अबला नहीं, दुर्बल समझने की भूल न कर।
हर क्षेत्र मैं अव्वल है नारी, पूरा ब्रम्हाण्ड नारी की ताकत से अवगत है, जमीं से लेकर आकाश तलक, नारी नें परचम लहराया, और अपना लोहा मनवाया।
इतिहास गवाह है नारी के, करतब का, कभी सुनी है, रजिया, मनु, और दुर्गा की कहानी, नारी हूँ, अबला नहीं, दुर्बल समझने की भूल न कर।
मूल चित्र : Canva
Blogger [simlicity innocence in a blog ], M.Sc. [zoology ] B.Ed. [Bangalore Karnataka ] read more...
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